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मुंबई। महाराष्ट्र की सियासत में एकनाथ शिंदे के जरिए उद्धव ठाकरे के हाथों से सत्ता छीनने के बाद बीजेपी की नजर राज ठाकरे के जरिए बृह्नमुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) पर कब्जा जमाने की है. बीएमसी पर उद्धव ठाकरे की शिवसेना का साढ़े तीन दशकों से एकछत्र राज कायम है. सूबे में कांग्रेस और एनसीपी की सरकार आती रही, लेकिन शिवसेना के हाथों से बीएमसी को नहीं छीन सकी. ऐसे में बदले हुए सियासी माहौल में बीजेपी की कोशिश राज ठाकरे की पार्टी मनसे से हाथ मिलाकर बीएमसी से शिवसेना को बेदखल करने की है.
बता दें कि बीएमसी पर कब्जे का मतलब मुंबई पर राज करने और अपने सियासी प्रभुत्व को स्थापित करने का माध्यम है. शिवसेना का आगाज ही मुंबई से हुआ है. शिवसेना संस्थापक बाल ठाकरे ने पार्टी के जनाधार को मजबूत करने के लिए मुंबई के रेहड़ी-पटरी वालों के हक में आवाज उठाई. 1966 में शिवसेना का गठन हुआ और पांच साल बाद ही 1971 में पार्टी बीएमसी में अपना मेयर डॉ. एसएस गुप्ता को बनाने में कामयाब रही थी. इसके बाद शिवसेना ने पलटकर नहीं देखा. बीएमसी पर 1985 में शिवसेना ने अपना प्रभुत्व इतनी मजबूती से जमाया कि फिर उसे कोई दोबारा से नहीं तोड़ सका. सूबे के बदले सियासी माहौल में शिवसेना के इस मजबूत दुर्ग में बीजेपी ने सेंध लगाने का प्लान बनाया है, जिसके लिए राज ठाकरे को साथ लेने के लिए ताना-बाना बुना जा रहा है. हालांकि, इसे लेकर दोनों दलों की तरफ से आधिकारिक तौर पर कुछ नहीं कहा जा रहा, लेकिन लगातार हो रही हाईप्रोफाइल मुलाकात ऐसे संकेत दे रही हैं.
महाराष्ट्र के बीजेपी अध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले ने मंगलवार को मनसे प्रमुख राज ठाकरे से उनके आवास शिवतीर्थ पर जाकर मुलाकात की. इससे एक दिन पहले ही सोमवार को बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव विनोद तावड़े ने भी राज ठाकरे से मुलाकात की थी. वहीं, राज ठाकरे भी पिछले दिनों राज्य के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से मिलने मलाबार स्थित आवास पर पहुंचे थे. बीजेपी नेताओं की राज ठाकरे से बढ़ते मेल-मिलाप को बीएमसी चुनाव से जोड़कर देखा जा रहा है.
दरअसल, 2017 के चुनाव में शिवसेना अकेले बीएमसी चुनाव लड़ी थी और 227 सीटों में से उसे 84 सीटें मिली थीं तो बीजेपी के 82 पार्षद जीते थे. इसके बावजूद शिवसेना बीएमसी पर अपना कब्जा जमाने में कामयाब रही थी. हालांकि, इस बार बीजेपी की कोशिश है कि महाराष्ट्र की तरह मुंबई से भी शिवसेना के हाथों से सत्ता छीनी जाए. ऐसे में बीजेपी की कवायद मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे गुट और राज ठाकरे की पार्टी के साथ शिवसेना के मराठी वोट बैंक को कब्जाने की है.
