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दिल्ली। महंगाई की पड़ताल में आज का उत्पाद बीमा है. सर्फ, साबुन, पेट्रोल-डीजल, आटा-तेल, दूध-मक्खन, मोबाइल टैरिफ आदि की महंगाई से आप खीज चुके हों तो आज बारी बीमा (Insurance) की है. क्योंकि बीमा की कीमतें भी पॉलिसीधारकों के पसीने छुड़ा रहीं. बीमा एजेंट पॉलिसी रिन्यु के लिए पिछले साल से ज्यादा पैसा मांग रहे. यानी केवल जीवन जीने की लागत नहीं बढ़ी जोखिम की सुरक्षा भी महंगी हो गई. भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि जीवन बीमा बीते दो साल में 30 फीसदी महंगा हो गया. आगे और बढ़ेंगे इसकी तैयारी भी पुख्ता है. हेल्थ इंश्योरेंस, कार बीमा के प्रीमियम भी औसत 10 से 15 फीसदी बढ़ गए. दरअसल, कोविड ने बीमा के बाजार में सारे समीकरण ही बदल दिए. कोरोना से पहले न कभी इतने दावे आए और न ग्राहक बीमा के प्रति इतने जागरूक हुए.
नजीर के तौर पर स्वास्थ्य बीमा को लीजिए. जनरल इंश्योरेंस काउंसिल की रिपोर्ट बताती है कि वित्त वर्ष 2020-21 में बीमा कंपनियों ने स्वास्थ्य दावों के लिए कुल 7,900 करोड़ रुपए का भुगतान किया. कोविड आया तो भुगतान तेजी से बढ़ा. वर्ष 2021-22 में भुगतान की यह रकम बढ़कर 25,000 करोड़ रुपए पर पहुंच गई. यानी 300 फीसदी से ज्यादा. बीमा दावों में भारी वृद्धि हुई तो रिइंश्योरेंस की दरें 40 फीसदी तक बढ़ गई हैं. रीइंश्योरेंस मतलब जब कोई बीमा कंपनी अपने लिए किसी दूसरी कंपनी से बीमा खरीदती है तो उसे रिइंश्योरेंस कहते हैं. जैसे बैंकों का बैंक रिजर्व बैंक… ऐसे ही बीमा कंपनियों का बीमा करने वाली कंपनी रि इंश्योरेंस कंपनी.
अब जब बीमा कंपनियों के लिए प्रीमियम बढ़ा तो वे ग्राहकों तक पहुंचाएंगी ही. हालांकि जनरल इंश्योरेंस कंपनियों की शीर्ष संस्था जनरल इंश्योरेंस कौंसिल के महासचिव एमएन शर्मा कहते हैं कि कोविड काल में दावों के भुगतान को लेकर हेल्थ इंश्योरेंस कंपनियां दबाव में हैं. अब जब बीमा कंपनियों के लिए प्रीमियम बढ़ा तो वे ग्राहकों तक पहुंचाएंगी ही. हालांकि जनरल इंश्योरेंस कंपनियों की शीर्ष संस्था जनरल इंश्योरेंस काउंसिल के महासचिव एमएन शर्मा कहते हैं कि कोविड काल में दावों के भुगतान को लेकर हेल्थ इंश्योरेंस कंपनियां दबाव में हैं. नियमों के तहत स्वास्थ्य बीमा कंपनियां तीन साल के अंतराल पर प्रीमियम बढ़ा सकती हैं. लेकिन इसके लिए उन्हें बीमा नियामक इरडा से मंजूरी लेनी होती है.