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Yogi Adityanath: योगी आदित्यनाथ का राजनीति में एंट्री का मकसद क्या है? अब खुद बताया

jantaserishta.com
31 Dec 2021 4:53 AM GMT
Yogi Adityanath: योगी आदित्यनाथ का राजनीति में एंट्री का मकसद क्या है? अब खुद बताया
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लखनऊ: उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ ने राजनीति में एंट्री के अपने मकसद को बताय़ा है। उन्होंने कहा कि मैं माफिया राज को खत्म करने के लिए ही मठ छोड़कर राजनीति में आया था। योगी आदित्यनाथ ने 1994-95 के दौर का जिक्र करते हुए कहा कि मैं उस वक्त काफी युवा था। मठ का उत्तराधिकार नया ही मिला था। उस दौर में कई केस ऐसे सामने आए जब कारोबारियों और अन्य लोगों के घरों पर कब्जा किया गया। एक परिवार की दो हवेलियां ही माफियाओं के हवाले की जा रही थीं, जिसके डर से परिवार ने बिल्डिंग को ही गिरवा दिया। उन्होंने कहा कि ऐसी ही एक घटना में पब्लिक ने मेरे पहुंचने पर मकान कब्जा करने वाले गुंडों को पीटा था। सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा कि ऐसी घटनाओं के चलते ही मैंने राजनीति में जाने और माफिया राज को समाप्त करने का फैसला लिया।

यही नहीं टाइम्स ऑफ इंडिया को दिए इंटरव्यू में सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा कि माफिया कोरोना वायरस से भी बुरा होता है। कुछ चुनिंदा लोगों को ही टारगेट करने के आरोपों पर योगी आदित्यनाथ ने कहा कि माफिया सिर्फ माफिया होता है, उसकी कोई जाति या फिर धर्म नहीं होता। देश के सबसे बड़े सूबे के सीएम ने कहा कि भाजपा को इस चुनाव में 350 से ज्यादा सीटें मिलेंगी। सपा की ओर से बड़ा समर्थन मिलने के दावे पर योगी आदित्यनाथ ने कहा कि यह तो सभी को दिख रहा है कि उन्हें कितना सपोर्ट है। उनकी इस बेचैनी को कानपुर की घटना से हम समझ सकते हैं, जहां उन्होंने पीएम नरेंद्र मोदी की रैली से पहले माहौल खराब करने की कोशिश की थी।
एक अन्य इंटरव्यू में सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा कि हमारी सरकार यूपी में धामों का विकास कर रही है, जबकि पहले कब्रिस्तानों पर ही फोकस हुआ करता था। अपने चेहरे पर चुनाव लड़े जाने को लेकर किसी तरह की चिंता के सवाल पर योगी ने कहा कि हम अकेले ही माफिया से लड़ रहे हैं, कोई चिंता नहीं है। हमने अकेले ही इंसेफलाइटिस बुखार से लड़ने का काम किया है। पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व और मार्गदर्शन में शानदार काम हो रहा है। गौरतलब है कि यह पहला मौका है, जब भाजपा योगी आदित्यनाथ के चेहरे पर चुनावी समर में उतरने जा रही है। 2017 के चुनाव में भाजपा ने सीएम पद का कोई उम्मीदवार घोषित नहीं किया था और जीत के बाद योगी को कमान सौंपी गई थी।
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