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Nilmani Pal
16 May 2022 12:31 PM GMT
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मुंबई। महाराष्ट्र (Maharashtra) में मराठी फिल्म धर्मवीर रिलीज हो गई है. जहां बीते रविवार शाम मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे (CM Uddhav Thackeray) दिवंगत नेता आनंद दिघे पर बनी बॉयोपिक फिल्म धर्मवीर देखने गए थे. दरअसल, एक्शन ड्रामा से भरपूर यह फिल्म बीते 13 मई को रिलीज हुई थी. हालांकि, इससे पहले शनिवार को मुंबई में फिल्म का ट्रेलर लॉन्च हुआ है. बता दें कि ये फिल्म दिवंगत शिवसेना नेता आनंद दिघे पर एक मराठी फ़िल्म बनायी गयी हैं, जिसका नाम हैं धर्मवीर है. बता दें कि इसी फ़िल्म का एक सीन न देखते हुए उद्धव ठाकरे थिएटर से बाहर आ गए थे.

दरअसल, महाराष्ट्र के सीएम ठाकरे ने बताया कि ये सीन तब का है जब शिवसेना नेता आनंद दिघे का ऐक्सिडेंट होता हैं और वे अस्पताल मैं भर्ती होते हैं. चूंकि, साल 2001 में दिघे ने आपनी आख़िर सांस ठाणे शहर के सिंघानिया अस्पताल में ली थी. जहां पर इलाज के दौरान उनकी मौत हुई थी. उद्धव ठाकरे जोकि तब शिवसेना के सिर्फ़ नेता माने जाते थे. वो उनसे मिलने और उनकी तबियत का हालचल तक पूछने नहीं गए थे. हालांकि, तब और आज जब वे थिएटर से फिल्म अधूरी छोड़कर आए. तब भी एक अच्छी ख़ासी बहस हो रही है. आखिर क्यों उद्धव ठाकरे ने वो सीन अधूरा छोड़ा ?

वहीं, जब इस बारे में सीएम उद्धव ठाकरे से इसके बारे में पूछा गया तब उन्होंने कहां कि मैं आख़िरी सीन नहीं देख पाया , क्योंकि ये हमपर हुआ बड़ा आघात था. उस दौरान मैने दुखी बालसाहेब ठाकरे देखे है. इस दौरान फ़िल्म में काम किए कलाकारों की सराहना करते समय ठाकरे ने कहा कि प्रसाद ओक जिन्होंने आनंद दिघे जी की भूमिका अदा की हैं. उन्होंने बताया कि मुझे पूरी फ़िल्म देखते वक्त कभी ऐसा नहीं लगा कि वो प्रसाद है. मुझे वो आनंद दिघे जी ही लगे. हर किसी ने दिघे जी से सीख लेने की ज़रूरत है कि कैसे जीवन जिया जाए . हर शहर में एक आनंद दिघे चाहिए जो हमारी माता और बहनों को सुरक्षित रखे. दिघे एक आदर्श शिवसैनिक थे. जिन्होंने अपना पूरा जीवन सिर्फ़ और सिर्फ़ लोगों के लिए समर्पित किया था.

बता दें कि साल 2001 में दिवगंत शिवसेना नेता आनंद दिघे जब गणपति उत्सव के दौरान रात को घर वापस लौट रहे थे तब उनका ऐक्सिडेंट हुआ था. जिसके चलते उनका पैर फ़्रैक्चर हो गया था. जहां ठाणे के सिंघानिया अस्पताल में उनका इलाज चल रहा था. इसी दौरान शिवसेना के कई नेता उन्हें मिलकर आए थे, जिसमें राज ठाकरे और नारायण राणे भी शामिल थे. लेकिन उद्धव ठाकरे उन्हें मिलने नहीं गए थे. तब ये एक सुर्खियों का विषय बना हुआ था. लेकिन आनंद दिघे का जाना बालसाहेब के लिए एक बड़ा झटका था. क्योंकि बालसाहेब ने पूरे ठाणे जिले की जिम्मेदारी उन्हें दी थी.

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