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जब राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने मांगी माफी, कहा- नहीं लेना चाहिए था नाम, जानिए पूरा मामला

jantaserishta.com
26 Oct 2021 4:22 AM GMT
जब राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने मांगी माफी, कहा- नहीं लेना चाहिए था नाम, जानिए पूरा मामला
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नई दिल्ली: अंबानी और आरएसएस से जुड़ी कथित फाइलों को लेकर सनसनीखेज दावे करने वाले मेघालय के राज्यपाल सत्यपाल मलिक इन दिनों सुर्खियों में हैं। अंबानी और आरएसएस से जुड़े एक शख्स की दो फाइलों को मंजूरी देने के बदले 300 करोड़ की रिश्वत के ऑफर वाले दावों से सत्यपाल मलिक ने यूटर्न ले लिया है। बयान पर विवाद होने के बाद सत्यपाल मलिक ने आरएसएस वाले बयान पर सफाई दी है और कहा कि जम्मू-कश्मीर का राज्यपाल रहते 300 करोड़ रुपए की रिश्वत ऑफर किए जाने के मामले का आरएसएस से कोई मतलब नहीं। उन्होंने इसके लिए माफी भी मांग ली है।

दैनिक भास्कर को दिए इंटरव्यू में जम्मू-कश्मीर के पूर्व राज्यपाल रहे सत्यपाल मलिक ने आरएसएस से माफी मांग ली है और कहा कि उनके दावे का आरएसएस से कोई मतलब नहीं और वह इसके लिए माफी मांगते हैं। उन्होंने कहा कि जिस शख्स ने मुझे फाइल दी थी, उसने खुद को आरएसएस से जुड़ा बताया था, इस वजह से मैंने आरएसएस का नाम ले लिया, मुझे ऐसा नहीं करना चाहिए था। हालांकि, दोनों फाइलों को मैंने रोक दिया था और यह मामला खत्म हो गया है।
उन्होंने आगे कहा कि मैंने प्रधानमंत्री मोदी को इसकी पूरी जानकारी दे दी थी और उन्होंने मेरे फैसले का समर्थन करते हुए कहा कि भ्रष्टाचार पर समझौता करने की कोई जरूरत नहीं है। दरअसल, राजस्थान के झुंझनू में एक कार्यक्रम में जम्मू-कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक यह दावा कर राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी थी कि मेरे कार्यकाल के दौरान मुझसे कहा गया था कि यदि मैं अंबानी और आरएसएस से संबद्ध' एक व्यक्ति की दो फाइलों को मंजूरी दे दूं तो मुझे रिश्वत के तौर पर 300 करोड़ रुपये मिलेंगे, लेकिन मैंने सौदों को रद्द कर दिया।
इधर, मेघालय के राज्‍यपाल सत्‍यपाल मलिक ने केंद्र के कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे किसानों के आंदोलन का समर्थन करके भी धारा के विपरीत चलने की अपनी पुरानी छवि दोहराई है और यहां तक ऐलान कर दिया कि यदि किसानों का प्रदर्शन जारी रहा तो वह अपने पद से इस्तीफा देकर उनके साथ खड़े होने के लिए तैयार हैं।
उत्तर प्रदेश के बागपत जिले के हिसावदा गांव में 24 जुलाई, 1946 को सत्‍यपाल मलिक का जन्म हुआ। उनके पिता बुध सिंह किसान थे और सत्‍यपाल जब दो वर्ष के थे तभी पिता का निधन हो गया। पड़ोस के प्राथमिक विद्यालय से उनकी पढ़ाई शुरू हुई और इसके बाद ढिकौली गांव के इंटर कालेज से माध्‍यमिक शिक्षा पूरी कर वह मेरठ कॉलेज पहुंचे।
मलिक के मुताबिक जब वह दो साल के थे तो पिता का देहांत हो गया और बाद में वह खुद खेती करके पढ़ने जाते थे। उनकी राजनीतिक रुचि के बारे में पुनिया ने बताया कि डॉक्टर राम मनोहर लोहिया के विचारों से प्रभावित सत्यपाल छात्र राजनीति में सक्रिय हुए और 1968 में मेरठ कॉलेज में छात्रसंघ के अध्यक्ष चुने गये। तेज तर्रार और बिना लाग लपेट अपनी बात कहने वाले सत्‍यपाल मलिक पर भारतीय क्रांति दल के चौधरी चरण सिंह की नजर पड़ी और उन्होंने सत्‍यपाल को राजनीति की मुख्यधारा से जोड़ दिया।
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