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Nilmani Pal
14 Oct 2022 12:30 PM GMT
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गौरेला पेंड्रा मरवाही। सहायक आयुक्त आदिवासी विकास के सौजन्य से जनपद पंचायत गौरेला के 12 गांवों के वन अधिकार समितियों के अध्यक्षों एवं सदस्यों को वन अधिकार कानून की जानकारी दी गई। एकीकृत आदिवासी विकास परियोजना गौरेला के सभाकक्ष में आयोजित प्रशिक्षण के दूसरे दिन आज ग्राम पंचायत बस्ती, बगरा, आमगाँव, टीकरखुर्द, लमना एवं पूटा के सचिव, सरपंच और वन अधिकार समिति के अध्यक्ष, सदस्य, पटवारी और वन विभाग के बीट गार्ड उपस्थित थे।


जिला रिसोर्स पर्सन सुश्री रीना रामटेके ने प्रशिक्षण में सभी प्रतिभागियों से परिचय प्राप्त करने के बाद उन्हें वन अधिकार कानून 2006 के बारे में जानकारी दी। उन्होंने वन अधिकार कानून के तहत गठित त्रिस्तरीय समितियों- ग्राम वन अधिकार समिति, उपखंड स्तर समिति एवं जिला स्तर समिति के कार्य एवं भूमिका पर प्रकाश डाला। उन्होने वन अधिकार कानून के अंतर्गत धारा 3 (1) में दिये गए प्रावधान सामुदायिक वन अधिकार जिसमें निस्तार के अधिकार, गौण वनोपज संकलन, जैव विविधता, पारंपरिक ज्ञान, बौद्धिक सम्पदा और जल संपत्ति के अधिकार के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने धारा 3 (1) (झ) के अंतर्गत सामुदायिक वन संसाधन अधिकार के तहत दावा प्रक्रिया के बारे में जानकारी दिया तथा दावा प्रक्रिया के पूर्व ग्राम सभा में कोर समिति के गठन और वन अधिकार समिति के भूमिका के बारे में भी जानकारी दी।

उन्होंने गांव के पारंपरिक सीमा चिन्हांकन एवं पहचान के दौरान गाँव के बुजुर्ग से लिखित सहमति लेने और स्थल सत्यापन के दौरान वन विभाग एवं राजस्व विभाग के भूमिका के बारे में बताया। उन्होने कोर समिति के कार्य में ग्राम संसाधन नक्शा बनाने के लिए सहयोग एवं पड़ोसी गाँव से सहमति लेने की प्रक्रिया और उप खंड स्तरीय समिति कीे भूमिका सहित वन अधिकार कानून की विभिन्न पहलुओं से अवगत कराया। प्रशिक्षण में गौरेला ब्लॉक के रिसोर्स पर्सन चन्द्र प्रताप सिंह, बीआरपी साहेब सिंह, संत कुमार जगत भी उपस्थित थे।

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