यूपी। उत्तर प्रदेश की सत्ता में दोबारा आने के बाद राज्य के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (CM Yogi Adityanath) ने भ्रष्ट अफसर और कर्मचारियों के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है. योगी आदित्यनाथ ने राज्य के मेरठ-दिल्ली एक्सप्रेस-वे (Meerut-Delhi Expressway) के भूमि अधिग्रहण में हुए घोटाले को लेकर बुधवार को बड़ा फैसला किया. सीएम योगी आदित्यनाथ ने राज्य के पू्र्व आईएएस विमल कुमार शर्मा के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का आदेश देने के साथ ही केन्द्र सरकार में तैनात आईएएस अफसर निधि केशरवानी के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए केन्द्र सरकार को पत्र लिखा. योगी सरकार ने इसके साथ ही मणिपुर सरकार को भी गाजियाबाद की पूर्व डीएम निधि केसरवानी (Nidhi Kesarwani) को सस्पेंड करने के लिए पत्र लिखा.
अब सवाल ये उठता है कि सीएम योगी आदित्यनाथ ने आईएएस निधि केशरवानी को सस्पेंड करने के लिए मणिपुर सरकार को क्यों लिखा. असल में निधि केशरवानी मणिपुर कैडर की 2004 बैच की आईएएस अफसर हैं और वह यूपी में प्रतिनियुक्ति में आयी थी और अब मेरठ-दिल्ली एक्सप्रेस-वे (Meerut-Delhi Expressway) के भूमि अधिग्रहण में हुए घोटाले को लेकर चर्चा में हैं. निधि केशरवानी उत्तर प्रदेश में करीब सात साल प्रतिनियुक्ति में रही और समाजाजवादी पार्टी सरकार में वह काफी ताकतवर अफसर मानी जाती थी. उनके बारे में कहा जाता है कि उनकी पकड़ मुख्यमंत्री कार्यालय तक थी और अपने यूपी के कार्यकाल में वह ज्यादातर जिलों में जिलाधिकारी के पद पर रही.
उत्तर प्रदेश में अपने डेपुटेशन के दौरान निधि केशरवानी ज्यादातर समय जिलों में डीएम के पद पर रही. खासतौर से एनसीआर के जिलों में ही उनकी तैनाती रही. उन्हें समाजवादी पार्टी में ताकतवर माने जाने वाले नेता का करीबी माना जाता था. खास बात ये है कि सपा नेता को कई महिला आईएएस अफसरों का करीबी माना जाता था और उस दौरान एनसीआर के जिलों में ज्यादातर महिला आईएएस अफसरों की नियुक्ति हुआ करती थी.