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देश में कोरोना के मामले (Corona Cases) फिर बढ़ रहे हैं. बच्चों में संक्रमण के बढ़ते मामले चिंता बढ़ा रहे हैं. संक्रमण के ऐसे मामले दिल्ली समेत नोएडा और गाजियाबाद में भी बढ़ रहे हैं. देश की R वैल्यू (R-Value) में हो रही बढ़त बता रही है कि स्थिति फिर बदल रही है. चेन्नई (Chennai) के इंस्टीट्यूट ऑफ मैथमेटिकल साइंस के विशेषज्ञों का कहना है कि देश में कोरोना की भयाहता को बताने वाली R वैल्यू पिछले 3 महीनों में 1.0 के खतरनाक स्तर को पार कर गई है. R वैल्यू का जो स्तर 5 से 11 अप्रैल के बीच 0.93 था वो 12 से 18 के बीच 1.07 तक पहुंच गया.
R वैल्यू का पूरा नाम है रीप्रोडक्शन वैल्यू. वायरस के संदर्भ में समझें तो वायरस का रिप्रोडक्शन यानी वायरस का बढ़ता दायरा. इस वैल्यू के जरिए यह बताया जाता है कि कोरोना से संक्रमित हुए एक इंसान से कितने लोग बीमार हो रहे हैं. R वैल्यू के बढ़ते असर को एक उदाहरण से समझ सकते हैं. जैसे- अगर कोरोना से 100 लोग संक्रमित हैं और इन्होंने दूसरे नए 100 लोगों को संक्रमित किया है तो ऐसी स्थिति में R वैल्यू 1 होगी. अगर सबसे पहले संक्रमित हुए 100 लोग 50 इंसानों को संक्रमित कर रहे हैं तो R वैल्यू 0.50 होगी. आसान शब्दों में समझें तो इससे पता चलता है कि संक्रमण कितनी तेजी से फैलेगा.
सिर्फ कोरोना के मामलों को देखकर इसे कैलकुलेट नहीं किया जा सकता. वैज्ञानिक इसे कैलकुलेट करने के लिए संक्रमण के कारण होने वाली मौतों की संख्या, हॉस्पिटल में भर्ती होने वाले मरीजों की संख्या, इनके भर्ती रहने का समय और कोरोना की जांच के आंकड़ों का इस्तेमाल करते हैं.
महामारी की शुरुआत से R वैल्यू को ट्रैक करने वाले चेन्नई के इंस्टीट्यूट ऑफ मैथमेटिकल साइंस के शोधकर्ता सीताभ्र सिंहा का कहना है, इससे पहले 16 से 22 जनवरी के बीच आर वैल्यू 1.0 से ऊपर पहुंच गई थी. तब तीसरी लहर थी और रोजाना 2 लाख मामले सामने आ रहे थे. ये मामले बढ़ने के लिए तीन राज्य जिम्मेदार थे, दिल्ली, हरियाणा और उत्तर प्रदेश. विशेषज्ञों का कहना है, R वैल्यू के 1.0 से ऊपर बढ़ने का मतलब यह नहीं है कि निश्चिततौर पर चौथी लहर आएगी. HT की रिपोर्ट के मुताबिक, मुम्बई, बेंगलुरू और चेन्नई में आर वैल्यू 1 से ऊपर पहुंच चुकी है, जबकि दिल्ली और उत्तर प्रदेश में यह 2.0 पहुंच चुकी है.