हम 2030 तक देश से बाल विवाह के खात्मे के प्रति आश्वस्त : भुवन ऋभु
देश में 2030 तक बाल विवाह को पूरी तरह खत्म करने का रणनीतिक खाका पेश करने वाली पुस्तक 'व्हेन चिल्ड्रेन हैव चिल्ड्रेन : टिपिंग प्वाइंट टू इंड चाइल्ड मैरेज' पर विश्व पुस्तक मेले में सामाजिक उद्यमी व टेड स्पीकर तृप्ति सिंघल सोमानी ने किताब के लेखक और प्रख्यात अधिवक्ता भुवन ऋभु के साथ गहन चर्चा की। इस अवसर पर किताब के प्रकाशक प्रभात प्रकाशन के निदेशक प्रभात कुमार व पीयूष कुमार भी मौजूद थे। अक्टूबर 2022 में प्रकाशित होने के बाद इस किताब ने जमीन पर काम कर रहे गैरसरकारी संगठनों और सरकारी एजेंसियों के बीच खासी लोकप्रियता अर्जित की है और यह इस मामले में अनूठी है कि तमाम सरकारी एजेंसियों के साथ 160 से ज्यादा गैरसरकारी संगठन किताब में बताई गई रणनीतियों को अंगीकार करते हुए बाल विवाह के खात्मे के लिए अभियान चला रहे हैं।
देश में बाल विवाह के खात्मे के लिए तमाम प्रयासों के बावजूद वैश्विक संगठनों का नजरिया इसके बारे में खासा नकारात्मक है और संयुक्त राष्ट्र के महासचिव का कहना है कि भारत में इस बुराई के खत्म होने में 300 साल लग सकते हैं। लेकिन भुवन ऋभु ने इन दावों से असहमति जताते हुए कहा कि इस किताब में देश को 2030 तक बाल विवाह से मुक्त कराने का ठोस रणनीतिक खाका है जिस पर अमल भी हो रहा है। संयुक्त राष्ट्र महासचिव के अनुमानों को खारिज करते हुए उन्होंने कहा, “मेरा दृढ़ता से मानना है कि आज का भारत इतना आत्मविश्वासी और आत्मनिर्भर है कि उसे अपना रास्ता तय करने के लिए किसी बाहरी दिशानिर्देश और ज्ञान की जरूरत नहीं है। ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ के मूल्यों वाले भारत ने ज्ञान और आध्यात्मिकता में हमेशा दुनिया की अगुआई की है तथा अपने समतामूलक मूल्यों और साहस के साथ हर लड़ाई में विजेता बना है। हमें पता है कि हमें अपनी लड़ाई कैसे लड़नी है और इसे जीतना कैसे है।”
श्रोताओं से खचाखच भरे हाल में भुवन ऋभु ने वर्ष 2030 तक देश से बाल विवाह का खात्मा करने के लिए सुझाई गई ‘पिकेट’ रणनीति के बारे में भी विस्तार से चर्चा की। उन्होंने कहा कि हमने समस्या पर बहुत बात कर ली। अब समय समाधान केंद्रित उपाय खोजने का है और बाल विवाह की रोकथाम के लिए जमीनी समाधानों और हर स्तर पर काम करने की जरूरत है। पिकेट रणनीति यही है। उन्होंने कहा, “पिकेट रणनीति 2030 तक बाल विवाह के खात्मे के लक्ष्य को हासिल करने के लिए सरकार, समुदायों, गैर सरकारी संगठनों और बाल विवाह के लिहाज से संवेदनशील बच्चियों के हक में नीतियों, निवेश, संम्मिलन, ज्ञान-निर्माण और एक पारिस्थितिकी जहां बाल विवाह फल-फूल नहीं पाए और बाल विवाह से लड़ाई के लिए निरोधक और निगरानी तकनीकों की मांग पर एक साथ काम करने का आह्वान करती है। हमारा लक्ष्य सरकारी महकमों से लेकर कानून प्रवर्तन एजेंसियों और नागरिक समाज जैसे तमाम हितधारकों के विराट लेकिन बिखरे हुए प्रयासों को एक ठोस आकार और दिशा देना है।”
दशकों से बाल अधिकारों के लिए काम कर रहे भुवन ऋभु से तृप्ति सोमानी ने यह भी पूछा कि किताब लिखने का विचार इतनी देर से क्यों आया। इस पर उन्होंने कहा, “बाल विवाह बच्चों से बलात्कार है और अगर हम अपने बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करने में विफल हो जाते हैं तो कुछ और शेष बचता नहीं। कानून यह बताता है कि क्या सही है लेकिन जब तक यह आम लोगों तक नहीं पहुंचता, तब तक यह कागजी ही रहता है। लिहाजा हमारे सामने चुनौती है कि इन नीतियों और कानूनों का लाभ जमीन पर आखिरी बच्चे तक पहुंचे। हमारे लिए अहम यह है कि बाल विवाह सार्वजनिक विमर्श का मुद्दा बने और इसीलिए हमने इसे किताब की शक्ल दी ताकि यह सभी तक पहुंच सके।”
'व्हेन चिल्ड्रेन हैव चिल्ड्रेन : टिपिंग प्वाइंट टू इंड चाइल्ड मैरेज' के अनुसार भारत से 2030 तक बाल विवाह का खात्मा संभव है जिसकी मौजूदा दर फिलहाल 23.3 प्रतिशत है।