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पंजाब। रबी सीजन का समापन हो गया है. इसके साथ ही खरीफ सीजन (Kharif Season) की तैयारियां भी शुरू हो गई हैं. जिसके लिए किसानों समेत सरकारें भी अपने-अपने स्तर पर सक्रिय हैं, जिसमें सभी पहले ही खरीफ सीजन की मुख्य फसल धान की खेती (Paddy Cultivation) के लिए योजनाएं बनाने में जुटे हैं. इसी कड़ी में पंजाब सरकार (Punjab Government) भी जोर-शोर से लगी है. इसी कड़ी में बीते रोज पंजाब के बिजली मंत्री हरभजन सिंह ईटीओ ने केंद्रीय बिजली मंत्री प्रह्लाद जोशी से मुलाकात की थी. जिसमें केंद्रीय बिजली मंत्री प्रह्लाद जोशी ने पंजाब को धान की खेती के लिए इस खरीफ सीजन नियमित रूप से कोयला देने का आश्वासन दिया है. मुलाकात में बिजली मंत्री ईटीओ ने नियमित कोयले की आपूर्ति के लिए पंजाब की आवश्यकता को रेखांकित करते
केंद्र सरकार की तरफ से पंजाब को नियमित कोयले की आपूर्ति का आश्वासन तब दिया गया है, जब बीते दिनों देशभर में कोयले की कमी के कारण बिजली कटौतियां हुई थी. असल में बैठक में पंजाब के बिजली मंत्री हरभजन सिंह ईटीओ ने देश भर में मौजूदा कोयले की स्थिति के कारण राज्य की चिंताओं को उठाते हुए केंद्र से बिजली की कमी से निपटने के लिए एक वैकल्पिक तंत्र तैयार करने का आग्रह किया था. इस पर केंद्र की तरफ से पंजाब सरकार को नियमित कोयला देने का आश्वासन दिया है. पंजाब के बिजली मंत्री ईटीओ ने कहा कि हमें मांग को पूरी करने के लिए रोजाना 20 रेक कोयले की जरूरत है.
पंजाब में इस साल 14 जुलाई से धान की रोपाई शुरू होने जा रही है. जबकि मौसम पूर्वानुमानों के मुताबिक पंजाब में इस वर्ष मानसून जुलाई में दस्तक देगा. ऐसे में इस बार धान की बुवाई/रोपाई में अधिक मात्रा में पानी खर्च होने की आशंका लगाई जा रही हैं. जिसको देखते हुए पंजाब सरकार कई दिनों से धान की बुवाई/रोपाई को कुछ दिन टालने के लिए कई प्रयास किए थे. जिसके तहत पंजाब सरकार ने 4 चरणों में की धान की बुवाई/रोपाई करने की योजना बनाई थी, लेकिन किसानों के आंदोलन की वजह से पंजाब सरकार को अब 14 जून से ही धान सीजन शुरू करना पड़ रहा है. हालांकि पंजाब सरकार धान सीजन में पानी और बिजली की बचत के लिए धान की सीधी बुवाई को भी बढ़ावा दे रही है. जिसके तहत धान की सीधी बुवाई करने वाले किसानों को राज्य सरकार ने 1500 रुपये प्रतिएकड़ देने का फैसला लिया है.
धान सीजन और कोयले का बेहद ही गहरा संबंध है. असल में धान सीजन के दौरान किसानों को अतिरिक्त पानी की जरूरत होती है. जिसकी पूर्ति के लिए किसान सिंचाई के लिए ट्यूवबेल चलाते हैं. जो बिजली से चलते हैं. ऐसे में बिजली संबंधी इन जरूरतों को पूर्ति के लिए थर्मल प्लांट को अतिरिक्त बिजली बनाने की जरूरत होती है. थर्मल प्लांट कोयले से बिजली बनाते हैं.