दुनिया में गहराया जल संकट लोकल टेक्नोलॉजी से होगा हल, जानिए पूरी खबर
स्पेशल न्यूज़: संयुक्त राष्ट्र द्वारा निर्धारित सतत विकास लक्ष्यों में भारत ने अपनी पोजिशन न केवल बेहतर की है, बल्कि हम एक लीडर की तरह देखे जाने लगे हैं। जल और स्वच्छता के क्षेत्र में भारत ने नए आयाम रचे हैं। जल के विषय में हमने निर्धारित समयावधि से पहले लक्ष्य पूरे किए। तजाकिस्तान की राजधानी दुशांबे में आयोजित दूसरी वॉटर प्रोसेस कॉन्फ्रेंस में केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने यह दावा करते हुए कहा कि नया भारत 'वसुधैव कुंटुंबकम' की अवधारणा की सोच से आगे बढ़ रहा है और सहायता को भी तत्पर है। गजेन्द्र सिंह शेखावत ने तजाकित्सान के ऊर्जा और जल मंत्री जुमा दलेर शोफाकिर से भी मुलाकात की और कहा कि मंत्री शोफाकिर भारतीय संस्कृति को समझते व उनसे मिलकर मुझे हमेशा खुशी होती है।
केंद्रीय मंत्री ने दुशांबे वॉटर फेस्टिवल में भी शिरकत की। उन्होंने कहा कि तजाकिस्तान प्रवास एक अनोखा अनुभव साबित हो रहा है। दुशांबे वॉटर फेस्टिवल में मेहमाननवाज मित्र देश की खाद्य संस्कृति से परिचय हुआ। यहां अनेक देशों ने अपनी मौलिकता प्रदर्शित करते स्टॉल लगाए हैं। कहीं वाद्य यंत्र हैं, कहीं सुंदर म्यान में रखी तलवारें हैं। भारत का स्टाल भी अपनी छटा बिखेर रहा है। इससे पहले यहां आयोजित चर्चा में जल विशेषज्ञों ने तजाकिस्तान सहित दुनिया के कई देशों में तेजी से खत्म हो रहे ग्लेशियर, हजारो क्यूबिक किलोमीटर बर्फबारी न होने, जलवायु परिवर्तन के असर से जल स्रोत के प्रभावित होने पर चिंता जाहिर की। उन्होंने कहा कि हमे वित्तीय और तकनीकी विकास पर गौर करना होगा।
वक्ताओ ने इस बात पर जोर दिया कि नदियों, जल स्रोतों का सम्मान करें और उन्हें प्राकृतिक तौर पर बहने दें। स्थानीय तकनीक को वहां की अपनी भाषा में समझना होगा और उसे दुनिया भर में लागू करने की जरूरत है। थाईलैंड से पहुंचे प्रेम सिंह थारू ने स्थानीय तकनीक प्रकृति के समीप बताते हुए कहा, स्थानीय तौर तरीके न सिर्फ हमारी संस्कृति हैं, यह हमारी कई पीढ़ियों का सम्पूर्ण जीवन है। कई नदी किनारे रहने वाले समुदायों के उलेख करते हुए उन्होंने कहा कि हमारा जीवन पानी से ही है। मछुआरों की बिरादरी से लेकर स्थानीय लोग पानी को भगवान मानते हैं। वक्ताओं ने माना कि सरकारों के सामने विकास, बड़ी बड़ी परियोजनाओं को बनाने, रोजगार के लिए बड़े कल कारखाने लगाने की जरूरत है लेकिन इसके बावजूद जल सम्बन्धी मुद्दों की अनदेखी नहीं कि जा सकती है। यूएनडीपी की वरिष्ठ जल सलाहकार मरिएना कैल्जिन ने कहा कि दुनिया भर में स्थानीय तकनीक सबसे ज्यादा जांची परखी व परिणाम दे रही हैं इसलिए इनके विकास और संरक्षण पर ध्यान देने की आवश्यकता है। इस कांफ्रेंस में मैंने सीखा है कि हमे प्रकृति का सम्मान करना चाहिए और इस संदेश को दुनिया भर में ले जाना चाहिए। अमेरिका में होने वाली ग्लोबल कांफ्रेंस में यह चर्चा जारी रहनी चाहिए।
भारत से पहुंचे जलपुरुष राजेन्द्र सिंह ने बताया कैसे राजस्थान के अलवर जिले में लोग पलायन करने लगे लेकिन कुछ वर्षों में ही पानी की उपलब्ध होने के बाद ये लोग वापिस ही नहीं आये इन्होंने पानी उपलब्ध होने के बाद हरित क्रांति में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। स्थानीय संस्कृति, तकनीक को सम्मान देना होगा। सभी शक्तिशाली ताकतों को यह ध्यान रखना होगा कि पानी से धरती है और उससे ही जीवन है और उसी जीवन को व्यापार से जोड़ सकते हैं इसलिए पूरी दुनिया के सभी निर्मणकर्ताओ को विकास की भाषा इसतरह से रचनी होगी जिससे पानी और उसके सम्मान करने वाले और पुरानी परंपरा, तकनीक सलामत रहे। उन्होंने सिर्फ मुनाफे के लिए जल स्रोतों को बर्बाद करने से बचाने की अपील करते हुए कहा कि आज जरूरत है कि सभी अपने अपने स्तर पर काम कर सकें। दक्षिण अफ्रीका से आये जोराम ने कहा कि अगर सरकार को बदलना है तो अपने परिवार, मोहल्ले से शुरुआत होनी चाहिए। यूनाइटेड नेशंस के मुख्यालय से सम्बंधित जॉन ने कहा कि पानी के बिना कुछ भी नहीं बचेगा और इसे समझने की जरूरत है। जल स्रोतों को बचाने के हर तकनीक को प्रमुखता देकर जीवन बचाना होगा क्योंकि जल दोहन के घातक परिणाम दिखाई देने लगे हैं। दुनिया भर में नीति निर्धारकों को स्थानीय तौर तरीकों को बिंदु में रखते हुए आगे बढ़ने की जरूरत है। हम इन सभी पहलुओं पर जल्द ही पेपर जारी करेंगे।
कांफ्रेंस में रोड मैप के तौर पर तय किया गया कि सभी ऐसी तकनीक को दुनिया भर में लोकप्रिय बनाने के प्रयास किये जायें। इसके लिए दुनिया भर में विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया जाए, अनौपचारिक समूहों का गठन किया जाये और उनके बीच चर्चा को बढ़ाया जाए। इसके लिए दुनिया भर की भाषाओं को एक ऐसी भाषा में पिरोया जाए जिसमे यह जानकारी सभी को सुलभ हो सके।