![सिद्धू क्या किया, गांधी परिवार को दगा दिया...| सिद्धू क्या किया, गांधी परिवार को दगा दिया...|](https://jantaserishta.com/h-upload/2021/09/29/1322810-pb-01.webp)
- सिद्धू का लाफ्टर शो... दी ग्रेट पॉलिटिकल कॉमेडी सर्कस का खेल शुरू
- सिद्धू न घर न घाट का
आला कमान नहीं झुकेगा, नए अध्यक्ष की तलाश शुरू?
नई दिल्ली (ए/नेट डेस्क)। पंजाब में जबरदस्त सियासी भूचाल आया हुआ है। कैप्टन अमरिन्दर सिंह चंडीगढ़ से दिल्ली के लिए निकले लेकिन कैप्टन दिल्ली पहुंचते इससे पहले नवजोत सिंह सिद्धू का इस्तीफा दिल्ली पहुंच गया। वहीं, कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक, नवजोत सिंह सिद्धू का इस्तीफा स्वीकार नहीं किया गया है। शीर्ष नेतृत्व ने राज्य नेतृत्व से पहले अपने स्तर पर मामले को सुलझाने को कहा है। इस बीच पंजाब कांग्रेस में एक बार फिर कैप्टन समर्थक खेमा ऐक्टिव हो गया है। कैप्टन के समर्थक विधायकों ने उनसे आलाकमान पर विधानसभा में फ्लोर टेस्ट करवाने का दबाव बनाने की मांग की है। पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू के इस्तीफे के बाद मंत्रियों और पार्टी के पदाधिकारियों ने भी इस्तीफा दे दिया। सिद्धू के इस्तीफे के बाद कांग्रेस के कोषाध्यक्ष पद से गुजराल इंदर चहल, पंजाब कैबिनेट की मंत्री रजिया सुल्ताना, पंजाब सरकार के शिक्षा मंत्री परगट सिंह, कांग्रेस के महासचिव पद से योगिंदर ढींगरा और पंजाब कांग्रेस के महासचिव (प्रभारी प्रशिक्षण) के पद से गौतम सेठ ने इस्तीफ़ा दे दिया है। इस उठा-पटक के बीच बुधवार सुबह पंजाब कैबिनेट की बैठक बुलाई गई है। इस बीच खबर है कि पंजाब में नए कांग्रेस अध्यक्ष की तलाश शुरू हो गई है। नवनीत बिट्टू, कुलजीत नागर इस रेस में आगे बताए जा रहे हैं। सूत्रों के अनुसार सोनिया गांधी ने राहुल गाँधी और प्रियंका गांधी को साफ़ कहा है, कि नवजोत सिंह सिद्धू मामले में किसी भी प्रकार की दखल ना दें. इसी वजह से राहुल गांधी अपने केरल दौरे पर कूच कर गए है. वही प्रियंका गांधी यूपी में डटी हुई है. एक ओर नवजोत सिंह सिद्धू दिल्ली में आलाकमान से मिलने के आस में बैठे है.
गौरतलब है कि 73 दिन पहले पंजाब कांग्रेस की कमान संभालने वाले नवजोत सिंह सिद्धू ने चार लाइन का इस्तीफा कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को भेजा दिया। सोनिया गांधी को लिखी चिठ्ठी में सिद्धू ने कहा है कि वो पंजाब के भविष्य के साथ समझौता नहीं कर सकते इसलिए इस्तीफा दे रहे हैं। हालांकि सिद्धू ने अपनी चिठ्ठी में ये भी लिखा है कि वो कांग्रेस के लिए काम करते रहेंगे। सिद्धू ने इस्तीफे में ये नहीं लिखा है कि वो किस बात से नाराज हैं लेकिन जानकारों का कहना है कि ये सही है कि राहुल गांधी ने सिद्धू की जिद के कारण कैप्टन अमरिन्दर सिंह को हटाने का फैसला किया। ये भी सही है कि सिद्धू के कहने पर ही चरणजीत सिंह चन्नी को चीफ मिनिस्टर बनाया लेकिन मुश्किल ये है कि चन्नी सिद्धू की उम्मीद के मुताबिक उनकी लाइन पर नहीं चल रहे हैं।
पंजाब की राजनीति में भूचाल
सीएम चन्नी की विदाई हो जाएगी?: इस बीच सवाल सामने है कि सिद्धू को अभी तक पूरे मामले में आलाकमान का पूरा साथ मिला है। ऐसे में अब मौजूदा सीएम चरणजीत सिंह चन्नी का का क्या होगा। यदि सिद्धू का सियासी दबाव काम कर गया तो कही चन्नी की विदाई तो नहीं हो जाएगी। हालांकि, कई जानकार मानते हैं कि चन्नी की विदाई इतनी जल्दी संभव नहीं है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक पार्टी आलाकमान ने अभी तक इस मामले में खुलकर कुछ नहीं कहा है। बताया जा रहा है कि पार्टी आलाकमान चाहता है कि पार्टी के राज्य इकाई के नेता अपने स्तर पर यह मामला सुलझाएं। इस पूरे मसले पर चर्चा के लिए मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने बुधवार को इमरजेंसी मीटिंग बुलाई है। बैठक में सभी कैबिनेट मंत्रियों को शामिल होने को कहा गया है। इस मीटिंग में ही तय होगा कि सिद्धू को मनाया जाएगा या नहीं।
क्या पंजाब में फ्लोर टेस्ट होगा?: इस बीच खबर है कि पंजाब में कांग्रेस के भीतर से ही फ्लोर टेस्ट की मांग उठ रही है। मंगलवार को दिनभर की उठापटक के बीच कैप्टन अमरिंदर सिंह खेमे के विधायकों ने विधानसभा में फ्लोर टेस्ट कराने की मांग कर दी। उससे पहले आम आदमी पार्टी ने नए सीएम के शपथ ग्रहण के दिन ही फ्लोर टेस्ट की मांग की थी। ऐसे में सवाल उठता है कि अगर विधानसभा में शक्ति परीक्षण की बात आई तो क्या नए सीएम चरणजीत सिंह चन्नी अपनी सरकार बचा पाएंगे?
