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अजित डोभाल अफगान मसले पर बैठक में क्या करने वाले हैं, भारत किस रणनीति पर देगा जोर

Renuka Sahu
7 Nov 2021 1:36 AM GMT
अजित डोभाल अफगान मसले पर बैठक में क्या करने वाले हैं, भारत किस रणनीति पर देगा जोर
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फाइल फोटो 

अफगानिस्तान में तालिबान शासन के बाद मानवीय संकट और सुरक्षा चिंताओं के मद्देनजर राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल की अगुवाई में होने वाली बैठक को काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है।

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। अफगानिस्तान में तालिबान शासन के बाद मानवीय संकट और सुरक्षा चिंताओं के मद्देनजर राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजित डोभाल की अगुवाई में होने वाली बैठक को काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। भारत का मानना है कि अफगानिस्तान की अस्थिरता भारत सहित पूरे क्षेत्र और दुनिया के लिए बड़ा खतरा हो सकती है। भारत को आंतरिक सुरक्षा के मद्देनजर भी नए खतरे नजर आ रहे हैं। बता दें कि 10 नवंबर को भारत दिल्ली क्षेत्रीय सुरक्षा डायलॉग का आयोजन कर रहा है।

सूत्रों का कहना है कि भारत की निगाह अफगानिस्तान में पाकिस्तान की संदिग्ध भूमिका पर भी है। भारत पाकिस्तान को आतंकवाद पर उसकी ढुलमुल नीति के मद्देनजर बेनकाब करना जारी रखेगा। सूत्रों का कहना है कि सुरक्षा जैसे महत्वपूर्ण मसले पर पाकिस्तान का रुख जाहिर करता है कि उसकी नीयत ठीक नही है। आतंकवाद को लेकर उसका रुख डांवाडोल है। वह तालिबान पर समावेशी शासन के लिए दबाव बनाने के बजाय अपने नापाक मंसूबो को आगे बढ़ाने की योजना पर काम कर रहा है।
गौरतलब है कि अफगानिस्तान पर अब तक की सभी बैठकें रूस और मध्य एशिया के साथ पश्चिम एशिया में आयोजित हुई हैं। अब भारत ने ऐसी पहल की है। बैठक में करीबी पड़ोसी देश बल्कि मध्य एशिया के सभी गणराज्य भाग ले रहे हैं। माना जा रहा है कि भारत आतंकवाद पर ठोस एक्शन प्लान और साझा रणनीति चाहता है। अफगानिस्तान में तालिबान का शासन होने से भारत, अमेरिका, रूस सहित दुनिया की चिंता बढ़ गई है।
भारत को आशंका है कि तालिबान का शासन नियमों, मानकों पर नही चला तो यह न केवल मध्य एशिया को अस्थिर करेगा, बल्कि अफगानिस्तान आतंक, तस्करी, नशीले पदार्थों व हथियारों का अड्डा बन जाएगा। इससे पहले भी भारत ने सभी प्रमुख मंचो पर अपनी चिंताएं जाहिर की थी। भारत का मानना है कि अगर समय पर कदम नहीं उठाए गए तो अफगानिस्तान की जमीन लश्कर-ए-तैयबा व जैश-ए-मोहम्मद जैसे प्रतिबंधित आतंकी संगठनों की पनाहगाह साबित हो सकती है। खासतौर पर कश्मीर में आतंकवाद के नए खतरों से जूझना पड़ सकता है। कट्टरपंथ के प्रसार को लेकर मिल रहे संकेत से भी भारतीय सुरक्षा एजेंसियां चिंतित हैं।


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