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जिन पूर्व सैनिकों (Ex Servicemen) ने नौकरी के लिए आवेदन किया था, उनमें से केवल 2.4 फीसदी को ही सरकारी नौकरी (Government Jobs) मिल पाई है. बिजनेस स्टैंडर्ड की रिपोर्ट के मुताबिक, केंद्र और राज्य सरकारें आरक्षित कोटे में इन्हें नौकरी (Jobs) पर रखने में असफल रही हैं. सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयों (PSU), मंत्रालयों और सैनिक बोर्ड के अधिकारियों ने पूर्व सैनिकों में स्किल की कमी को इसका जिम्मेदार ठहराया है. उनका कहना है कि पूर्व सैनिकों का चयन परीक्षा में पास नहीं होना और सेना से हासिल हुईं योग्यताओं की गैर-मान्यता इसके पीछे की वजहें हैं. सरकारी नौकरी में उनकी नियुक्ति बेहद कम स्तर पर हैं और इसके कारण उन्हें कम स्किल वाली नौकरियों को चुनना पड़ता है.
अग्निपथ स्कीम को लेकर पूरे देश में प्रदर्शन चल रहे हैं. और इस बीच सरकार ने सभी सेक्टर्स में नौकरियों में आरक्षण का ऐलान किया है. ये करीब 34,000 अग्निवीरों के लिए हैं, जो चार साल की सेवा के बाद रिटायर होंगे. हालांकि, डायरेक्टर जनरल रिसेटलमेंट के डेटा में दिखता है कि राज्य, सेंट्रल पब्लिक सेक्टर यूनिट्स, जिनमें डिफेंस पीएसयू और सेंट्रल आर्म्ड पुलिस फोर्स (CAPF) शामिल हैं, पूर्व सैनिकों के लिए आरक्षित वैकेंसी में नैकरी देने में असफल रही हैं.
कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग के प्रावधान के मुताबिक, केंद्र सरकार की नौकरियों में 10 फीसदी वैकेंसी और ग्रुप डी में 20 फीसदी वैकेंसी पूर्व सैनिकों के लिए आरक्षित हैं. सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों, केंद्र सरकार की इकाइयों और CAPF में आरक्षण क्रमश: 14.5 फीसदी और 24.5 फीसदी है. लेकिन, पिछले साल जून तक, पूर्व सैनिक ग्रुप सी का केवल 1.15 फीसदी और ग्रुप डी का केवल 0.3 फीसदी थे. ये आंकड़ा सार्वजनिक क्षेत्र की 170 में से 94 इकाइयों का है. कोल इंडिया ने इस कम आंकडे़ के पीछे पूर्व सैनिकों के पास उपयुक्त सर्टिफिकेट का उपलब्ध नहीं होने को इसके पीछे की मुख्य वजहों में से एक बताया है. उसे पूर्व सैनिकों के लिए आरक्षित 251 पदों में से किसी को भी नहीं भरा है. रिपोर्ट के मुताबिक, कोल इंडिया लिमिटेड के एक प्रवक्ता ने बताया कि गैर-एग्जीक्यूटिव की नियुक्ति आम तौर पर उन आवेदकों की होती है, जिनके पास उपयुक्त एजेंसी द्वारा जारी सर्टिफिकेट मौजूद हैं. ऐसे पदों के लिए आवेदन करने हेतु उपयुक्त अथॉरिटी द्वारा जारी सर्टिफिकेट होना जरूरी शर्त है. उन्होंने कहा कि हालांकि, पूर्व सैनिकों के पास ऐसा कोई सर्टिफिकेट नहीं होता है. यह उनके नौकरी में नहीं रखे जाने की वजह है. पूर्व सैनिकों के बीच ऐसे सर्टिफिकेट को हासिल करने को लेकर जागरूकता बढ़ाने की जरूरत है.