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भारत में किसानों को गेहूं पर सब्सिडी, अमेरिकी सांसदों को दिक्कत, करेंगे शिकायत

jantaserishta.com
21 Jan 2022 6:29 AM GMT
भारत में किसानों को गेहूं पर सब्सिडी, अमेरिकी सांसदों को दिक्कत, करेंगे शिकायत
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नई दिल्ली: भारत में किसानों को गेहूं पर सब्सिडी के मामले को लेकर अमेरिका ने गहरी आपत्ति जताई है. अमेरिका के शीर्ष सासंदों ने जो बाइडन प्रशासन से आग्रह किया है कि विश्व व्यापार संगठन (World Trade Organisation) में भारत के खिलाफ शिकायत की प्रक्रिया शुरू कराएं. भारत सरकार किसानों को गेहूं के उत्पादन मूल्य के आधे से ज्यादा सब्सिडी देती है जिस पर अमेरिकी सांसदों को आपत्ति है और इस मुद्दे को विश्व व्यापार संगठन में उठाने की मांग कर रहे हैं.

अमेरिका कांग्रेस सदस्यों ने इसे लेकर जो बाइडन प्रशासन को एक पत्र लिखा है. अमेरिका का व्हीट एसोसिएट्स हमेशा से इस मसले पर भारत के खिलाफ कार्रवाई की मांग करता आया है और अब सांसदों के इस पत्र का उसने स्वागत किया है.
अमेरिकी कांग्रेस के 28 सांसदों ने अपने पत्र में लिखा कि भारत की सरकार अपने किसानों को अधिक सब्सिडी दे रही है जिसका नुकसान अमेरिका के उत्पादकों को हो रहा है. सांसदों का कहना है कि भारत की नीति से अंतर्राष्ट्रीय व्यापार नीति बर्बाद हो रही है.
पत्र में लिखा गया, 'अमेरिका के खाद्य उत्पादक अपने प्रतिस्पर्धियों से स्पष्ट रूप से नुकसान में काम कर रहे हैं. मुख्य रूप से भारत से, जहां सरकार चावल और गेहूं के उत्पादन के आधे से अधिक मूल्य पर सब्सिडी दे रही है. जबकि विश्व व्यापार संगठन का नियम है कि 10 प्रतिशत तक ही सब्सिडी दी जा सकती है.'
अमेरिका की व्यापार प्रतिनिधि कैथरीन ताई और कृषि सचिव टॉम विल्सैक को संबोधित पत्र में कहा गया है, 'हम चाहते हैं कि आप इस पर एक मुकदमे की शुरुआत करें. WTO के समर्थन मूल्य की भारत उपेक्षा कर रहा है. इसे रोकने के लिए जल्द से जल्द कार्रवाई करें.'
कांग्रेस सदस्यों ने लिखा कि अमेरिका विश्व व्यापार संगठन में भारत पर अपने मूल्य समर्थन कार्यक्रम में सुधार के लिए लगातार दबाव डालता रहा है लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ है.
सांसदों ने लिखा, 'भारत की गतिविधि को ध्यान में रखते हुए, हमारा मानना है कि आप WTO में शिकायत की प्रक्रिया शुरू करें.'
अमेरिकी कांग्रेस के सदस्यों का ये पत्र 13 जनवरी को सामने आया था. इसके एक महीने पहले भी सीनेट के 18 सांसदों ने इसी तरह का एक पत्र विल्सैक और कैथरीन को लिखा था. पत्र में सीनेटरों ने बाइडन प्रशासन से चावल और गेहूं उत्पादन के लिए भारत के घरेलू समर्थन के खिलाफ विश्व व्यापार संगठन के केस को आगे बढ़ाने का अनुरोध किया गया था.
अमेरिका ने पहले भी कृषि पर विश्व व्यापार संगठन की समिति में भारत के खिलाफ खाद्य सब्सिडी को लेकर शिकायत की है. सांसदों के इस कदम पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए यूएस व्हीट एसोसिएट्स ने एक बयान में कहा, 'यह खुशी की बात है कि कांग्रेस के कई सदस्यों ने कृषि सचिव टॉम विल्सैक और अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि कैथरीन ताई से भारत के गेहूं और चावल के समर्थन मूल्य के खिलाफ विश्व व्यापार संगठन में मुकदमे की बात कही है.'
अमेरिका में गेहूं उत्पादकों के नेशनल एसोसिएशन के सीईओ चांडलर गौले ने कहा कि भारत WTO का सदस्य है, इसलिए जरूरी है कि वो अपनी अंतर्राष्ट्रीय प्रतिबद्धताओं का पालन करे. भारत को अपने घरेलू उत्पादकों को अनुचित लाभ पहुंचाकर विश्व व्यापार को नुकसान करना जारी नहीं रखना चाहिए.
CEO ने कहा, 'सांसद इस मुद्दे को प्रशासन के सामने लाए जिसकी हम सराहना करते हैं. हम दुनिया में अमेरिकी गेहूं की प्रतिस्पर्धा बढ़ाने के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका के कृषि विभाग (USDA) और संयुक्त राज्य व्यापार प्रतिनिधि (USTR) के साथ काम करना जारी रखेंगे.'
USDA का अनुमान है कि 30 जून 2022 को समाप्त हो रहे मार्केटिंग ईयर में भारत 50 लाख मीट्रिक टन गेहूं बेचेगा. एक मीडिया रिलीज के मुताबिक, इससे विश्व बाजार में अन्य देशों को नुकसान होगा.
मीडिया रिलीज में कहा गया, 'भारत के गेहूं निर्यात से लगभग 280 लाख मीट्रिक टन गेहूं का स्टॉक बचा रह जाएगा. USW और USA राइस द्वारा कमीशन किए गए 2020 टेक्सास ए एंड एम यूनिवर्सिटी के अध्ययन के अनुसार, भारत की इन नीतियों से अंतर्राष्ट्रीय गेहूं और चावल के व्यापार को गंभीर नुकसान हो रहा है. इससे अमेरिकी गेहूं किसानों को प्रति वर्ष 50 करोड़ डॉलर से अधिक की हानि हुई है.'


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