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18 April 2022 2:34 PM GMT
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जयपुर: करीब 14 माह बाद हुई नगर निगम ग्रेटर की साधारण सभा की बैठक में सदन की गरिमा को तार-तार कर दिया. पहली बार सदन में किसी अधिकारी के खिलाफ निंदा प्रस्ताव लाया गया. आपस में कांग्रेस और भाजपा पार्षद उलझते हुए नजर आए नौबत हाथापाई तक पहुंच गई. पार्षद हाथों में तख्तियां लेकर जूते पहनकर सदन की टेबल पर चढ़ गए. हंगामा बढ़ता देख बैठक को स्थगित करना पड़ा. मेयर सौम्या गुर्जर की अध्यक्षता में हुई बैठक में डोर टू डोर कचरा संग्रहण और अस्थाई बीट्स लगाने का प्रस्ताव पारित होने के बाद कहानी में अचानक नया मोड आ गया.



नगर निगम जयपुर ग्रेटर में ब्यूरोक्रेसी और जनप्रतिनिधियों के बीच टकराव देखने को मिला. चेयरमैन जितेन्द्र श्रीमाली ने आयुक्त यज्ञमित्र सिंह देव के खिलाफ निंदा प्रस्ताव सदन में रख दिया. पहली बार किसी अधिकारी के खिलाफ साधारण सभा में निंदा प्रस्ताव लाया गया तो इसके जवाब में आयुक्त ने इस प्रस्ताव पर विरोध किया और उन्होंने सभी कर्मचारियों-अधिकारियों को सदन से बाहर चलने का इशारा किया. आयुक्त के इशारे के बाद सदन में बैठे सभी अधिकारी-कर्मचारी अपनी-अपनी सीट से खड़े हो गए और 2 मिनट बाद ही आयुक्त के साथ ये सभी सदन से वॉकआउट करके चले गए. इसके बाद सर्वसम्मति से कांग्रेस और भाजपा के 100 पार्षदों ने इस प्रस्ताव पर मुहर लगाई. हालांकि विधि विशेषज्ञों का कहना है कि निंदा प्रस्ताव नहीं लाया जा सकता है. इसका एक्ट में कोई प्रावधान नहीं है.
आयुक्त और अधिकारियों के इस रवैये के बाद पूरे सदन की कार्यवाही पर सवाल खड़े हो गए. क्योंकि सदन की कार्यवाही की तमाम प्रोसेडिंग और रिकॉर्डिंग अधिकारी-कर्मचारी सदस्य सचिव के निर्देश पर ही करते है. वहीं, अधिकारियों के इस कदम के बाद सदन में मौजूद पार्षदों ने मेयर संग बैठक को संचालित किया और निंदा प्रस्ताव लाने पर सहमति देते हुए प्रस्ताव को मंजूर करने का निर्णय किया. नगर निगम के इतिहास में पहली बार ऐसा देखने को मिला है, जब सदन का पक्ष या विपक्ष के सदस्यों के बजाए निगम के अधिकारी वॉकआउट करके चले गए. इसे सीधे तौर पर व्यवस्थापिका और कार्यपालिका के बीच टकराव भी माना जा रहा है. इधर सदन से वॉकआउट करने के बाद आयुक्त ने तुरंत सभी अधिकारियों को ईसी हॉल में बुलाया और इस मामले पर मंथन के लिए सभी अधिकारियों संग चर्चा की.
