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राष्ट्रपति को पत्र देकर विश्व हिंदू परिषद ने दोषियों के खिलाफ त्वरित कार्रवाई और हस्तक्षेप की मांग की

Apurva Srivastav
11 May 2021 9:43 AM GMT
राष्ट्रपति को पत्र देकर विश्व हिंदू परिषद ने दोषियों के खिलाफ त्वरित कार्रवाई और हस्तक्षेप की मांग की
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विश्व हिंदू परिषद ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को पत्र देकर हस्तक्षेप की मांग करते हुए दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है

पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव (West Bengal Assembly Election) के बाद हिंसा (Violence) के मद्देनजर विश्व हिंदू परिषद (VHP) ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद (Ram Nath Kovind) को पत्र देकर हस्तक्षेप की मांग करते हुए दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है. विश्व हिन्दू परिषद के केंद्रीय कार्याध्यक्ष आलोक कुमार (Alok Kumar) ने मंगलवार को राष्ट्रपति (President Of India) को पत्र लिखकर उनके हस्तक्षेप की मांग की.

आलोक कुमार ने अपने पत्र में लिखा है, "पश्चिमी बंगाल के चुनाव परिणामों में ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) की पार्टी विजयी हुई है. लोकतंत्र (Democracy) में जनता का निर्णय सर्वोपरि होता है. बंगाल की जनता का यह निर्णय सबको स्वीकार है. यह भी सच है कि चुनाव के बाद विजयी होने वाली पार्टी अपने प्रदेश की सम्पूर्ण जनता के प्रति जिम्मेवार होती है और अपने प्रदेश में कानून और व्यवस्था बनायें रखने का उसका दायित्व हो जाता है.
मुस्लिम लीग के डायरेक्ट एक्शन का दिला रही है याद
उन्होंने आगे लिखा है, "दुर्भाग्य से पश्चिमी बंगाल में चुनाव परिणाम आने के तुरंत बाद से वहां पर सत्तारूढ़ दल टीएमसी (TMC) के कार्यकर्ताओं ने जिस प्रकार हिंसा का तांडव चला रखा है, उससे पूरा देश चिंतित है. ममता बनर्जी ने चुनाव प्रचार के दौरान ही धमकियां दी थीं कि केंद्रीय सुरक्षा बल तो केवल चुनाव तक है और चुनावों के बाद तो उन्होंने ही सब देखना है. पश्चिमी बंगाल में अनियंत्रित राज्यव्यापी हिंसा पूर्वनियोजित (Pre Planned) है और ऐसा लगता है कि पुलिस व प्रशासन को कह दिया गया है कि वह इसकी अनदेखी करता रहे. पश्चिमी बंगाल के न्यायप्रिय नागरिको को मानो दंगाइयों के हाथों में सौंप दिया गया है. यह सब मुस्लिम लीग के डायरेक्ट एक्शन (Direct Action) की याद कराता है."
दंगाइयों की त्वरित हो पहचान, हो कार्रवाई
उन्होंने लिखा है, " भारत का संविधान राज्य सरकारों पर यह जिम्मेवारी सौंपता है कि वह अपने राज्य में कानून और व्यवस्था बनाये रखे और अपने राज्य के सब लोगो को कानून का योग्य संरक्षण दें. पश्चिमी बंगाल की सरकार इसमें विफल हो रही है. यह सब भारतीय संस्कृति और संविधान के सह-अस्तित्व के मूल्यों और कानून के शासन का उल्लंघन है."
उन्होंने मांग की कि पश्चिमी बंगाल की हिंसा को तत्काल रोकने के लिए प्रभावी कदम उठाए जाएं और कानून का शासन दोबारा स्थापित हो. दंगाइयों की त्वरित पहचान हो और जल्दी जांच पूरी करके फ़ास्ट ट्रैक न्यायालयों में उनको दंड मिले. दंगा पीड़ितों के पुनर्वास की व्यवस्था की जाए और उनको हुए नुक्सान की शासन भरपाई करे.


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