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पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव 2021: बैटल ऑफ नंदीग्राम, 70% हिंदू आबादी को साधने ममता का चंडी पाठ, पूरे देश में इस सीट की चर्चा

jantaserishta.com
11 March 2021 4:30 PM GMT
पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव 2021: बैटल ऑफ नंदीग्राम, 70% हिंदू आबादी को साधने ममता का चंडी पाठ, पूरे देश में इस सीट की चर्चा
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फाइल फोटो 

बैटल ऑफ नंदीग्राम

बंगाल में राजनीति का सबसे बड़ा अखाड़ा बन चुका नंदीग्राम एक छोटा सा उनींदा कस्बा है। यहां पहुंचते ही डामर की सड़क के दोनों तरफ कच्ची-पक्की दुकानें नजर आती हैं, लेकिन चुनावी माहौल का रंग यहां बाकी बंगाल से गहरा नजर आता है। थोड़ी ही देर में यह एहसास होने लगता है कि यहां से राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी चुनाव लड़ रही हैं।

नंदीग्राम 2007 में देशभर में सुर्खियों में आया था, तब यहां जमीन अधिग्रहण विरोधी आंदोलन के चलते 14 लोगों की मौत हो गई थी। आंदोलन का नेतृत्व ममता बनर्जी कर रहीं थीं। इस आंदोलन के चलते ही ममता ने 34 साल से चले आ रहे वाम का किला 2011 में ध्वस्त कर दिया और तृणमूल सत्ता में आई। आज 14 साल बाद एक बार फिर नंदीग्राम देशभर में चर्चा का विषय है। इस बार यहां से ममता चुनाव लड़ रही हैं और उन्हें चुनौती दे रहे हैं कभी उनके करीबी सहयोगी रहे शुभेंदु अधिकारी। नंदीग्राम में हुए आंदोलन का नेतृत्व ममता ने किया था, लेकिन उसके नायक शुभेंदु थे। अब वे BJP में शामिल हो चुके हैं।
यदि पूरे नंदीग्राम विधानसभा क्षेत्र की बात की जाए तो यहां वोटर्स की संख्या करीब 3 लाख है। यह पूर्व मेदिनीपुर जिले में आता है। विधानसभा के नजरिए से देखें तो यह दो भागों नंदीग्राम-एक और दो में बंटा हुआ है। नंदीग्राम-एक में अल्पसंख्यक समुदाय की आबादी करीब 35 फीसदी है। वहीं, दो में 15 फीसदी के करीब है। पूरे विधानसभा क्षेत्र की बात करें तो यहां 70 फीसदी हिंदू और 30 फीसदी मुस्लिम रहते हैं। 2011 में यहां से 60.2% वोट के साथ TMC की फिरोज बीबी जीती थीं। 2016 में TMC के ही शुभेंदु अधिकारी 67.8% वोट से जीते। इससे पहले यह सीट वामपंथियों का और उसके पहले कांग्रेस का गढ़ हुआ करती थी।
ध्रुवीकरण के डर से ममता ने खेला हिंदू कार्ड
वोटों का ध्रुवीकरण न हो इसलिए इस बार ममता ने यहां पहले ही हिंदू कार्ड खेल दिया है। मंगलवार को वे नंदीग्राम पहुंची थीं। उन्होंने TMC कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए यह तो बताया ही कि कैसे वे नंदीग्राम-सिंगूर आंदोलन में हर एक कदम पर लोगों के साथ खड़ी रहीं। साथ ही उन्होंने मंच से ही चंडी पाठ भी किया और कई मंत्र भी पढ़े। जब वे मंत्रोच्चार कर रहीं थीं, तब उनके समर्थक माइक के सामने शंख, घंटी भी बजा रहे थे। पूरा नजारा देखकर ऐसा लग रहा था कि आप किसी मंदिर में आ गए हों।
अपने संबोधन में ममता ने ये भी कहा कि वे अपना नाम भूल सकती हैं, लेकिन नंदीग्राम का नहीं। संबोधन के बाद वे तीन मंदिरों (हरि मंदिर, दुर्गा मंदिर और शिव मंदिर) में गईं। साथ ही एक दरगाह में भी उन्होंने सजदा किया। नंदीग्राम में ही ममता ने एक घर को भी अगले कुछ समय के लिए अपना स्थायी ठिकाना बना लिया है। मकान मालिक का नाम है, फारुक अहमद जो आर्मी से रिटायर हुए हैं। उन्होंने कहा कि दीदी जब तक चाहें, तब तक यहां रह सकती हैं। सब दीदी का ही है।
सड़क, बिजली से लेकर सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल तक बना
