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चोट का वोट
तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख ममता बनर्जी के चोट से घायल होने के बाद पार्टी की आक्रामक चुनाव रणनीति में सहानुभूति का कार्ड भी जुड़ गया है। पार्टी ममता की चोट के बहाने भारतीय जनता पार्टी की पूरे राज्य में जबरदस्त घेरेबंदी करेगी। जानकारों का कहना है कि ममता की चोट उनके समर्थकों को लामबंद कर सकती है। खासतौर पर महिला मतदाताओं में सहानुभूति हो सकती है। भाजपा को इस बात का एहसास है इसलिए चोट को ड्रामा बताने और इसकी जांच की बात ममता विरोधी खेमे की ओर से हो रही है।
जानकारों का कहना है कि ममता का तेवर भाजपा पर बहुत ही आक्रामक रहा है। वे अपने कोर वोटरों को बिखरने से बचाने के लिए हर जुगत कर रही हैं। जिस तरह से उनकी पार्टी के लोग उन्हें छोड़कर भाजपा में गए इसके बाद समर्थकों में किसी तरह का भ्रम न हो इसे लेकर पार्टी में काफी बेचैनी रही है।
हिंदुत्व को लेकर लामबंदी और ध्रुवीकरण को रोकने के लिए ममता ने सार्वजनिक सभा मे मंत्रोच्चार कर संदेश दिया कि कोई उन्हें हिंदुत्व का पाठ न पढ़ाए। नंदीग्राम से चुनावी समर में उतरी ममता ने भाजपा के हर कार्ड पर पलटवार करने के साथ अपनी योजनाओं और कार्यक्रमो से कुनबा बढ़ाने का प्रयास किया है। ममता अपने आक्रामक तेवर और भाजपा को रोकने की क्षमता वाली नेत्री के रूप में भाजपा विरोधी दलों की पहली पसंद बनी हैं।
जानकारों का कहना है कि बंगाली अस्मिता, स्थानीय मुद्दे, ममता की आक्रामक छवि के साथ उनको लेकर उपजी सहानुभूति भाजपा की ममता हटाओ मुहिम को संघर्षपूर्ण बना सकती है। फिलहाल अलग-अलग स्रोत से जितनी भी रिपोर्ट आ रही हैं अगर उनपर भरोसा करें तो पश्चिम बंगाल की चुनावी जंग बहुत ही कठिन मुकाबले वाली है। भाजपा और तृणमूल के बीच मुख्य लड़ाई है।
ममता के घर मे जिस तरह से भाजपा ने सेंधमारी की है उससे तृणमूल की चिंताएं बढ़ी हैं। अब आरपार की नजदीकी लड़ाई में चुनावी फिजा को अपनी तरफ मोड़ने के लिए हर तरफ से पूरा जोर लगाया जा रहा है।
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