मौत की सजा पाए 8 पूर्व नौसैनिकों के लिए क्या कर रही मोदी सरकार? नौसेना प्रमुख बोले
नई दिल्ली: नौसेना प्रमुख एडमिरल आर हरि कुमार ने शुक्रवार को कहा कि भारत सरकार कतर से उन आठ पूर्व नौसैनिकों को वापस लाने का हरसंभव प्रयास कर रही है जिन्हें मौत की सजा सुनवायी गई है। कतर की एक अदालत ने भारत के आठ पूर्व नौसैनिकों को मौत की सजा सुनाई है। एडमिरल कुमार ने संवाददाताओं से कहा, ”भारत सरकार उनकी वापसी सुनिश्चित करने के लिए हरसंभव प्रयास कर रही है।” भारतीय नौसेना के आठ पूर्व कर्मियों को कतर की एक अदालत ने 26 नवंबर को मौत की सजा सुनाई थी।
भारत ने कहा था कि वह इस फैसले से बेहद ”स्तब्ध” है और इस मामले में सभी कानूनी विकल्पों पर विचार कर रहा है। मौत की सजा के खिलाफ एक अपील दायर की जा चुकी है और कतर की एक उच्च अदालत ने इसे स्वीकार कर लिया है। कुमार ने एक प्रेसवार्ता में एक सवाल का जवाब देते हुए कहा, ”ये (जिन्हें कतर में मौत की सजा सुनायी गई है) नौसेना के पूर्व अधिकारी हैं… और हम यह सुनिश्चित करने में रुचि रखते हैं कि उनके कल्याण का ध्यान रखा जाए। मैं आपको आश्वस्त करना चाहता हूं कि भारत सरकार यह सुनिश्चित करने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है कि उन्हें वापस लाया जाए।”
ये सभी भारतीय नागरिक अल दाहरा कंपनी में काम कर रहे थे और इन्हें पिछले साल अगस्त में जासूसी के कथित मामले में हिरासत में लिया गया था। भारतीयों के खिलाफ लगाए गए आरोपों को न तो कतर के अधिकारियों और न ही नयी दिल्ली की ओर से ही सार्वजनिक किया गया है। कतर की अदालत के फैसले पर अपनी प्रतिक्रिया में विदेश मंत्रालय (एमईए) ने पिछले महीने कहा था कि वह इस मामले को ”उच्च महत्व” दे रहा है और सभी कानूनी विकल्प तलाश रहा है। भारतीय नौसेना के आठ पूर्व अधिकारियों के खिलाफ आरोप 25 मार्च को दायर किए गए और उन पर कतर के कानून के तहत मुकदमा चलाया गया। पूर्व सैन्य अधिकारियों ने कहा था कि सभी अधिकारियों का भारतीय नौसेना में 20 साल तक का ”बेदाग कार्यकाल” रहा है और उन्होंने बल में प्रशिक्षकों सहित महत्वपूर्ण पदों पर सेवाएं दी हैं। अल-दहरा ग्लोबल ने मई में दोहा में अपना परिचालन बंद कर दिया और वहां काम करने वाले सभी लोग (मुख्य रूप से भारतीय) घर लौट आए हैं।