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देश के दो प्रमुख सरकारी बैंकों ने अपने एमसीएलआर (MCLR) को बढ़ा दिए हैं. ये दो बैंक हैं बैंक ऑफ बड़ौदा और यूनियन बैंक ऑफ इंडिया (Union Bank Of India). यहां एमसीएलआर का अर्थ है 'मार्जिनल कॉस्ट ऑफ फंड्स बेस्ड लेंडिंग रेट्स'. आसान भाषा में कहें तो एमसीएलआर वह दर है जिससे नीचे कोई बैंक अपने ग्राहक को लोन नहीं दे सकता. एमसीएलआर में बढ़ोतरी इसलिए हुई है क्योंकि रिजर्व बैंक ने नीतिगत दरों के अंतर्गत रेपो रेट को बढ़ा दिया है.
रिजर्व बैंक का तर्क है कि रेपो रेट बढ़ाने से सुरसा की तरह मुंह बाए महंगाई पर काबू किया जा सकेगा. बैंकों का कहना है कि चूंकि उनका सारा लोन सिस्टम रेपो रेट पर आधारित है. लिहाजा रेपो रेट (Repo Rate) बढ़ने से उन्हें एमसीएलआर या लेंडिंग रेट बढ़ाना होगा. लेंडिंग रेट वही दर होगा जिस पर ग्राहक को लेन मिला करेगा. इसे और आसान भाषा में समझें तो लेंडिंग रेट बढ़ने से हर तरह के रिटेल लोन जैसे कि होम लोन, पर्सनल लोन या ऑटो लोन महंगे हो जाएंगे.
बैंक ऑफ बड़ौदा का लेंडिंग रेट पहले से बढ़कर 7.50 फीसद हो गया है. यह नई दर 12 जून, 2022 से लागू हो गई है. इसी तरह, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया ने भी अपने एमसीएलआर या लेंडिंग रेट को बढ़ा दिया है. यूनियन बैंक का एक साल का एमसीएलआर 7.45 फीसद निर्धारित किया गया है. इस बैंक की नई दर 11 जून, 2022 से लागू हो चुकी है. अगर आप इन बैंकों के ग्राहक हैं तो होम लोन या पर्सनल, ऑटो लोन पहले से महंगा हो जाएगा. आपके मकान की ईएमआई पहले की तुलना में कुछ बढ़ जाएगी. इससे आपकी जेब पर महंगाई का एक और भार लद जाएगा.
अगर कोई व्यक्ति 1 रात के लिए लोन लेता है तो उसका एमसीएलआर या लेंडिंग रेट 6.70 फीसद होगा. 1 महीने के कर्ज का एमसीएलआर 6.85, 3 महीने का लेंडिंग रेट 7.10, 6 महीने के कर्ज का लेंडिंग रेट 7.25, 1 साल का लेंडिंग रेट 7.45, 2 साल का एमसीएलआर 7.50 और 3 साल के लोन का एमसीएलआर 7.50 फीसद निर्धारित किया गया है.
एक रात के कर्ज का लेंडिंग रेट 6.80 परसेंट, 1 महीने के लिए लेंडिंग रेट 7.20 फीसद, 3 महीने का लेंडिंग रेट 7.25 फीसद, 6 महीने का लेंडिंग रेट 7.35 फीसद और 1 साल का एमसीएलआर 7.50 फीसद निर्धारित किया गया है.
अब सवाल है कि एमसीएलआर या लेंडिंग रेट बढ़ने से क्या होगा. तो जवाब है कि आपकी जेब ढीली होगी. पहले की तुलना में आपको लोन की ईएमआई अधिक चुकानी होगी. इससे आपके नमक-तेल का बजट प्रभावित हो सकता है. जो पैसा नमक-तेल पर खर्च होना चाहिए, वह पैसा अब अतिरिक्त ईएमआई के रूप में भरी जाएगी. बैंक अपने एमसीएलआर या लेंडिंग रेट के आधार पर ही ग्राहकों के लोन की ब्याज दरें तय करते हैं. लेंडिंग रेट से तय होगा कि 30 लाख, 50 लाख या 75 लाख के होम लोन की ब्याज दर कितनी वसूली जाएगी. कुल मिलाजुलाकर बैंकों की कमाई बढ़ेगी और आपके खर्च में इजाफा होगा. बैंक अमूमन एक साल के लिए एमसीएलआर की दर तय करते हैं. लोन पर ब्याज का मामला सिर्फ एमसीएलआर का ही नहीं होता. बल्कि बैंक एमसीएलआर में मार्जिन चार्ज जोड़कर अपने ग्राहकों से ब्याज वसूलते हैं.