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आखिरी वक्त तक करते रहे ऑक्सीजन का इंतजार, टैंकर देख बोले- हे प्रभु आज तूने बचा लिया

Apurva Srivastav
21 April 2021 5:36 PM GMT
आखिरी वक्त तक करते रहे ऑक्सीजन का इंतजार, टैंकर देख बोले- हे प्रभु आज तूने बचा लिया
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पूर्वी दिल्ली का सबसे बड़ा जीटीबी अस्पताल नजदीक आ रहा था, वैसे-वैसे आवाजें और तेजी से सुनाई दे रही थीं।

मंगलवार रात 1 बजकर 10 मिनट का समय है। रात के अंधेरे में चीख-पुकार की आवाजें साफ सुनाई दे रही हैं। इन आवाजों से साफ पता चल रहा था कि आसपास कोई अस्पताल है जहां मरीज के इलाज के लिए तीमारदार परेशान हैं। जैसे जैसे पूर्वी दिल्ली का सबसे बड़ा जीटीबी अस्पताल नजदीक आ रहा था, वैसे-वैसे आवाजें और तेजी से सुनाई दे रही थीं। अस्पताल के मुख्य गेट में अंदर प्रवेश करने के बाद वहां की तस्वीर एकदम चौंका देने वाली थी। एक तरफ तीमारदार अपने मरीजों के लिए हाथ-पैर जोड़ रहे थे। वहीं दूसरी ओर सफेद कोट पहन डॉक्टरों की पूरी भीड़ जमा थी। हर कोई हाथ जोड़े खड़ा था। पूछने पर पता चला कि अस्पताल में ऑक्सीजन तो खत्म हो गया लेकिन अभी तक टैंकर नहीं आया।

डॉक्टरों ने बताया कि अब जो भी ऑक्सीजन बचा है उसे कम प्रेशर में दे रहे हैं। इससे ज्यादा हम कुछ नहीं कर सकते। आज की रात हमारे जीवन की सबसे अंधेरी रात है जो शायद हमें जीवन भर चैन से जीने नहीं देगी। डॉक्टरों की आंखें और आवाज में डर व अगले कुछ पलों बाद होने वाले तांडव की स्थिति को महसूस किया जा सकता था। अब तक घड़ी में वक्त भी आगे बढ़ चुका था।
रात करीब एक बजकर 35 मिनट का वक्त था, अचानक से गेट की ओर से आवाज आई, आ गया...आ गया...आ गया....। पुलिस के सायरन की आवाज और टैंकर के पहियों की चाल अस्पताल में मौजूद हर किसी को सुनाई और दिखाई पड़ने लगी थी। 19 हजार लीटर ऑक्सीजन से लदे इस टैंकर को देख अब सफेदकोट भी भावुक हो उठे। आंखों में आंसू और दोनों हाथ जोड़ इनके मुख से निकला, हे प्रभु आज तूने बचा लिया।
आसमान की ओर देखते देखते डॉक्टर बोलने लगे, भगवान आज तू नहीं होता तो सबकुछ खत्म हो जाता, तूने नरक देखने से बचा लिया। अब टैंकर रिफिल स्टेशन तक पहुंच चुका था और उसके पीछे पीछे कर्मचारियों की दौड़ भी दिखाई दे रही थी। कुछ रिफिल करने के लिए दौड़े तो कुछ खाली सिलेंडर लेकर दौड़ पड़े। बाकी डॉक्टर भी तेजी से छलांग लगाकर कोविड वार्ड की ओर लपके। ताकि मरीजों को समय पर ऑक्सीजन मिल सके। बेशक जीटीबी अस्पताल की इस घटना में एक बड़ी अनहोनी होने से टल गई लेकिन सरकारों की नाकामयाबी की वजह से यह स्थिति पैदा हुई। जीटीबी में उस वक्त 510 कोरोना संक्रमित मरीज भर्ती थे।
टैंकर आने से पहले मर गई मेरी मां
एक तरफ डॉक्टर भगवान से टैंकर जल्दी भेजने की दुआएं कर रहे थे। वहीं दूसरी ओर एक चीख रात एक बजकर 22 मिनट पर सुनाई दी। हे राम, मेरी मां मर गई, डॉक्टर साहब मेरी मां मर गई। टैंकर नहीं आया डॉक्टर साहब, मेरी मां मुझे छोड़कर चली गई। 35 वर्षीय सीमा को लेकर उसका बेटा रवि रात 10 बजे से चक्कर लगाते हुए जीटीबी अस्पताल पहुंचा था। यहां ऑक्सीजन न होने की वजह से डॉक्टरों के पास भी भर्ती न करने का विकल्प बचा था। सभी लोग टैंकर आने का इंतजार कर रहे थे लेकिन इसी बीच सीमा ने दम तोड़ दिया।
अस्पताल के बाहर ही पड़े शव
रात में एक और तस्वीर अस्पताल में देखने को मिली। यहां ऑक्सीजन खत्म होने की वजह से इस कदर स्वास्थ्य कर्मचारी डरे और सहमे थे कि कोविड वार्ड में दम तोड़ चुके मरीज को मोर्चरी तक ले जाना भूल गए। यह शव अस्पताल परिसर में ही एक तरफ स्ट्रेचर पर रात तीन बजे तक पड़ा रहा। पूछने पर पता चला कि कोई संक्रमित मरीज की मौत हुई है जिसकी पहचान अब तक नहीं हो सकी। हालांकि देर रात ऑक्सीजन रिफिल होने के बाद जब कर्मचारी वहां आए तो शव को हटा लिया गया लेकिन इस बीच वहां मौजूद हर कोई ऑक्सीजन खत्म होने की चर्चा और शव को देख डरा-सहमा सा था।


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