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11 साल 9 महीने से जेल में था, अब हाईकोर्ट से आई चौंकाने वाली खबर

jantaserishta.com
27 Nov 2024 2:37 AM GMT
11 साल 9 महीने से जेल में था, अब हाईकोर्ट से आई चौंकाने वाली खबर
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जानें पूरा मामला.
लखनऊ: हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने हत्या के एक मामले में लगभग 12 साल (11 साल 9 महीने) से जेल में आजीवन कारावास की सजा काट रहे, अभियुक्त को बरी कर दिया है। न्यायालय ने निर्णय में हिन्दू धर्मशास्त्रों व न्याय शास्त्र के सिद्धांतों का उल्लेख करते हुए कहा कि दस गुनहगार भले छूट जाएं,लेकिन एक बेगुनाह को सजा नहीं होनी चाहिए। कोर्ट ने अभियुक्त को तत्काल रिहा करने का आदेश दिया है। यह निर्णय न्यायमूर्ति एआर मसूदी व न्यायमूर्ति अजय कुमार श्रीवास्तव, प्रथम की खंडपीठ ने अरुण कुमार उर्फ भुल्ले तिवारी की वर्ष 2013 की आपराधिक अपील को मंजूर करते हुए पारित किया।
अपील के माध्यम से 23 फरवरी 2013 के सत्र न्यायाधीश, अम्बेडकर नगर के उस निर्णय को चुनौती दी गई थी जिसमें वर्तमान अपीलार्थी व एक अन्य को हत्या के मामले में दोषी करार देते हुए, आजीवन कारावास की सजा सुनायी गई थी। अपील के विचाराधीन रहते, दूसरे अभियुक्त अवधेश कुमार तिवारी की मृत्यु हो गई। घटना नहारिया गांव की 18 अगस्त 2004 की है। आरोप था कि दोनों अपीलार्थी और तीन अन्य लोग 12 बोर के हथियार से लैस होकर वादिनी सीता देवी के घर के पास आए और तिल्थू को अरुण कुमार उर्फ भुल्ले तिवारी ने उसे गोली मार दी। सत्र परीक्षण के पश्चात अपीलार्थियों को दोषी करार दिया गया जबकि अन्य अभियुक्तों को बरी कर दिया गया। अपीलार्थी की ओर से अधिवक्ता विवेक कुमार राय ने गवाहों के बयानों में भारी विरोधाभास होने व हत्या का कोई हेतुक न होने की दलील दी। न्यायालय ने भी अपने निर्णय में पाया कि अभियोजन की गवाह सीता देवी एक ट्यूटर्ड विटनेस (सिखायी-पढ़ाई गवाह) प्रतीत होती हैं। अन्य गवाहों के बयानों में भी विरोधाभास है व हत्या का कोई भी हेतुक अभियोजन नहीं बताया पाया है।
न्यायमूर्ति एआर मसूदी ने निर्णय में यह भी उद्धत किया है कि हिन्दू धर्मशास्त्रों के अनुसार किसी भी न्यायिक परीक्षण का उद्देश्य सत्य का अन्वेषण होता है। निर्णय में याज्ञवल्क्य के अनुसार राजा को झूठ और धोखे को दरकिनार कर सच्चे तथ्यों के आधार पर निर्णय देना चाहिए।
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