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जन्माष्टमी कब, कन्फ्यूज है लोग, आइए जानें

Nilmani Pal
6 Sep 2023 2:08 AM GMT
जन्माष्टमी कब, कन्फ्यूज है लोग, आइए जानें
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श्रीकृष्ण जन्माष्टमी भादो मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है. अर्धरात्रि में अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र के संयोग में कृष्ण जन्मोत्सव मनाने की परंपरा है. इस साल जन्माष्टमी की तिथि को लेकर लोग बहुत कन्फ्यूज है. कोई 6 सितंबर तो कोई 7 सितंबर को जन्माष्टमी का त्योहार बता रहा है. आइए जानते हैं कि आखिर जन्माष्टमी के त्योहार की सही तिथि क्या है.

देव ज्योतिषी और महादेवी काली मंदिर, मंदाकिनी तट के महंत अश्वनी पांडे ने राष्ट्रीय चैनल को बताया कि 6 सितंबर, दिन बुधवार को 3 बजकर 39 मिनट पर अष्टमी तिथि लग रही है, जो कि 7 सितंबर को 4 बजकर 16 मिनट तक रहेगी. यानी 6 सितंबर की रात अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र का संयोग बनेगा. इसलिए शैव परंपरा के लोग बुधवार, 6 सितंबर को कृष्ण जन्मोत्सव मनाएंगे. चूंकि वैष्णव संप्रदाय में उदिया तिथि का अधिक महत्व होता है, इसलिए ये लोग 7 सितंबर को जन्माष्टमी मनाएंगे.

उन्होंने आगे बताया कि कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व श्री कृष्ण के अवतरण दिवस उत्सव के रूप में मनाया जाता है. अतः श्री कृष्ण के बाल स्वरूप लड्डू गोपाल के रूप में उनकी मूर्ति का पूजन करना शुभ होता है. वैसे तो लड्डू गोपाल की सोने चांदी पीतल आदि की मूर्ति होती है. किंतु अष्टधातु की मूर्ति का पूजन करना लाभप्रद होता है.

ज्योतिषविदों का कहना है कि इस साल गृहस्थ जीवन के लोग 6 सितंबर को जन्माष्टमी का त्योहार मनाएंगे. जन्माष्टमी की पूजा का श्रेष्ठ मुहूर्त भी 6 सितंबर को रात 11 बजकर 56 मिनट से लेकर देर रात 12 बजकर 42 मिनट तक रहेगा. यानी शुभ मुहूर्त में पूजा के लिए आपको 46 मिनट का समय मिलेगा. देव ज्योतिषी महंत अश्वनी पांडे ने आगे बताया कि श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की पूजन विधि में सर्वप्रथम सुबह उठकर ओम नमो भगवते वासुदेवा का मन में जब करना चाहिए. इसके बाद जिस स्थान पर श्रीकृष्ण के बाल स्वरूप लड्डू गोपाल की मूर्ति स्थापित हो, वहां साफ-सफाई करके गंगाजल डालकर शुद्ध करना चाहिए. इस स्थान को अशोक की पत्ती, फूल, माला और सुगंध इत्यादि से खूब सजाना चाहिए.

इस स्थान पर बच्चों के छोटे-छोटे खिलौने लगाएं. पालना लगाएं. प्रसन्न मन के साथ श्री हरि का कीर्तन करें और व्रत रखें. संभव हो सके तो निराहार अथवा फलाहार ही व्रत रखें. फिर शाम के समय भजन संध्या पूजन करें और रात्रि में भगवान श्री कृष्ण का पंचामृत से स्नान करें. उन्हें मीठे पकवान, माखन इत्यादि का भोग लगाएं. तुलसी दल अर्पित करें. फल, फूल और मेवा अर्पित करें. केसर चंदन तिलक करें और रातभर ओम नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जाप करें. इससे आपके सभी कष्टों का नाश होगा और उसे सुख, स्वास्थ और समृद्धि की प्राप्ति होगी.


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