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हमने 3 साल में 250 ऐतिहासिक निर्णय लिए, हमारे कामकाज से विपक्ष हाशिए पर पहुंचा: हेमंत सोरेन
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29 Dec 2022 3:50 AM GMT
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रांची (आईएएनएस)| झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा है कि कोविड और सुखाड़ जैसी आपदाओं और तमाम तरह की चुनौतियों के बावजूद उनकी सरकार ने अपने तीन वर्षो के कार्यकाल में जितने साहसिक और दूरदर्शी निर्णयों को जमीन पर उतार दिखाया है, उतना 20 साल में नहीं हो पाया था।
बुधवार को आईएएनएस के साथ एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि वर्ष 2023 को वह अपनी सरकार के लिए इंप्लीमेंटेशन और एक्शन के वर्ष के रूप में देख रहे हैं। उनका संकल्प है कि आने वाले दिनों में झारखंड पिछड़ा राज्य होने के धब्बे को मिटाकर विकास, रोजगार और खुशहाली की नई कहानियां लिखेगा।
सोरेन ने केंद्र के साथ टकराव, राज्य की रिक्रूटमेंट पॉलिसी के अदालत से खारिज होने, खनन घोटाले में ईडी की कार्रवाई, वर्ष 2024 में राज्य और लोकसभा के चुनाव सहित विभिन्न मुद्दों पर खुलकर बातचीत की। प्रस्तुत हैं बातचीत के मुख्य अंश :
प्रश्न : 29 दिसंबर को आपकी सरकार तीन साल पूरे कर रही है। अब तक के कार्यकाल का आकलन का आप कैसे करते हैं?
उत्तर : हमारी सरकार बनी ही थी कि कोविड का संकट सामने आ गया। इस दौरान भी हमने लोगों की जिंदगी बचाने से लेकर देश-दुनिया में फंसे झारखंड के लोगों को सुरक्षित घर लाने में कोई कसर बाकी नहीं छोड़ी। डेढ़-दो साल तक महामारी से लड़ ही रहे थे कि पूरा राज्य सुखाड़ की चपेट में आ गया। कायदे से हमारी सरकार को सिर्फ एक साल ऐसा मिला, जब हम आपदाओं की छाया से मुक्त होकर काम कर पाए। इसके बाद भी हमने तीन साल के इस कालखंड में ही ऐसे ऐतिहासिक, साहसिक और दूरदर्शी निर्णय लिए, जितने 20 साल में नहीं लिए जा सके थे। हमने पिछड़े, दलित, आदिवासी, अल्पसंख्यक, महिला और उपेक्षित तबके के लोगों के चेहरे पर मुस्कान लौटाई है। आने वाले वर्ष के लिए हमारा संकल्प है कि हम झारखंड का पिछड़ा होने का दाग मिटा दें। हमारी सरकार ने अब तक 250 से ज्यादा ऐसे निर्णय लिए हैं, जो राज्य को विकास के नए रास्ते खोलेंगे।
प्रश्न : आपकी सरकार की नियोजन नीति (रिक्रूटमेंट पॉलिसी) को अदालत ने असंवैधानिक बताते हुए खारिज कर दिया। युवा नौकरियों के सवाल पर सड़क पर उतरे हैं। इसे किस रूप में देखते हैं?
उत्तर : हमारी सरकार ने राज्य के मूलवासियों और स्थानीय लोगों को ज्यादा से ज्यादा सरकारी नौकरियां देने के उद्देश्य से यह नीति बनाई थी। हर राज्य की सरकार अपने सूबे के लोगों को प्राथमिकता देती है। हमारी यह पॉलिसी भाजपा और बाहरी लोगों को नहीं पची। उन्होंने षड्यंत्र रचा कि पॉलिसी लागू ही न होने दी जाए। अदालत में हमारी रिक्रूटमेंट पॉलिसी के खिलाफ जो 20 लोग गए थे, उनमें एक भाजपा का नेता और बाकी 19 लोग यूपी-बिहार के हैं। ये वही लोग हैं, जो नहीं चाहते कि यहां के लोगों को नौकरी मिले। मेरे पास आंकड़े हैं कि राज्य में पहले की भाजपा सरकार में जो नियुक्तियां हुईं, उसमें 75 फीसदी बाहरी लोग आ गए। अब हम हाईकोर्ट के निर्णय के कानूनी पहलुओं पर विचार कर रहे हैं। जल्द ही तय करेंगे कि आगे सुप्रीम कोर्ट जाना है या फिर क्या करना है, लेकिन नियुक्तियों और रोजगार का सिलसिला रुकने नहीं देंगे।
प्रश्न : तीन वर्षो में जेपीएससी (झारखंड पब्लिक सर्विस) और जेएसएससी (झारखंड स्टाफ सेलेक्शन कमीशन) ने सिर्फ एक-एक परीक्षा ली। क्या राज्य का युवा उम्मीद करे कि 2023 में नियुक्तियों की रफ्तार बढ़ेगी?
उत्तर : देखिए, पेड़ लगते ही फल नहीं देने लगते। हमारे यहां 20 साल में जेपीएससी के लिए नियमावली नहीं थी। हमने बनाई और पहली बार रिकॉर्ड समय में जेपीएससी ने सिविल सर्विस का रिजल्ट निकाला। जेएसएससी की नियुक्तियों में जो तकनीकी अड़चनें थीं, उन्हें भी हम दूर करने में लगे हैं। जेएसएससी ने नियुक्तियों के जो विज्ञापन निकाले हैं, उनमें आठ लाख आवेदन आए हैं। यह पहली बार हो रहा है। सारी चीजें पाइपलाइन में हैं और जल्द ही युवाओं के हित में सब कुछ अच्छा होगा।
प्रश्न : एक हजार करोड़ रुपए के अवैध खनन घोटाले में ईडी की कार्रवाई चल रही है। आपसे भी पूछताछ हुई है। इसे किस रूप में देखा जाना चाहिए?
