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Nilmani Pal
13 April 2022 12:35 PM GMT
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रूस (Russia) पर यूक्रेन (Ukraine) के हमले के बाद जिस तरह से दुनिया के मंच पर भारत (India) ने अपना रुख स्पष्ट रखा है उसके बाद से अमेरिका समेत उसके सहयोगी देश भारत को लेकर अपनी नाराजगी जता चुके हैं. इसी कड़ी में अब जर्मनी, भारत को जी-7 की बैठक में नहीं बुलाने पर विचार कर रहा है. जी-7 की बैठक जून में बावरिया में होने जा रही है. इस बैठक के लिए जर्मनी ने दक्षिण अफ्रीका, जर्मनी सेनेगल और इंडोनेशिया को बतौर गेस्ट निमंत्रण दे दिया है लेकिन भारत को बुलाने पर अभी जर्मनी में विचार विमर्श चल रहा है.


बताया तो यहां तक जा रहा है कि रूस और यूक्रेन का युद्ध जब शुरू हुआ था उस वक्त भारत का नाम मेहमानों की लिस्ट में था लेकिन जब से युद्ध को लेकर भारत ने अपना रुख साफ कर दिया है तक से कई देशों की भौंहे टेढ़ी हो गई हैं. बता दें कि भारत उन 58 देशों में शामिल था, जिन्होंने संयुक्त राष्ट्र की मानवाधिकार परिषद से रूस को निकालने के लिए किए गए मतदान में भाग लेने से इनकार कर दिया था. इसके साथ ही भारत ने अभी तक रूस पर किसी भी तरह के कोई प्रतिबंध नहीं लगाए हैं. भारत ने साफ किया है कि उसे अपने दुश्मनों को रोकने के लिए रूसी हथियारों की जरूरत है. जी-7 की बैठक को लेकर प्रवक्ता स्टेफेन हेबेस्ट्रीट ने बताया है कि अभी मेहमानों की लिस्ट फाइनल नहीं की जा सकी है. जैसे ही लिस्ट फाइनल हो जाएगी राजधानी बर्लिन से इसे लेकर फैसला सुना दिया जाएगा.

बता दें कि जर्मनी की तरह ही अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने भी रूस से तेल खरीदने पर भारत की आलोचना की थी. अमेरिका की इस आलोचना का जवाब देते हुए विदेश मंत्री जय शंकर ने कहा था भारत रूस से जितना तेल एक महीने में खरीदता है उतना यूरोपीय देश एक दिन के दोपहर तक में खरीद लेते हैं. अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कहा था कि रूस से तेल खरीद को बढ़ाना भारत के हित में नहीं है.

पूरी दुनिया को अब समझ में आ गया है कि भारत और रूस के बीच के रिश्ते काफी गहरे हैं. भारत ने हाल के कुछ दिनों में जिस तरह से रूस को लेकर अपना रुख स्पष्ट किया है वह बताता है कि भारत और रूस के बीच दशकों का जो आपसी रिश्ता और विश्वास है, भारत का रुख उसकी ही परिणिति है. इस समय भारत भले ही रूस का साथ दे रहा हो लेकिन कई ऐसे मौके आए हैं जब दुनिया के मंच पर रूस ने भारत का हाथ थामा है. कश्मीर के मुद्दे पर रूस ने कई बार भारत का संयुक्त राष्ट्र में साथ दिया है.

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