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Nilmani Pal
11 April 2022 6:31 AM GMT
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प्रसिद्ध संतूर वादक पंडित तरुण भट्टाचार्य संगीत ( संगीत) नाटक अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किये गये हैं. नयी दिल्ली स्थित विज्ञान भवन में उप राष्ट्रपति वेंकैंया नायडू ने उन्हें यह पुरस्कार सौंपा. बता दें कि पंडित तरुण भट्टाचार्य (Pandit Tarun Bhattacharya) आज की तारीख में मैहर घराने के ताल्लुक रखने वाले एक मात्र संतूर वादक हैं, जो पिछले चार दशकों से ज्यादा समय से लगातार देश-विदेश में परफॉर्म कर रहे हैं. पुरस्कार प्राप्त करने के बाद मंगलवार को पंडित तरुण भट्टाचार्य संगीत नाटक अकादमी (Sangeet Natak Akademi) के कमानी ऑडिटोरियम में तबला वादक पंडित रामकुमार मिश्रा के साथ अपना प्रदर्शन देंगे. पंडित तरुण भट्टाचार्य ने खुद ट्वीट कर इसकी जानकारी दी है. उन्होंने कहा कि शास्त्रीय संगीत में देश की आत्मा बसती है.

पंडित तरुण भट्टाचार्य ने कहा कि उनकी यह उपलब्धि, उनकी सांगीतिक दक्षता में उनके पहले गुरु और पिता पंडित रवि भट्टाचार्य, उनके गुरु भारत रत्न पंडित रविशंकर और पंडित दुलाल राय के विश्वास पर मुहर जैसी है.

पंडित तरुण भट्टाचार्य को उपराष्ट्रपति वेंकैंया नाडयू ने सम्मानित किया. उन्होंने कहा कि पूरी दुनिया में शास्त्रीय संगीत को प्रोत्साहित करने के उनके अभियान में यह सम्मान और भी महत्वपूर्ण भूमिका अदा करेगा. वर्तमान में जिस तरह का सांस्कृतिक वातावरण है, उसमें शास्त्रीय संगीत को और भी बढ़ावा देने की जरुरत है. खास कर युवा पीढ़ी और बच्चों को इससे जोड़ने की जरूरत है. क्योंकि शास्त्रीय संगीत से लोगों में संस्कार पैदा होते हैं, जो न केवल देश और समाज बल्कि युवा के व्यक्तित्व के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है. बता दें कि पंडित तरुण भट्टाचार्य की देखरेख में हावड़ा में संतूर आश्रम का संचालन किया जाता है. इसमें प्रतिभाशाली बच्चों को शास्त्रीय संगीत की शिक्षा दी जाती है. पंडित तरुण भट्टाचार्य खुद बच्चों को शास्त्रीय संगीत की तालीम देते हैं.

बता दें कि हाल में पंडित तरुण भट्टाचार्य संगीत के श्रृंखलाबद्ध बड़े कार्यक्रमों में भागीदीरी के लिए अमेरिका में थे, पर उपरोक्त सम्मान ग्रहण करने के लिए उन्हें अपनी विदेश यात्रा में कटौती करनी पड़ी थी. पंडित भट्टाचार्य ने कहा कि अमेरिका में वह हिंदू युवा सहित कई संगठनों के कार्यक्रमों में हिस्सा लिया. देश और विदेश के युवा जिस तरह से शास्त्रीय कार्यक्रमों में रूचि ले रहे हैं और इसे सीखने की कोशिश कर रहे हैं. इससे साफ है कि भविष्य में शास्त्रीय संगीत का भविष्य और भी उज्जवल है.


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