देखें 2 बजे की LIVE बुलेटिन, और बने रहिए jantaserishta.com पर

राजस्थान। राजस्थान में मुख्यमंत्री पद की कुर्सी पर अशोक गहलोत काबिज रहेंगे या फिर सचिन पायलट विराजमान होंगे? इसे लेकर अब दोनों ही खेमे एक-दूसरे के खिलाफ आ गए हैं. कांग्रेस विधायकों का समर्थन जिस तरह से अशोक गहलोत के साथ है, उससे वो जयपुर में मजबूत दिख रहे हैं. वहीं, सचिन पायलट का खेमा भले ही इस बार खामोशी अख्तियार करके रखा हो, लेकिन उसे पार्टी हाईकमान का समर्थन हासिल है. इस तरह से राजस्थान में कांग्रेस के अंदर सीएम पद को लिए गहलोत और पायलट खेमे के बीच छिड़ी जंग में देखना होगा कि कौन बाजी मारता है?
माना जा रहा है कि कांग्रेस हाईकमान ने सचिन पायलट को मुख्यमंत्री पद की कुर्सी सौंपने का फैसला कर लिया है, लेकिन यह फैसला गहलोत खेमे के विधायकों को मंजूर नहीं है. अशोक गहलोत के समर्थक 82 विधायकों ने अपना इस्तीफा स्पीकर सीपी जोशी को सौंप दिया है. इन विधायकों का कहना है कि नए मुख्यमंत्री को लेकर फैसला गहलोत की मर्जी के मुताबिक होना चाहिए. गहलोत गुट ने पायलट को सत्ता से दूर रखने समेत 3 शर्तें पार्टी नेतृत्व के सामने रखी हैं, लेकिन हाईकमान भी झुकने को तैयार नहीं है.
गहलोत खेमा भले ही जयपुर में 80 से ज्यादा विधायकों के साथ मजबूत खड़ा दिख रहा हो, लेकिन इस बार पायलट के पीछे जिस तरह कांग्रेस नेतृत्व मजबूती के साथ खड़ा है, उसके चलते सीएम पद को लेकर टकराव बढ़ गया है. गहलोत गुट किसी भी सूरत में पायलट को सीएम के रूप में स्वीकार नहीं कर रहा है. यही वजह है कि गहलोत खेमे ने साफ तौर पर कहा है कि 2020 में पायलट के बगावत करने पर जिन 102 विधायकों ने सरकार बचाने का काम किया है, उनमें से किसी को भी बना दें उन्हें वो स्वीकार है, लेकिन पायलट नहीं. वहीं, कांग्रेस हाईकमान भी गहलोत खेमे के विधायकों की शर्तें मानने को तैयार नहीं है. कांग्रेस पर्यवेक्षक मल्लिकार्जुन खड़गे और अजय माकन को राहुल गांधी ने विधायकों के बजाय सीएम अशोक गहलोत से मुलाकात कर मामले का हल निकालने का स्पष्ट संदेश दिया है और साथ ही विधायकों की शर्तों को मानने से साफ इंकार दिया. इस बात का संकेत है कि पायलट के पीछे कांग्रेस आलाकमान पूरी तरह से मजबूती से खड़ा है.
