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VIDEO: देश को आज मिले पहले स्वदेशी लड़ाकू हेलीकॉप्टर, दुश्मन के घर में गरजेंगे LCH

jantaserishta.com
3 Oct 2022 5:59 AM GMT
VIDEO: देश को आज मिले पहले स्वदेशी लड़ाकू हेलीकॉप्टर, दुश्मन के घर में गरजेंगे LCH
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न्यूज़ क्रेडिट: आजतक

जानें LCH की खूबियां।

नई दिल्ली: लाइट कॉम्बैट हेलिकॉप्टर (Light Combat Helicopter) को भारतीय वायुसेना जोधपुर एयरबेस पर तैनात कर 3 अक्टूबर 2022 को सुबह 11 बजे तैनात कर दिया. भारतीय वायुसेना ने ट्वीट करके यह जानकारी साझा की है. इस हेलिकॉप्टर की मदद से कई तरह के सैन्य ऑपरेशंस और मिशन को अंजाम दिया जा सकता है. इस पर ऐसे कौन से हथियार तैनात होते हैं, या हो सकते हैं जो इसे दुनिया के सर्वश्रेष्ठ घातक हेलिकॉप्टरों में शामिल करते हैं.

लाइट कॉम्बैट हेलिकॉप्टर का मुख्य काम है कॉम्बैट सर्च एंड रेस्क्यू यानी युद्ध के समय अपने सैनिकों को खोजकर उन्हें बचाना. दुश्मन के एयर डिफेंस सिस्टम को नष्ट करना. यानी डिस्ट्रक्शन ऑफ एनेमी एयर डिफेंस. घुसपैठ रोकना. ड्रोन, अनमैन्ड एरियल व्हीकल आदि को मार कर गिराना. अधिक ऊंचाई पर मौजूद दुश्मन के बंकरों को ध्वस्त करना. लेकिन इसके लिए किस तरह के हथियारों का उपयोग इस पर किया जा रहा है.
लाइट कॉम्बैट हेलिकॉप्टर की कॉकपिट के नीचे लगी है M621 Cannon. यह 20 मिलिमीटर की ऑटोमैटिक कैनन है. जिसे फ्रांसीसी कंपनी नेक्स्टर (Nexter) ने बनाया है. इस कैनन का जवन 45.5 किलोग्राम होता है. इसकी कुल लंबाई 86.9 इंच होती है. जबकि बैरल यानी नली की लंबाई 57 इंच होती है. इसे बंदूक नहीं कहेंगे. असल में यह एक तोप है. जो हर मिनट 800 गोलियां फायर करती है. गोलियां 1005 मीटर प्रति सेकेंड की गति से दुश्मन की ओर बढ़ती हैं. यानी एक सेकेंड में एक किलोमीटर.
लाइट कॉम्बैट हेलिकॉप्टर के विंग्स के नीचे FZ275 LGR यानी लेज़र गाइडेड रॉकेट लगा सकते हैं. इसे फ्रांस की थेल्स (Thales) कंपनी ने बनयाा है. यह कम कीमत का गाइडेड रॉकेट हैं. एक रॉकेट 12.5 किलोग्राम का होता है. लंबाई 1.8 मीटर होती है. व्यास 2.75 इंच होता है. इसकी रेंज 1.5 से 8 किलोमीटर तक होती है. यानी यह हवाई हमला भी कर सकता है या फिर किसी युद्धपोत, सतह, विमान या जमीन पर दागा जा सकता है. इसके दो वैरिएंट्स हैं जो बख्तरबंद और टैंक को भी उड़ा सकते हैं.
इस रॉकेट के अलावा लाइट कॉम्बैट हेलिकॉप्टर पर हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइल (Air-to-Air Missiles) मिस्ट्रल (Mistral) लगाई जा सकती हैं. मिस्ट्रल मिसाइल को भी फ्रांसीसी कंपनी मात्रा डिफेंस (Matra Defence) ने बनाया है. यह मिसाइल इंफ्रारेड होमिंग शॉर्ट रेंज एयर डिफेंस सिस्टम का हिस्सा है. इसका वजन 19.7 किलोग्राम है. लंबाई 1.86 मीटर हैं. इसकी फायरिंग रेंग 6 से 7 किलोमीटर है. इस मिसाइल में 2.95 किलोग्राम वजन का वॉरहेड लगाया जा सकता है.
इस हेलिकॉप्टर में क्लस्टर बम (Cluster Bomb), अनगाइडेड बम (Unguided Bomb) और ग्रैनेड लॉन्चर भी लगाए जा सकते हैं. यानी अगर किसी एक ही जगह पर कई निशानों पर बार घातक हमला करना हो तो क्लस्टर बम दाग दो. बड़ी तबाही मचानी हो तो एक भारी अनगाइडेड बम गिरा दो. या फिर दुश्मन की टुकड़ी को बर्बाद करना हो तो ग्रैनेड लॉन्च कर दो.
भारतीय वायुसेना की योजना है कि इस इस हेलिकॉप्टर में भविष्य में हेलिना (Helina) यानी ध्रुवास्त्र (Dhruvastra) लगाया जाए. पहले इसका नाम नाग मिसाइल (Nag Missile) था. इसे इंफ्रारेड इमेजिंग सीकर (IIR) तकनीक गाइड करती है. यह दुनिया के बेहतरीन और अत्याधुनिक एंटी-टैंक हथियारों में से एक है. यह मिसाइल 828 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से दुश्मन की तरफ बढ़ती है. यह स्पीड इतनी है कि पलक झपकते ही दुश्मन के भारी से भारी टैंक को बर्बाद कर सकती है.
ध्रुवास्त्र की रेंज 500 मीटर से लेकर 20 KM तक है. यह तीसरी पीढ़ी की 'दागो और भूल जाओ' टैंक रोधी मिसाइल (ATGM) प्रणाली है, जिसे आधुनिक हल्के हेलिकॉप्टर पर लगाया जा सकता है. इसके कई सफल परीक्षण हो चुके हैं. ध्रुवास्त्र मिसाइल का वजन करीब 45 KG है. यह 6.1 फीट लंबी है. व्यास 7.9 इंच है. इसमें 8 KG विस्फोटक लगाकर इसे बेहतरीन मारक मिसाइल बनाया जा सकता है. इस मिसाइल के लगने के बाद मिस्ट्रल मिसाइल को हटा दिया जाएगा.
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