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हमें चाइना या जापान नहीं बल्कि भारत बनने पर जोर देना होगा: केंद्रीय मंत्री सत्य पाल सिंह बघेल
jantaserishta.com
28 Dec 2022 10:13 AM GMT
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फाइल फोटो
नई दिल्ली (आईएएनएस)| हमें चाइना या जापान नहीं बल्कि भारत बनने पर जोर देना होगा और उस दिशा में मेहनत करनी होगी। हमें एक बार फिर से चाणक्य का भारत बनाना होगा। नई शिक्षा नीति का जिक्र करते हुए भारत सरकार के कानून राज्य मंत्री प्रोफेसर सत्य पाल सिंह बघेल ने यह बात कही। उन्होंने बच्चों और उनके अभिभावकों से निवेदन किया कि अपनी सैलरी को शिक्षा की तरफ खर्च करें क्योंकि इससे ही हम बेहतर भविष्य की उम्मीद कर सकते हैं। बघेल ने शिक्षक की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए कहा कि एक शिक्षक के मन में किसी भी प्रकार का द्वेष नहीं होना चाहिए, चाहे वह जाति के आधार पर हो, वह रंग के आधार पर हो, धर्म के आधार पर हो। एक कक्षा में सभी बच्चों को समान नजर से देखना और सभी बच्चों पर एक समान मेहनत करना ही शिक्षक का पहला कत्र्तव्य होना चाहिए।
इस दौरान उन्होंने जामिया मिल्लिया इस्लामिया केंद्रीय विश्ववविद्यालय के डॉ आसिफ उमर को टीचर्स एक्सीलेंस अवॉर्ड से सम्मानित किया। बघेल ने डॉ उमर को सम्मानित करते हुए कहा कि जामिया समेत सभी शिक्षण संस्थानों को शिक्षकों के प्रयासों से ही उपलब्धियां मिल रही हैं।
यह सम्ममान अखिल भारतीय शिक्षक वार्षिक सम्मेलन 2022 में किया गया। शिक्षक कल्याण फाउंडेशन और जन सेवा समिति द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम का विषय था, 'राष्ट्रीय शिक्षा नीति, शिक्षा का वर्तमान परि²श्य 2025'।
इस अवसर पर भारत सरकार के ग्रामीण विकास राज्य मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते भी मौजूद थे। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय के एडिशनल सेक्रेटरी संतोष यादव (आईएएस) थे।
फग्गन सिंह कुलस्ते ने कहा कि नई शिक्षा नीति में सरकार ने हर वर्ग के लोगों का ध्यान रखा है। शिक्षा के सूर्य को हर घर तक ले जाने का प्रयास है। यह नीति बच्चों को भाषा की जंजीर से आजाद कर देगी क्योंकि इस नीति में बच्चों को अपनी मातृभाषा में भी पढ़ाई पूरी करने की बात कही गई है। देश के छोटे से छोटे गांवों के बच्चे जो भाषा के कारण शिक्षा से महरूम रह जाते थे, उस समस्या का समाधान इस नई शिक्षा नीति में है। इस अवसर पर देशभर के शिक्षाविद मौजूद थे। देश के अलग-अलग हिस्सों से आए हुए शिक्षकों और छात्र-छात्राओं को भी इस अवसर पर सम्मानित किया गया।
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