मां को लेकर हॉस्पिटल पहुंचा तो मांगे कागज...अस्पताल के बाहर ऑटो में ही मरीज ने तोड़ दिया दम
अस्पताल कागज़ मांगते रहे…मरीज का दम उखड़ता गया। आखिरकार मुकेश की मां मर गई। किरन 52 साल की थीं। उनके प्राणों ने अस्पताल के गेट पर तीन घंटे संघर्ष किया। उनके बेटे तीन घंटे तक अस्पताल के गेट पर गिड़गिड़ाते रहे।28 साल का मुकुल व्यास अपनी मां को सुबह-सुबह ऑटो-रिक्शा में लिटा कर आइटीबीपी संचालित सरदार पटेल कोविड सेंटर लाया था। मदद के लिए भाई भी साथ था। मुकुल कहता है कि अस्पताल वाले बस औपचारिकताओं में लगे रहे। अंत में अस्पताल ने डिस्ट्रिक्ट सर्वेलंस ऑफिसर (डीएसओ) का लिखा कागज लाने को कहा। मुकुल कहता है कि मां की सांस टूटती गई और वे कागज मांगते रहे। उस वक्त कहां से लाता मैं कागज। तीन घंटे के संघर्ष के बाद उसकी मां की मौत उसी ऑटो में पड़े-पड़े हो गई, जिसमें वह लाई गई थी। उसके भाई ने छाती की मालिश कर के मां में दोबारा प्राण फूंकने की कोशिश की। नाकाम रहा। मुकुल आखिरी तक पूछता रहा कि भाई कागज जरूरी है या जान? दिल्ली में सरकार के तमाम दावों के बाद हालात अच्छे नहीं हैं। बेड और खासतौर पर ऑक्सीजन वाले बेड और वेंटीलेटर सुविधा पाना आसान नहीं है। मुख्यमंत्री ने भरोसा दिया है कि राजधानी के विभिन्न अस्पतालों में और ज्यादा आइसीयू बेड का इंतजाम किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि मौजूदा समय में सभी आइसीयू बेड्स में मरीज हैं। लेकिन जीटीबी अस्पताल के पास मैदान और रामलीला मैदान में पांच-पांच सौ आइसीयू बेड तथा राधास्वामी कांप्लेक्स में दो सौ आइसीयू बेड दस मई तक पड़ जाएंगे।इस वक्त दिल्ली की हालत बहुत खराब चल रही है। सोमवार को कोविड से 380 लोगों ने दम तोड़ा। संक्रमण की हालत यह है कि हर सौ की टेस्टिंग में 35 लोग कोरोना पॉजिटिव निकल रहे हैं। श्मशान में करना पड़ रहा 20 घंटे का इंतजार