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असम. मदरसा विवाद तूल पकड़ता जा रहा है. असम के मोरीगांव स्थित एक मदरसे को बुलडोजर से ढहा दिया गया. प्रशासन ने यूएपीए और डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट के तहत ये कार्रवाई की है. वहीं असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने बताया कि मदरसा अवैध था. उन्होंने कहा कि आतंकी मुस्तफा द्वारा संचालित जमीउल हुदा मदरसा ढहा दिया गया. यहां जो बच्चे पढ़ाई कर रहे थे, उन्हें विभिन्न स्कूलों में भर्ती करा दिया गया है.
असम में बीते दिनों पुलिस ने अलकायदा मॉड्यूल से जुड़े कुछ संदिग्धों को दबोचा था. पुलिस ने जिन आरोपियों को दबोचा था उसमें मुस्तफा उर्फ मुफ्ती मुस्तफा भी शामिल था. मुस्तफा मदरसा संचालक था. प्रशासन ने 4 अगस्त मुस्तफा के जमीउल हुदा मदरसे को बुलडोजर से धराशायी कर दिया. वहीं, विधानसभा में विपक्ष के नेता और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता देवव्रत सैकिया ने कहा कि एक कैबिनेट मंत्री ने हाल ही में आरोप लगाया था कि एआईयूडीएफ के राज्य में सक्रिय 'जिहादियों' से संबंध हैं. इस आरोप की जांच होनी चाहिए.
इस मामले में AIUDF के प्रमुख बदरुद्दीन अजमल ने कहा कि हमें उनसे (मदरसों में बुरे तत्वों से) कोई सहानुभूति नहीं है. वह जहां भी मिलें, सरकार उन्हें गोली मार दे. अगर मदरसों में 1-2 खराब शिक्षक होते हैं, तो सरकार को उन्हें हिरासत में लेना चाहिए और जांच पूरी होने के बाद उन्हें गिरफ्तार करना चाहिए. बदरुद्दीन अजमल ने कहा कि उनके कारण पूरे मुस्लिम समुदाय को जिहादी कहा जाता है, यह जिहाद नहीं है, यह आतंकवाद है. सरकार को उन्हें रोकना है, उन्हें अपनी सीमाओं की रक्षा करनी चाहिए और अपनी खुफिया जानकारी को मजबूत करना चाहिए.
दरअसल, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता देवव्रत सैकिया ने कहा कि इस मामले से संबंध रखने वाला कोई भी व्यक्ति जांच के दायरे से बाहर नहीं होना चाहिए. असम में हाल की जिहादी गतिविधियों और AIUDF से कथित संबंधों की उच्च स्तरीय जांच होनी चाहिए. सैकिया ने कहा कि एआईयूडीएफ का नाम फिर से सामने आ रहा है, इसलिए पारदर्शी जांच की जरूरत है. यहां तक कि मुख्यमंत्री ने भी पिछले साल आरोप लगाया था कि एआईयूडीएफ प्रमुख बदरुद्दीन अजमल एक विदेशी कट्टरपंथी संगठन के फंड से पार्टी चला रहे हैं.