उत्तर : सरकार बनने के साथ ही भाजपा और विपक्ष ने हमारे खिलाफ साजिशें रचनी शुरू की। राजनीतिक तौर पर ये लोग हमारे सामने टिकने की बात तो दूर, एक पत्ता तक हिलाने में सफल नहीं रहे। ऐसे में ये लोग ईडी-सीबीआई का सहारा लेकर हमें अस्थिर करना चाहते हैं। इन जांच एजेंसियों का कनविक्शन रेट 0.5 फीसदी है। केंद्र की जांच एजेंसियां विपक्षियों के खिलाफ ज्यादा सक्रिय हैं। भाजपा पोषित राज्यों में कितनी कार्रवाई हुई? बोलने की जरूरत नहीं, सब कुछ स्पष्ट रूप से दिखता है। शुतुरमुर्ग जैसे सिर छुपा लेने से शरीर नहीं दिखता? जहां अरबों-खरबों का घोटाले हो रहे, बैंकों के हजारों करोड़ रुपये लेकर चंपत हो जा रहे हैं, वहां कितनी कार्रवाई हो रही है। भगवान जाने भगोड़ों के 5 लाख करोड़ रुपये कब आएंगे। यहां चवन्नी-अठन्नी ढूंढने में लगे हुए हैं। राज्य में 100-200 छापों से क्या मिला? कुछ पैसे कहीं-कहीं मिले। पता चला कि बीजेपी के लोग हैं तो उन्हें छोड़ दिया। एजेंसियां ईमानदारी से काम करें तो हमें आपत्ति नहीं, लेकिन गलत तरीकों पर हमारी भी आपत्ति है।
प्रश्न : झारखंड सरकार और केंद्र के बीच टकराव की स्थिति बार-बार क्यों पैदा हो रही है? क्या दोनों सरकारों के बीच रिश्ते अच्छे नहीं हो सकते?
उत्तर : हमने केंद्र से अपने अधिकार मांगे हैं। यह कहां गलत है? झारखंड को जीएसटी कंपनसेशन जारी रखा जाना चाहिए। हम प्रोड्यूसिंग स्टेट हैं, कंज्यूमर स्टेट नहीं हैं। हमें उस तरह से नहीं देखा जाना चाहिए, जैसे वे गुजरात को देखते हैं। जीएसटी कंपनसेशन बंद होने से राज्य को पांच हजार करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा है। कोल कंपनियों पर हमारा एक लाख 36 हजार करोड़ बकाया है। हमने यह मांगा है। अपनी वाजिब मांग उठाना कहां गलत है। इन बातों को लेकर हम लगातार आग्रह कर रहे हैं। देना उनको है। हमें हमारा हक मिले तो हम टकराव क्यों लेना चाहेंगे?
प्रश्न : राजभवन और आपकी सरकार के रिश्ते पर क्या कहेंगे?
उत्तर : राजभवन से हमारे रिश्ते वैसे ही हैं, जैसे होने चाहिए।
प्रश्न : क्या आपके सत्ताधारी गठबंधन ने वर्ष 2024 के चुनावों की तैयारी शुरू कर दी है? सरकार की ओर से लिए जा रहे लोकप्रिय फैसलों को इसी नजरिए से देखा जा रहा है? तो आगामी चुनावों को लेकर क्या संभावनाएं देखते हैं?
उत्तर : देखिए, हम भारतीय जनता पार्टी नहीं हैं। वे पांचों साल, 365 दिन और 24 घंटे चुनावी तैयारी और रणनीति में जुटे रहते हैं। हमलोग चुनाव के वक्त ही चुनावी मोड में आते हैं। रही बात आगे की संभावनाओं की, तो हमारी सरकार ने अपने कामकाज की बदौलत राज्य में विपक्ष को सियासी तौर पर हाशिए पर पहुंचा दिया है। तीन सालों में राज्य में चार उपचुनाव हुए। चारों में उन्हें बुरी तरह पराजित होना पड़ा। हमें अपने काम पर भरोसा है। पहली बार राज्य में आदिवासियों, मूलवासियों, पिछड़ों, अल्पसंख्यकों, दलितों, महिलाओं के चेहरे पर मुस्कान लौटाई है हमारी सरकार ने।
प्रश्न : साहिबगंज में रेबिका पहाड़िन की बर्बर हत्या हुई। दुमका में अंकिता कांड हुआ। ऐसी कई घटनाएं हुईं, जिसे लेकर लॉ एंड ऑर्डर पर सवाल उठा।
उत्तर : हमने पहले भी कहा है कि इस तरह की घटनाएं देश के किस राज्य में नहीं हो रही हैं? दिल्ली में ऐसी घटनाएं हुईं। यूपी, एमपी- हर जगह से ऐसी खबरें आती हैं। ऐसे अपराधों के पीछे मानसिक विकृतियां हैं। ये हमारे लिए उतनी ही चिंता का विषय हैं, जितना पूरे देश के लिए। इन्हें रोकने के लिए पूरे देश और पूरे समाज को मंथन करना होगा। इन वारदात को लॉ एंड ऑर्डर से जोड़कर देखना गलत है। किसी राज्य का लॉ एंड ऑर्डर खराब होता है तो लोग घर से निकलकर सड़क पर आने में घबराते हैं। झारखंड में तो ऐसी स्थिति कतई नहीं है। जो घटनाएं हो रही हैं, उसमें पुलिस त्वरित कार्रवाई कर रही है। गिरफ्तारियां हो रही हैं। ऐसे लोगों को सजा देने का काम तो अदालत का है।
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