तीन खेमों में बंट गई है पार्टी : मौजूदा हालात में कांग्रेस पार्टी तीन भागों में बंटी हुई नजर आती है। इसमें एक खेमा कैप्टन अमरिंदर सिंह तो दूसरा खेमा नवजोत सिंह सिद्धू का है। वहीं, तीसरा खेमा सीएम चरणजीत सिंह चन्नी का भी बन गया है। तीनों ही खेमे के नेता यह दावा कर रहे हैं कि उनके पास ज्यादातर विधायक हैं मगर विधायकों की संख्या तो 77 ही है। और अगर फ्लोर टेस्ट पास करना है तो 117 सीटों वाली विधानसभा में 59 विधायकों का समर्थन चाहिए। तो क्या इन तीनों खेमों में से किसी के भी पास 59 विधायक है या नहीं।
पटियाला में सिद्धू का घर बना रणनीतिक केंद्र, क्या होगा अगला कदम?
क्रेडिट - मंजू सिंह चौहान (आर्टिस्ट )
पंजाब कांग्रेस में लंबे समय तक चले गतिरोध के बाद उम्मीद की जा रही थी चरनजीत चन्नी की सरकार शांतिपूर्वक चलेगी। नवजोत सिंह सिद्धू के खेमे के साथ चली लंबी रस्साकशी के बाद कैप्टन अमरिंदर को हटना पड़ा। लेकिन अब फिर एक नए संघर्ष की शुरुआत हो चुकी है। राज्य पार्टी अध्यक्ष सिद्धू ने मंगलवार को इस्तीफा देकर चंडीगढ़ से दिल्ली तक राजनीतिक सरगर्मियां बढ़ा दी। सिद्धू के बाद उनके समर्थक नेताओं ने भी इस्तीफे दिए। देर शाम तक सिद्धू के पटियाला के यादवींद्र एनक्लेव स्थित घर पर नेताओं, मीडिया का जमावड़ा लगना शुरू हो गया। वरिष्ठ पार्टी नेताओं कुलजीत नागरा, इंदरजीत बुलारिया, रजिया सुल्ताना, कुलविंदर डैनी, परगट सिंह, सुखपाल खैरा, कुलबीर ज़ीरा, निर्मल सिंह सुतराना जैसे नेताओं ने सिद्धू से बातचीत की। बैठक के बाद नवजोत सिंह सिद्धू के करीबी माने जाने वाले विधायक परगट सिंह ने कहा, 'एक-दो मुद्दे हैं, बात हो गई है। कई बार गलतफहमी हो जाती है, हम उन्हें हल कर लेंगे। इन सबके बीच यह भी खबर आई कि सिद्धू का इस्तीफा टॉप लीडरशिप ने स्वीकार नहीं किया है और उन्हें मनाने की कोशिश जारी है। कहा जा रहा है कि टॉप लीडरशिप नहीं चाहता है कि उसे एक बार फिर कैप्टन और सिद्धू जैसे विवाद का सामना करना पड़े। चुनाव अगले कुछ ही महीनों में होने हैं, ऐसे में पार्टी में शांति और एकजुटता बेहद जरूरी है
अब सीएम चन्नी का क्या होगा?, फ्लोर टेस्ट की उठी मांग
लेकिन इन सारी चीजों के बीच माना जा रहा है कि अगले कुछ दिनों तक सिद्धू के पटियाला स्थित घर पर नेताओं की आवाजाही बढ़ी रहेगी। सिद्धू खेमा भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरे गुरजीत सिंह को कैबिनेट में शामिल किए जाने से नाराज बताया जा रहा है। ऐसे में खेमे की तरफ से इसे लेकर दबाव बढ़ाया जा सकता है। सिद्धू कैंप यह भी आशा कर रहा है कि अभी 50 पार्टी नेताओं के इस्तीफे होने चाहिए जिससे पार्टी हाईकमान पर दबाव बन सके। सूत्रों के मुताबिक कुछ विधायकों ने सिद्धू से कहा है कि उनके इस्तीफे के कारण उन इलाकों में विवाद बढ़ सकता है जहां पर पार्टी नेता कैबिनेट विस्तार को लेकर पहले से नाराज हैं।
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