नंदीग्राम में पिछले दस साल में पक्की सड़कें बनी हैं। पहले कई गांवों तक बिजली नहीं पहुंची थी। अब हर गांव में बिजली है। एक हॉस्पिटल था, लेकिन ममता सरकार ने उसे सुपर स्पेशलिटी बना दिया, जिससे बड़े डॉक्टर हॉस्पिटल में बैठने लगे। कॉलेज की भी नई बिल्डिंग बनी है। घरों में नल से पानी आने लगा है। कुछ जगह अभी काम चल भी रहा है। बस स्टैंड पर एक बहुमंजिला विश्राम घर भी निर्माणधीन है। ये सब काम किए तो TMC सरकार ने ही हैं, लेकिन चेहरा शुभेंदु अधिकारी रहे हैं, क्योंकि वे ही TMC से यहां के विधायक थे।अब वे BJP में शामिल हो चुके हैं। ऐसे में ममता और शुभेंदु में वोट बंटते दिख रहे हैं।
TMC के जल संसाधन मंत्री और मेदिनीपुर जिला में तृणमूल कांग्रेस के सभापति सोमेन महापात्रा कहते हैं, 'नंदीग्राम से कौन लड़ रहा है, ये मायने नहीं रखता। जीतेंगी यहां से ममता बनर्जी ही क्योंकि उन्होंने यहां बहुत काम किया है। रेल लाइन तक की सुविधा उनके रेल मंत्री रहते हुए ही नंदीग्राम को मिली। उनके सामने शुभेंदु दूसरे नहीं बल्कि तीसरे नंबर पर चले जाएंगे, क्योंकि यहां हिंदू कार्ड नहीं चलेगा। यहां हिंदू-मुस्लिम मिलकर दीवाली-ईद मनाते हैं।'
स्थानीय लोग ममता की स्कीम्स से खुश नजर आ रहे
स्थानीय लोग ममता सरकारी की स्कीम्स से खुश नजर आ रहे हैं। मोहम्मद नूर उल हक कहते हैं, 'जो चावल दो रुपए किलो मिलता था, लॉकडाउन के बाद से अब तक वो फ्री में मिल रहा है। हर महीने दो किलो चावल और तीन किलो फ्री गेंहू की स्कीम अब भी लागू है। बच्चों की स्कूल ड्रेस, जूते से लेकर कॉपी-कलम तक फ्री मिलता है। कन्याश्री योजना के तहत 25 हजार रुपए मिलते हैं। इसलिए हम दीदी के काम से बहुत खुश हैं।'
गुलाम मुतर्जा कहते हैं, 'ममता बनर्जी ने पक्की सड़क बनाई। स्वास्थ्य साथी कार्ड बनाया। लड़की को शादी करने पर 25 हजार रुपए मिलते हैं। साइकिल मिलती है और मोबाइल-टैब के लिए भी पैसे मिलते हैं। इसलिए हम चाहते हैं कि, दीदी ही फिर जीतें।' वहीं, किराना दुकान संचालक सविता सिंह कहती हैं, 'यहां सब काम शुभेंदु ने किए हैं। वो हमारे साथ शुरू से खड़े रहे। इसलिए हम उनको ही वोट देंगे। बंटी कहते हैं, स्कीम्स तो बहुत सारी हैं, लेकिन फायदा TMC से जुड़े कार्यकर्ताओं को ही होता है। बाकी लोगों तक प्रधान मदद नहीं पहुंचने देते।'
वरिष्ठ पत्रकार प्रभाकर मणि तिवारी कहते हैं, 'ममता CM हैं, इसलिए उन्हें थोड़ा फायदा तो मिलेगा, लेकिन नंदीग्राम में शुभेंदु की भी जमीनी पकड़ कम नहीं है। यदि ममता नंदीग्राम हारती हैं तो समझिए वे बंगाल हार रही हैं।' एक्सपर्ट्स के मुताबिक, ममता ने नंदीग्राम में खुलकर हिंदू कार्ड इसलिए भी खेला है क्योंकि वे 70 फीसदी आबादी को नाराज नहीं करना चाहतीं। जबकि यदि कुछ मुस्लिम वोट दूर भी चले जाते हैं तो उन्हें बहुत ज्यादा फर्क नहीं पड़ेगा।
नंदीग्राम, ममता का मास्टरस्ट्रोक
नंदीग्राम से चुनाव लड़ने को ममता का मास्टरस्ट्रोक माना जा रहा है। इसके पीछे तर्क यह है कि यदि वे यहां से चुनाव नहीं लड़ती तो TMC की तरफ से कोई मुस्लिम उम्मीदवार होता। ऐसा होने पर विपक्षी पार्टी को हिंदू कार्ड खेलने का मौका मिल जाता। वहीं ममता के लड़ने से शुभेंदु एक तरह के मानसिक दवाब में आ जाएंगे और उन्हें अपना पूरा ध्यान नंदीग्राम पर ही लगाना होगा।
अधिकारी परिवार का पूरे मेदिनीपुर में असर है। इसलिए ममता शुभेंदु को नंदीग्राम तक ही सीमित भी रखना चाहती हैं। उनके यहां से चुनाव लड़ने से TMC कार्यकर्ताओं का मनोबल भी बढ़ा है। साथ ही पूरे मेदिनीपुर में इसका असर दिख सकता है। हालांकि शुभेंदु अधिकारी ने दावा किया है कि वो ममता को 50 हजार वोटों से हराएंगे। BJP यहां पीएम मोदी की सभा करवाने की कोशिश कर रही है। अभी तो नंदीग्राम में TMC के ही झंडे, बैनर-पोस्टर नजर आ रहे हैं। चुनाव से पहले ममता यहां तीन रोड शो करने की तैयारी में हैं।
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