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कर्नाटक विधानसभा में वीडियो रिकॉर्डिंग पर लगा प्रतिबंध, मीडिया इंटरव्यू की भी मनाही

Renuka Sahu
18 July 2021 2:26 AM GMT
कर्नाटक विधानसभा में वीडियो रिकॉर्डिंग पर लगा प्रतिबंध, मीडिया इंटरव्यू की भी मनाही
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फाइल फोटो 

कर्नाटक सरकार ने शनिवार को एक नया आदेश जारी किया, जिसमें राज्य विधानसभा विधान सौध के गलियारों में वीडियो रिकॉर्ड करने या मंत्रियों और अधिकारियों के इंटरव्यू और तस्वीरें लेने से मीडिया पर प्रतिबंध लगा दिया गया है. कर्नाटक के मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा के कहने पर कार्मिक और प्रशासनिक सुधार विभाग (डीपीएआर) द्वारा जारी नवीनतम परिपत्र में कहा गया है कि मीडिया पर प्रतिबंध सुरक्षा प्रोटोकॉल को ध्यान में रखते हुए लगाया गया है.

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। कर्नाटक सरकार (Karnataka Government) ने शनिवार को एक नया आदेश जारी किया, जिसमें राज्य विधानसभा (Vidhansabha) विधान सौध के गलियारों में वीडियो रिकॉर्ड करने या मंत्रियों और अधिकारियों के इंटरव्यू और तस्वीरें लेने से मीडिया पर प्रतिबंध लगा दिया गया है. कर्नाटक के मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा (BS yediyurappa) के कहने पर कार्मिक और प्रशासनिक सुधार विभाग (डीपीएआर) द्वारा जारी नवीनतम परिपत्र में कहा गया है कि मीडिया पर प्रतिबंध सुरक्षा प्रोटोकॉल को ध्यान में रखते हुए लगाया गया है.

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, मीडिया द्वारा विधायी सत्रों के दौरान मंत्रियों और विधायकों की आवाजाही रोकने और कर्मचारियों को असुविधा पैदा करने से रोकने के लिए नया आदेश जारी किया गया है. सर्कुलर में कहा गया है कि केंगल हनुमंतैया प्रवेश द्वार जिसे विधान सौध के 'पश्चिम द्वार' के रूप में जाना जाता है, को मीडिया के लिए नामित किया गया है.
2018 में भी किया गया था ऐसा
परिपत्र के मुताबिक, मंत्री और विधायकों के निजी सहायकों को बैठक कक्षों या मंत्रिस्तरीय कक्षों में मीडिया के साथ बाइट्स, साक्षात्कार और अन्य बैठकों की व्यवस्था करने के निर्देश दिए गए हैं. दिशानिर्देशों का उल्लंघन करने वाले को कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा. इसी तरह के प्रतिबंध पहले 2018 में भी लगाए गए थे जब एचडी कुमारस्वामी (HD KumarSwamy) मुख्यमंत्री थे. तब मीडिया को विधान सौध, विकास सौध और बहुमंजिला सचिवालय भवन में प्रवेश करने से रोक दिया गया था.
2012 के बाद कर्नाटक विधानसभा में मीडिया का प्रवेश तब निषेध किया गया जब सूबे की कमान एच डी कुमारस्वामी ने संभाली. कुमारस्वामी ने डायरेक्टर जनरल ऑफिस को निर्देशित किया था कि विधानसभा भवन के बाहर मीडिया के लिए अलग स्थान बनाया जाए और यहीं से मीडिया को ब्रीफ किया जाए. तब ये फैसला क्यों लिया गया? इसपर कुमारस्वामी सरकार का भी तर्क वही था जो फ़िलहाल येदियुरप्पा सरकारने दिया है. कुमार स्वामी को भी लग रहा था कि मीडिया शासन के काम में दखल अंदाजी कर रही है. तत्कालीन सरकार के इस फैसले पर कड़ी आपत्ति दर्ज की गई थी और मामले में दिलचस्प बात ये रही की कुमारस्वामी को अपना आर्डर वापस लेना पड़ा.
केवल 150 पत्रकारों को ही विधान सौध में प्रवेश करने की थी अनुमति
हालांकि, विपक्ष और मीडिया बिरादरी द्वारा सरकार के फैसले की निंदा करने के बाद आदेश को रद्द कर दिया गया था. सितंबर 2019 में, कर्नाटक सरकार ने एक आदेश जारी किया था जिसमें कहा गया था कि सरकार द्वारा चुने गए केवल 150 पत्रकारों को ही विधान सौध, विकास सौध और बहुमंजिला सचिवालय भवन में प्रवेश करने की अनुमति दी जाएगी. 2019 में, बीजेपी सरकार ने विधानसभा के अंदर कार्यवाही की रिकॉर्डिंग को भी प्रतिबंधित कर दिया था.


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