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कहा- हम केवल रील बनाने वाले नहीं, काम करने वाले लोग हैं.
नई दिल्ली: संसद में कांग्रेस के आरोपों का जवाब देते हुए रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि हम केवल रील बनाने वाले नहीं, काम करने वाले लोग हैं. रेल हादसों को लेकर विपक्ष के हंगामे पर नाराजगी जताते हुए अश्विनी वैष्णव ने कहा कि जो लोग यहां चिल्ला रहे हैं, उनसे पूछा जाना चाहिए कि सत्ता में रहते हुए 58 साल में वो एक किलोमीटर भी ऑटोमेटिक ट्रेन प्रोटेक्शन (ATP) क्यों नहीं लगा पाए.
संसद में बोलते समय विपक्षी सांसदों के हंगामे से रेल मंत्री नाराज हो गए. इस दौरान विपक्ष के सांसदों से भड़कते हुए बैठने को कहा. उन्होंने हंगामा करते हुए विपक्षा सांसदों से कहा, "चुप, बैठ जाइए. बैठिए. कुछ भी बोलते हैं." इसके बाद उन्होंने चेयर को संबोधित करते हुए कहा कि ये क्या तरीका है, कुछ भी बीच में बोल देते हैं.
रेल मंत्री ने कहा, "आज ये सवाल उठाने की हिम्मत कर रहे हैं, जब ममता बनर्जी रेल मंत्री थीं तो हादसा आंकड़ा 0.24 से घटकर 0.19 हो जाने पर ये लोग सदन में ताली बजाते थे और आज जब ये 0.19 से घटकर 0.03 हो गया तो ये इस तरह का दोष लगाते हैं."
#WATCH | While speaking in Lok Sabha, Union Minister for Railways, Ashwini Vaishnaw says, "We are not the people who make reels, we do hard work unlike you people who make reels for show off..."The railway minister says, "The average working and rest times of Loco pilots are… pic.twitter.com/gL2sFgWWZt
— ANI (@ANI) August 1, 2024
अश्विनी वैष्णव ने स्पीकर से पूछा कि क्या ये देश ऐसे चलेगा? रेल मंत्री ने आरोप लगाया कि कांग्रेस सोशल मीडिया की ट्रोल आर्मी के जरिए झूठ फैलाती है. उन्होंने कहा, "अयोध्या में स्टेशन की एक पुरानी दीवार गिरी तो समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के हैंडल से उसे तुरंत उठाना चालू किया. इस तरह के झूठ से कैसे देश चलेगा. दो करोड़ पैसेंजर्स डेली यात्रा करते हैं. क्या उनके मन में ये भय भरना चाहते हैं?"
रेल मंत्री ने संसद में बताया कि हादसों को रोकने के लिए पूरे देश में मानवरहित रेलवे क्रॉसिंग कर दी गई है, जहां हर साल कोई स्कूल बस या कोई दुर्घटना हो जाती थी. स्टेशंस का पूरा कंट्रोल इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग के माध्यम से होता है. दुनिया के बड़े देशों में 1980-90 के दशक में लग गई थी. अपने यहां स्लो पेस से काम चल रहा था. उन्होंने कहा कि 2014 में सरकार में आने के बाद हमने 2015 में एटीपी डेवलप करने का संकल्प लिया और 2016 में कवच के ट्रायल्स शुरू हुए. कोविड के बावजूद 2020-21 में इसके एक्सटेंडेट ट्रायल्स हुए, तीन मैन्युफैक्चरर्स को चिह्नित किया और और 2023 में तीन हजार किलोमीटर का प्रोजेक्ट रोलआउट हुआ और आज हम उस स्थिति में है कि दो मैन्युफैक्चरर्स जुड़ने वाले हैं, हमने आठ हजार से अधिक इंजीनियर्स को प्रशिक्षित किया है.
उन्होंने बताया, अब हम 9000 किलोमीटर के टेंडर इन प्रॉसेस हैं और कुछ ही महीनों में पांच हजार लोकोमोटिव्स पर ये लगना शुरू हो जाएगा. हमारा करीब करीब 70 हजार किलोमीटर का रेल नेटवर्क है. उससे आधे नेटवर्क वाले देशों ने करीब-करीब 20 साल लगाए एटीपी इंस्टाल करने में. इतना भरोसा दिलाना चाहूंगा कि कवच को इंस्टाल करने में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहेंगे.
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