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T-72 Tank: लद्दाख के दौलत बेग ओल्डी इलाके में टैंक अभ्यास के दौरान सेना के पांच जवान शहीद हो गए. ये जवान जिस टैंक पर सवार थे वो सेना का सबसे पुराना और भरोसेमंद टैंक T-72 था, जो पूर्वी लद्दाख की श्योक नदी में दुर्घटनाग्रस्त हो गया. भारत में इस टैंक को अलग-अलग नामों से बुलाया जाता है। कभी अजेय तो कभी शक्तिशाली. आइए जानें क्या है T-72 आर्मी टैंक का इतिहास.
भारत ने रूस से T-72 टैंक खरीदा
भारत ने रूस से टी-72 टैंक खरीदा। रूस ने इस टैंक का निर्माण 1960 के आसपास किया था। इस टैंक को सोवियत सेना ने अपनाया था। यह टी-72 टैंक 70 के दशक में भारतीय सेना में शामिल हुआ। ये एक ऐसा टैंक है जिससे दुश्मन डरते हैं. भारत के पास फिलहाल 2,000 से ज्यादा टी-72 टैंक हैं। इस टैंक में कई विशेषताएं हैं जो इसे अजेय और विश्वसनीय बनाती हैं।
सड़क पर गति 60 किमी/घंटा है.
टी-72 एक मुख्य युद्धक टैंक है जो दुश्मन के टैंक, बख्तरबंद वाहनों और उसके सैनिकों को आसानी से नष्ट करने में सक्षम है। इस टैंक को परमाणु, जैविक और रासायनिक हमलों से बचाने के लिए भी डिज़ाइन किया गया था। यह एक बहुत हल्का टैंक है, जो 780 एचपी की शक्ति विकसित करता है। यह टैंक अधिकतम 60 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से सड़क पर चल सकता है।
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Rajeshpatel
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