सूत्रों की माने तो आयुक्त इस मामले पर सभी अधिकारी प्रस्ताव तैयार करके इस मामले में राज्य सरकार को अपना पक्ष रख सकते हैं. आयुक्त यज्ञमित्र सिंह देव ने कहा की नियम-12 के तहत सदन में व्यक्तिगत आरोप नहीं लगाए जा सकते हैं. दरअसल, सुबह ही निंदा प्रस्ताव लाने पर सहमति बन गई थी. इस पूरी कार्ययोजना को गुप्त रखा गया था. हालांकि निगम आयुक्त को पहले से इसकी भनक थी. इसलिए पहले से अधिकारी बायकॉट को तैयार थे. जैसे ही सफाई और अस्थाई श्रमिकों का प्रस्ताव पास किया. भाजपा पार्षद और चेयरमैन जितेंद्र श्रीमाली ने निंदा प्रस्ताव पढ़ा. इसके बाद भाजपा पार्षदों ने इस समर्थन कर दिया. जैसे ही श्रीमाली ने निंदा प्रस्ताव पढ़ना शुरू किया, उसी समय आयुक्त यज्ञमित्र सिंह देव अपने सभी कार्मिकों के साथ वॉकआउट कर गए. निंदा प्रस्ताव को लेकर कांग्रेस में दो फाड़ नजर आई. ज्यादा पार्षद प्रस्ताव आते ही निकल लिए, लेकिन एक दर्जन पार्षदों ने इसका समर्थन किया. इन सभी पार्षदों ने अपने सीट से खड़े होकर निंदो प्रस्ताव का समर्थन किया। भाजप पार्षदों ने भी इसी तरह निंदा प्रस्ताव का समर्थन किया.
सभासद भवन से निकलने के बाद आयुक्त ने ईसी हॉल में अधिकारियों के साथ बैठक की और भाजपा के इस प्रस्ताव पर नाराजगी जताई. उन्होंने कहा कि बैठक के दौरान पार्षदों ने अधिकारियों पर व्यक्तिगत आक्षेप लगाए गए. मैंने उन्हें समझाया कि व्यक्तिगत आक्षेप नहीं लगाया जा सकता है. नियम 12 में स्पष्ट है कि कोई भी सदस्य द्वारा अधिकारी पर आक्षेप नहीं लगाया सकता है. जो प्रकरण में न्यायालय में विचाराधीन है, उस पर विचार नहीं हो सकता है. फिर भी ज्यादातर पार्षद ने अधिकारी के खिलाफ निंदा प्रस्ताव पारित किया गया। एडिशनल प्रस्ताव आ सकता है, लेकिन उसका नियम है. कोई भी सदन अधिकारी की गरिमा का हनन नहीं कर सकता है. उधर महापौर सौम्या गुर्जर ने कहा कि निंदा प्रस्ताव को सरकार को भेजा जाएगा प्रस्ताव। जनता के रुके हुए कार्य करवाना हमारी पहली प्राथमिकता हैं. हम चाहते हैं जनता की सेवा हो. जल्द ही दोबारा बैठक बुलाएंगे. उन्होंने निंदा प्रस्ताव के दौरान आयुक्त्रा के चले जाने पर कहा कि राज्य सरकार को लिखा जाएगा कि बिना अध्यक्ष की अनुमति के आयुक्त् अधिकारियों को वहां से कैसे लेकर चले गए. अधिकारियों के व्यवहार से सभी पार्षद परेशान थे, उनकी नहीं सुनी जा रही थी. भाजपा पार्षद महेश सैनी ने जोन उपायुक्त ममता नागर पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए. उन्होंने कहा कि मेरे वार्ड के स्वीकृत सफाई कर्मचारी कहा हैं. उपायुक्त ने उन्हें अपने पास रखा है या भ्रष्टाचार करती हैं ? इस पर ममता नागर ने दो टूक जवाब देते हुए कहा कि पार्षद आरोप सिद्ध करें नहीं तो सदस्यता से इस्तीफा दें. अगर आरोप सिद्ध हो जाते हैं तो मैं नौकरी छोड़ दूंगी.
सफाई पर चर्चा के दौरान पार्षद हरीश शर्मा ने गहलोत सरकार पर कुछ कह दिया. इसे लेकर हंगामा खड़ा हो गया. एक तरफ से नरेंद्र मोदी जिंदाबाद तो दूसरी तरफ से अशोक गहलोत जिंदाबाद के नारे लगे. हंगामा इतना बढ़ गया कि सभा को 30 मिनट के लिए स्थगित कर दिया गया. भाजपा पार्षद विकास ने कांग्रेस पार्षद कैलाश खारड़ा को टोपी वाला कह दिया. इस बात को लेकर हंगामा खड़ा हो गया. इसे लेकर भाजपा और कांग्रेस पार्षदों में हाथापाई भी हुई. मामला बढ़ा तो महापौर ने विकास को सदन से बाहर करवाया. हालांकि मामला शांत होने के बाद विकास वापस सदन में आ गए.
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