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देखें रात 10 बजे की LIVE बुलेटिन, लाल किले के लॉन से PM मोदी का राष्ट्र के नाम संबोधन शुरू

jantaserishta.com
21 April 2022 4:32 PM GMT
देखें रात 10 बजे की LIVE बुलेटिन, लाल किले के लॉन से PM मोदी का राष्ट्र के नाम संबोधन शुरू
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गुरु तेग बहादुर के 400वें प्रकाश पर्व के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लाल किले से देश के नाम संबोधन देने वाले हैं. कार्यक्रम इतना भव्य रखा गया है, तैयारी इतनी खास की गई है कि हर कोई इसे एक ऐतिहासिक लम्हा बता रहा है. वैसे भी सूर्यास्त के बाद लाल किले से देश को संबोधित करने वाले नरेंद्र मोदी पहले प्रधानमंत्री हैं.इस कार्यक्रम को लेकर खास तैयारी की गई है. चारों तरफ सिर्फ रौनक नहीं है बल्कि अलग-अलग कार्यक्रमों का आयोजन होने जा रहा है. बताया गया है कि जब पीएम मोदी आज रात लाल किले से हिन्दू धर्म को बचाने के लिए सिखों के नौवें गुरु श्री गुरु तेग बहादुर की अनोखी कुर्बानी का मतलब देश को समझा रहे होंगे, तब उससे महज़ चार सौ मीटर की दूरी पर चांदनी चौक के उसी ऐतिहासिक शीशगंज गुरुद्वारे में कीर्तन-रागी गुरबाणी पाठ हो रहा होगा.

वहीं पीएम मोदी के सामने 400 सिख संगीतकारों द्वारा परफॉर्म भी किया जाएगा और एक विशेष लंगर का भी आयोजन होगा. ऐसे में चारों तरफ सिर्फ भव्यता वाला नजारा है और आस्था का माहौल देखने को मिल रहा है. वैसे लाल किले पर बुधवार शाम ही गुरु तेग बहादुर जी के 400वें प्रकाश पर्व को समर्पित दो दिवसीय कार्यक्रम की शुरुआत हो गई थी. कल पहले दिन केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह कार्यक्रम में मौजूद रहे थे. लेकिन अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में और भव्य कार्यक्रम होता दिखने वाला है. इस खास मौके पर पीएम मोदी सिक्का और डाक टिकट भी जारी करने वाले हैं, ऐसे में हर पहलू से इस अवसर को यादगार बनाने की तैयारी है.
वैसे तैयारी जितनी जोरदार है, उसकी अहमयित उससे भी कई गुना ज्यादा है. लाल किले से इस खास मौके पर प्रधानमंत्री मोदी का ये संबोधन कोई आकस्मिक नहीं है, बल्कि इसका एक इतिहास है. इसी किले से मुगल शासक औरंगजेब ने 1675 में गुरु तेग बहादुर को फांसी देने का आदेश जारी किया था. इसी वजह से लालकिले को गुरु तेग बहादुर की 400वीं जयंती के आयोजन स्थल के रूप में चुना गया.
अब लाल क़िले ने मुग़लिया सल्तनत का स्वर्णिम युग भी देखा और मुग़लिया सल्तनत का सूरज ढलते हुए भी देखा है. इसने राजनीतिक षड्यंत्र, प्यार-मोहब्बत और शहंशाहों का अंत भी देखा है. साल 1857 की क्रांति के दौरान लाल क़िला ब्रिटिश राज के ख़िलाफ़ विद्रोह का भी गवाह बना, इसी लालकिले बहादुरशाह जफर का जलवा भी देखा. लेकिन अब आज लाल किले पर नया इतिहास बनने जा रहा है. गुरु तेग बहादुर के 400वें प्रकाश पर्व पर पूरे देश को बड़ा संदेश देने की तैयारी है.




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