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बीजेपी विधायक को ग्रामीणों ने घेरा, कहा- अब वोट नहीं, लाठी रहेगा तैयार

Admin2
20 May 2021 9:41 AM GMT
बीजेपी विधायक को ग्रामीणों ने घेरा, कहा- अब वोट नहीं, लाठी रहेगा तैयार
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विधायक की लगाई जमकर क्लास

कोरोना की दूसरी लहर का कहर थोड़ा कम हुआ है और जनप्रतिनिधि अपने-अपने क्षेत्र में दौरा करने लगे हैं. हालांकि, कई जगह पर उन्हें गुस्से का सामना भी करना पड़ रहा है. एक ऐसा ही मामला उत्तराखंड के झबरेड़ा में सामने आया. यहां से बीजेपी विधायक देशराज कर्णवाल जैसे ही पीएचसी पहुंचे, उन्हें ग्रामीणों ने घेर लिया और खरी खोटी सुनाने लगे. बताया जा रहा है कि बीजेपी विधायक देशराज कर्णवाल झबरेड़ा गांव स्थित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (पीएचसी) का निरीक्षण करने पहुंचे. इस दौरान ग्रामीण इकट्ठा हो गए और गांव की उपेक्षा का आरोप लगाते हुए विधायक को आने वाले विधानसभा चुनाव में गांव में घुसने नहीं देने तक की बात कहने लगे. इस पूरी घटना का वीडियो सोशल मीडिया में खूब वायरल हो रहा है.

वायरल वीडियो में बीजेपी विधायक देशराज कर्णवाल से एक ग्रामीण कहता है, 'विधायक जी आपके सिर्फ पद का सम्मान है, जो आज आपको छोड़ रहे हैं, अगर आप इलेक्शन टाइम वोट मांगने आएंगे तो गैलरी में आपके के लिए लठ तैयार है.' ग्रामीणों ने बीजेपी विधायक को सीधे धमकी देते हुए गांव से चले जाने के लिए कहा. बताया जा रहा है कि बीजेपी विधायक देशराज कर्णवाल करोना महामारी को लेकर लोगों को जागरूक करने के लिए क्षेत्र में घूम रहे थे और लोगों से सावधानी बरतने की अपील कर रहे थे. इसी दौरान उन्हीं की विधानसभा के एक गांव में लोगों ने उन्हें घेर लिया और जमकर विधायक की क्लास लगाई. हालांकि, इस दौरान विधायक ने चुप्पी साध ली.

ग्रामीणों का आरोप है कि विधायक बनने के बाद देशराज कर्णवाल ने गांव में कोई भी कार्य नहीं किया, कोरोना काल में भी गांव में स्थित स्वास्थ्य केंद्र पर अब तक कोई व्यवस्था नहीं हो पाई, ना तो यहां पर कोई चिकित्सक और ना यहां पर रात को उपचार के लिए कोई व्यवस्था है, और नालों का निर्माण नहीं होने से सड़कों पर गंदा पानी भरा पड़ा है. ग्रामीणों ने कहा कि विधायक के पास जनता के बीच जाकर उनकी समस्या सुनने और उनका निदान करने का समय नहीं है, इसलिए झबरेड़ा विधानसभा की जनता में विधायक के प्रति भारी रोष पनप रहा है. वहीं, बीजेपी विधायक देशराज कर्णवाल गुस्साए ग्रामीणों को शांत करने का प्रयास करते रहे, लेकिन ग्रामीण उन्हें खरी खोटी सुनाते रहे.

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