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Nilmani Pal
11 April 2022 8:31 AM GMT
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दिल्ली। कृषि उत्पाद के निर्यात के मामले में भारत ने एक नई ऊचांईयों को छुआ है. इसके बाद से ही देश अपने कृषि निर्यात (Agriculture Export) का दायरा बढ़ाने पर जोर दे रहा है. भारतीय कृषि निर्यात को आगे बढ़ाने में डेयरी उत्पादों (Dairy Product) की भी महत्वपूर्ण भूमिका रही है. केंद्रीय गृह और सहकारिता मंत्री अमित शाह (Amit Shah) ने गांधीनगर में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि अगर भारतीय अर्थव्यवस्था पूरी दुनिया में जैविक खाद्य की मांग को पूरा करने में सफल रहती है तो एक बड़ा बदलाव आ सकता है. इस लक्ष्य को हासिल करने में डैयरी सेक्टर एक बड़ी भूमिका निभा सकता है.


अमित शाह ने राष्ट्रीय सहकारी डेयरी संघ के स्वर्ण जयंती समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि पूरे देश को प्राकृतिक खेती की तरफ से जाने का समय आ गया है. उन्होंने कहा कि अगर भारत पूरी दुनिया में जैविका खाद्य की मांग को पूरा करता है तो भारत की अर्थव्यवस्था बदल जाएगी. उन्होंने आगे कहा कि जैविक खेती के क्षेत्र में भारत की महत्वाकांक्षाओं को पूरा करने में डेयरी क्षेत्र बड़ी भूमिका निभा सकता है. जैविक खेती के लिए पशुधन की जरूरत पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि अगर एक किसान घर से दो से तीन गाय रखता है तो उसे दूध की कमाई होगी साथ ही वह उनके गोबर और गोमूत्र के जरिए 30 एकड़ जमीन में जैविक खेती कर सकता है.

गौरतलब है कि गुजरात के आणंद जिले में स्थित भारतीय राष्ट्रीय सहकारी डेयरी संघ ( एनसीडीएफआई ) सहकारी डेयरी क्षेत्र के लिए बड़ा संगठन है. इसके सदस्यों में राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की संघीय डेयरी सहकारी समितियां शामिल हैं. समन्वय, नेटवर्किंग और वकालत के माध्यम से डेयरी सहकारी समितियों के कामकाज को सुविधाजनक बनाना एनसीडीएफआई का प्राथमिक उद्देश्य है. वहीं अगर देश में जैविक खेती की बात करें तो कृषि और कल्यान मंत्रालय के अनुसार वर्तमान में देश में 38.09 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में जैविक खेती की जाती है.

जिसमें परम्परागत कृषि विकास योजना (पीकेवीवाई) के तहत 6.19 लाख हेक्टेयर, नमामि गंगे कार्यक्रम के तहत 1.23 लाख हेक्टेयर, बीपीकेपी (प्राकृतिक खेती) के तहत 4.09 लाख हेक्टेयर शामिल हैं. राष्ट्रीय जैविक उत्पादन कार्यक्रम (एनपीओपी) के तहत 26.57 लाख हेक्टेयर में खेती की जाती है. प्राकृतिक खेती औक पारपंरिक खेती को बढ़ावा देने के लिए कार्य कर रही है. सरकार पारंपरिक कृषि विकास योजना (पीकेवीवाई) और पूर्वोत्तर क्षेत्र में मिशन ऑर्गेनिक वैल्यू चेन डेवलपमेंट (एमओवीसीडीएनईआर) जैसी समर्पित योजनाओं के माध्यम से जैविक/प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दे रही है. इस योजना के तहत किसानों को 31,000 रुपये की वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है.


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