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कोरोना की तीसरी लहर को लेकर चेतावनी, IIT ने दिए ये सुझाव
jantaserishta.com
30 May 2021 6:01 AM GMT
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जिस तरह से कोरोना मामलों में कमी देखी जा रही है उससे माना जा रहा है कि दिल्ली में अब दूसरी लहर का पीक खत्म हो चुका है. लेकिन IIT दिल्ली ने तीसरी लहर की तैयारियां करने के लिए आगाह किया है. जिस तरह दूसरी लहर में दिल्ली में ऑक्सीजन की भारी कमी देखी गई उसे देखते हुए IIT दिल्ली ने आगाह किया है कि दिल्ली को ऑक्सीजन उत्पादन, स्टोरेज और उसके वितरण में सुधार करने की जरूरत है. इसे लेकर IIT दिल्ली ने कुछ सुझाव भी दिए हैं.
खराब से खराब स्थिति में भी दिल्ली सरकार द्वारा कम से कम 200 MT से 370 MT के बीच ऑक्सीजन का स्टोरेज किया जाना चाहिए और 51 अस्पतालों द्वारा करीब 250 MT से 450 MT के बीच ऑक्सीजन स्टोरेज की जानी चाहिए. छब्बीस अस्पतालों में पहले से ही 500 MT ऑक्सीजन स्टोरेज कैपेसिटी है, जिसे दिल्ली सरकार द्वारा यूज किया जा सकता है.
जब दिल्ली में दूसरी लहर का पीक आया था तो देश के पूर्वी हिस्से से काफी मदद मिली थी. दूर स्थित इस्टर्न सप्लायर्स को आवंटित करने की बजाय दिल्ली के नजदीक स्थित सप्लायर्स से सप्लाई को सतत किया जा सकता है. इसलिए भविष्य में इस बात का ध्यान रखा जाए. तीसरी वेव को ध्यान में रखते हुए पहले से ही सप्लायर्स लोकेशन को फिक्स किया जा सकता है.
GNCTD IT पोर्टल में सुधार करने के लिए काफी विस्तार में रिव्यू किया गया है. दिल्ली सरकार को ऑक्सीजन सिलेंडर और टैंकरों का सेंसर बेस्ड रियल टाइम डाटा प्राप्त करने के लिए पब्लिक, प्राइवेट सेक्टर की संस्थाओं के साथ मिलकर काम करना चाहिए.
सभी अस्पतालों को ऑक्सीजन निस्तारण प्रक्रिया के लिए आवश्यक सभी प्रकार के नोजल, एडेप्टर्स और कनेक्टर्स मुहैया कराने चाहिए. खुद दिल्ली सरकार को सभी प्रकार के नोज़ल्स का एक केंद्रीय स्टॉक बनाना चाहिए ताकि आपातकाल की स्थिति में आवश्यक नोजल्स अस्पतालों को दी जा सकें. इसके लिए स्किल्ड टेक्नीशियन भी तैयार रखने चाहिए.
दिल्ली में री-फिलर्स की संख्या बढ़ानी होगी या उनकी सिलेंडर री-फिल करने की क्षमता दोगुनी करनी पड़ेगी. अभी एक हजार सिलेंडर प्रतिदिन री-फिल करने की क्षमता है, जिसे बढ़ाकर कम से कम दो हजार सिलेंडर प्रतिदिन करनी होगी. इसके अलावा प्राइवेट सेक्टर को प्रोत्साहन देकर मेडिकल ऑक्सीजन सप्लाई के लिए आमंत्रित किया जा सकता है
अगली वेव में प्रस्तावित 44 ऑक्सीजन प्लांट महत्वपूर्ण साबित हो सकते हैं. इससे अस्पतालों में ऑक्सीजन की इन-हाउस सप्लाई की जा सकेगी और उनकी निर्भरता कम होगी
स्टोरेज कैपेसिटी के विकेंद्रीकरण की तरह ही उत्पादन क्षमता का विकेंद्रीकरण भी जरूरी है. ऊपर बताए गए 51 अस्पतालों को ही अपने उपयोग का ऑक्सीजन खुद जनरेट करना चाहिए, ताकि बाहरी सप्लायर्स से इनकी निर्भरता घटे. अस्पतालों के लिए ऑक्सीजन मैन्युफैक्चरिंग प्लांट सेट अप करने के लिए दिल्ली सरकार को जमीन मुहैया करा सकती है. इसके लिए सब्सिडी भी दे सकती है. ऑक्सीजन प्रोडक्शन प्लांट सेटअप करने के लिए इन्द्रप्रस्थ गैस लिमिटेड को पार्टनर बनाया जा सकता है.
पर्याप्त मात्रा में क्रायोजेनिक टैंकर होने चाहिए. 20MT से 100MT वाले कम से कम 20 से 25 क्रायोजेनिक ऑक्सीजन टैंकर खरीदे जाने चाहिए.
पहले तो अस्पतालों को ही अपने यहां ऑक्सीजन उपयोग की दक्षता को ध्यान में रखते हुए ऑक्सीजन सेल्फ ऑडिट करना चाहिए और उसकी रिपोर्ट दिल्ली सरकार को सौंपनी चाहिए. अस्पतालों द्वारा दी गई रिपोर्ट को इंडिपेंडेंट एक्सपर्ट्स द्वारा वेरीफाई किया जाना चाहिए.
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