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शिशगृह में समय काटना पड़ रहा है.
कन्नौज: कन्नौज की 'गुड़िया' एक साल से अपनी पहचान का इंतजार कर रही है। 'गुड़िया' का बर्थ-डे 11 सितंबर यानी कल था। हर मां-बाप अपने पहले बच्चे का जन्मदिन यादगार बनाने की कोशिश करते हैं, लेकिन इसे पिता को उसकी बेटी होने का सबूत देना पड़ रहा है। विडंबना है कि अब तक उसे सबूत यानी डीएनए रिपोर्ट के इंतजार में लखनऊ के शिशगृह में समय काटना पड़ रहा है।
दर्द भरी यह दास्तान एक वर्ष पहले कन्नौज जिला अस्पताल से शुरू हुई। 11 सितंबर 2020 की सुबह सदर कोतवाली के बंसरामऊ निवासी आरती को प्रसव पीड़ा होने पर पति आकाश ने जिला अस्पताल में भर्ती कराया था। आरती ने अपने पहले बच्चे को जन्म दिया। बच्ची यानी 'गुड़िया' कमजोर थी इसलिए उसे एसएनसीयू वार्ड में शिफ्ट कर दिया गया। शाम को अचानक आरती की तबीयत बिगड़ने पर मौत हो गई।
आकाश ने आरती का शव ले लिया, लेकिन बच्ची को अपनाने से मना कर दिया। उसका कहना था कि आरती ने बेटे को जन्म दिया था, लेकिन अस्पताल उसे बेटी सौंप रहा है। अस्पताल प्रशासन ने उसका आरोप को खारिज करते हुए सारा ब्योरा सिलसिलेवार दिखाया, पर आकाश नहीं माना। पहचान के लिए डीएनए टेस्ट की मांग की। सैंपल लिया गया, सैंपल रिपोर्ट आने तक इसके लालन पालन के लिए जिला अस्पताल ने उसे लखनऊ के शिशुगृह सौंप दिया था। अब एक साल हो गई, लेकिन रिपोर्ट नहीं आई है।
आकाश पड़ोस के औरैया जिले के बेला का रहने वाला है। वह उड़ीसा में काम करता था। 2020 में लॉकडाउन के बाद अपने घर चला आया था। उसकी शादी आरती से 2018 में हुई थी। पहली संतान को जन्म देते ही पत्नी चल बसी। उसका कहना है कि डीएनए रिपोर्ट में बेटी की पहचान साबित हो जाए तो वह उसे अपना लेगा। रिपोर्ट कब आएगी इस पर कोई कुछ नहीं बता रहा है।
इस बारे में जिला अस्पताल के सीएमएस डॉक्टर शक्ति बसू ने कहा कि एक साल पहले जिस बच्ची के जन्म के बाद उसकी मां का निधन हुआ था, उसकी अब तक डीएनए रिपोर्ट नहीं मिल सकी है। रिपोर्ट आने पर ही आगे कोई कदम उठाया जा सकेगा। वहीं, बाल कल्याण संरक्षण अधिकारी विजय राठौर ने कहा कि 2020 में जिस बच्ची को पिछले साल जिला अस्पताल से लखनऊ के शिशुगृह भेजा गया था, उसकी डीएनए रिपोर्ट नहीं आ सकी है। बिना रिपोर्ट आगे की कार्यवाही नहीं हो सकी है।
HARRY
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