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Nilmani Pal
15 April 2022 6:30 AM GMT
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भारत में एक बार फिर कोयले का संकट (Coal Crisis) गहराने लगा है, क्योंकि कई राज्यों ने कोयले की कमी की बात कही है. उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र समेत 10 राज्य कोयले की कमी से जूझ रहे हैं. इस वजह से अब इन राज्यों में बिजली संकट पैदा होने वाला है. यहां गौर करने वाली बात ये है कि सरकार ने भी अब मान लिया है कि देश में कोयले की किल्लत हो रही है. हालांकि, सरकार ने कहा है कि फिलहाल स्थिति नियंत्रण में है और हालात से निपटने के लिए जरूरी कदम उठाए जा रहे हैं. सरकार ने कहा कि उत्तर प्रदेश और पंजाब में कोयले की कमी नहीं देखने को मिल रही है. लेकिन राजस्थान, तमिलनाडु में कोयले की कमी को देखा गया है.


कोयले की कमी को लेकर पूछे एक सवाल का जवाब देते हुए केंद्रीय ऊर्जा मंत्री आरके सिंह ने कहा, 'पंजाब और उत्तर प्रदेश में कोयले की कमी देखने को नहीं मिली है. हालांकि, कुछ जगहों पर कोयले की कमी हुई है.' उन्होंने कहा, 'आंध्र प्रदेश, राजस्थान, तमिलनाडु में कोयले की कमी हुई है.' केंद्रीय मंत्री ने कोयला संकट की वजह बताते हुए कहा, 'ये कुछ परिस्थितियों की वजह से हुआ है. तमिलनाडु में कमी की वजह ये है कि वहां पर बहुत से प्लांट आयातित कोयले पर निर्भर हैं. लेकिन आज आयातित कोयले का दाम बढ़कर 140 डॉलर प्रति टन हो गया है. राज्य पूरी तरह से आयातित कोयले पर निर्भर है.'

केंद्रीय मंत्री ने कहा, 'आंध्र प्रदेश में भी कोयले की कमी है. यहां पर रेलवे द्वारा कोयला पहुंचाने में देरी हो रही है. इसके अलावा आंध्र प्रदेश के कोल प्लांट में विस्फोटक की कमी हुई है. ऐसा यूक्रेन-रूस के बीच चल रहे युद्ध की वजह से हुआ है.' कोयले की मांग को लेकर बात करते हुए उन्होंने कहा, 'हमारी कोयले की मांग काफी तेजी से बढ़ी है. जितनी तेज रफ्तार से मांग बढ़ी है, उतनी तेज रफ्तार से कभी भी मांग नहीं बढ़ी थी. ऐसे में हमारा कोयले का रिजर्व कम है. अगर आज की बात करें तो ये 9 दिनों का है. जबकि ये पहले 14 से 15 दिनों का हुआ करता था. ऐसे में ये बात सच है कि कोयले की मांग बढ़ी है, लेकिन सप्लाई इस रफ्तार से नहीं बढ़ी है.'

मीडिया रिपोर्ट्स में बताया गया कि देश के 10 राज्यों में कोयले की कमी हुई है. इसमें उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, बिहार, मध्य प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, झारखंड, राजस्थान और तेलंगाना शामिल हैं. चार राज्य ऐसे हैं, जहां बिजली की जितनी मांग है, उसके मुकाबले वहां उतनी बिजली नहीं पहुंच पा रही है. इसमें झारखंड, बिहार, हरियाणा और उत्तराखंड शामिल हैं. दूसरी ओर, उत्तर प्रदेश में 21 से 22 हजार मेगावाट बिजली की मांग है, जबकि यहां पर 19 से 20 हजार मेगावाट बिजली की सप्लाई हो रही है. महाराष्ट्र में भी कोयला संकट देखने को मिला है. लेकिन इसके लिए राज्य और केंद्र सरकार एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगा रही हैं.


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