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चीन की बैठक में चला गलवान झड़प का वीडियो, लेकिन वजह क्या है?
jantaserishta.com
17 Oct 2022 7:20 AM GMT
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न्यूज़ क्रेडिट: आजतक
भारतीय सेना से पिटने वाला कमांडर भी दिखा।
नई दिल्ली: चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के अधिवेशन में यूं तो चर्चा चीन की राजनीति, कोविड, राष्ट्रपति शी जिनपिंग के कार्यकाल के विस्तार पर होनी चाहिए थी. लेकिन बीजिंग स्थित द ग्रेट पीपुल्स हॉल के अंदर एक विशाल स्क्रीन पर गलवान में भारत के सैनिकों के साथ झड़प का वीडियो दिखाया जा रहा था. चीन में कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना का 20वां कांग्रेस रविवार का शुरू हो गया है.
रविवार को इस मीटिंग में कम्युनिस्ट पार्टी के बड़े ओहदेदार मौजूद थे. सेना के कई कमांडर मौजूद थे. इन्हीं कमांडरों के साथ मौजूद था कमांडर की फाबाओ (QI FABAO). कमांडर फाबाओ 15 जून 2020 को लद्दाख की गलवान घाटी में भारतीय सेना के साथ झड़प के दौरान चीन की ओर से मौजूद था. इस लड़ाई में ये कमांडर भारतीय सैनिकों के हाथ लग गया था और भारतीय सैनिकों के जवाबी हमले में गंभीर रूप से जख्मी हो गया था. फाबाओ समेत अन्य कमांडरों के बीच द ग्रेट पीपुल हॉल में भारत के जवावी एक्शन का वीडियो फ्रेम बाई फ्रेम दिखाया गया.
चीन के सबसे बड़े राजनीतिक और सैन्य जमावड़े में भारतीय सैनिकों के साथ चीनी सैनिकों की पिटाई का ये वीडियो दिखाना इस बात का संकेत है कि गलवान में भारत का जवाब चीनी नेतृत्व के मनोविज्ञान में गहराई तक समा गया है.
बता दें कि कम्युनिस्ट पार्टी के अधिवेशन में कुल 2296 डेलीगेट्स शामिल हो रहे हैं. इन डेलीगेट्स में 304 प्रतिनिधि चीन की सेना के हैं. इन्हीं 304 कमांडरों में एक की फाबाओ भी है. इस अधिवेशन में वीडियो के उस हिस्से को चलाया गया जहां की फाबाओ भी मौजूद था.
बता दें कि कमांडर की फाबाओ के जरिए चीन भारत को चिढ़ाने की नीति पर काम करता है. इससे पहले फरवरी में चीन ने विंटर ओलंपिक में इस कमांडर को ओलंपिक रैली का मशाल भी धमाया था.
बता दें कि जून 2020 में जब दुनिया कोरोना के प्रकोप से जूझ रही थी तो लद्दाख के आगे गलवान घाटी में चीन ने भारत के साथ उसी विश्वासघात की नीति अपनाई थी जो चीन की सैन्य नीति का हिस्सा रहा है. 15 जून को भारत की ओर से कर्नल संतोष बाबू भारतीय सैनिकों के एक दल के साथ गलवान नदी के किनारे चीन के अवैध निर्माण का निरीक्षण करने गए थे, तभी घात लगाए बैठे चीनी सैनिकों ने भारतीय सैनिकों पर हमला कर दिया था. ये रात का समय था. चीनी सैनिकों के अचानक हुए हमले से भारतीय सैनिक कुछ सेकेंड के लिए तो चौक गए लेकिन भारत ने तुरंत जवाबी हमला किया. उस रात खून जमा देने वाली सर्दी में भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच जोरदार भिडंत हुई.
इस भिडंत में कर्नल बाबू समेत भारत के 20 जवान शहीद हो गए थे. भारत ने अपने सैनिकों के बलिदान को स्वीकार किया. लेकिन चीन ने यहां भी घटिया चालबाजी की. चीन ने पहले तो कहा कि उसके कोई जवान नहीं मारे गए हैं. लेकिन कुछ महीनों बाद घरेलू दबाव में चीन ने अपने 5 जवानों के मारे जाने की बात स्वीकार की.
लेकिन सच्चाई यही नहीं थी. बाद में अंतरराष्ट्रीय मीडिया ने इस बात की पुष्टि की कि इस लड़ाई में चीन के 38 सैनिक गलवान नदी की तेज धारा में बह गए थे. इस हमले में चीन अपनी कैजुअलिटी को आज भी दिलेरी के साथ दुनिया के सामने स्वीकार करने से हिचकिचाता है, क्योंकि इससे उसका दुनिया बेस्ट आर्मी होने के दावे का पाखंड टूट जाता है.
हालांकि राष्ट्रपति शी जिनपिंग जब अपने लिए बतौर राष्ट्रपति तीसरी पारी का रास्ता साफ कर रहे हैं तो उन्होंने सैन्य राष्ट्रवाद को अपना हथियार बनाया है. रविवार को शी जिनपिंग ने अपने संबोधन में कहा कि उनके नेतृत्व में चीनी सेना 'रणनीतिक प्रतिरोध' की एक मजबूत प्रणाली विकसित करेगी. सैनिकों को ऐसी ट्रेनिंग दी जाएगी ताकि वे जीतने के लिए लड़ें. जिनपिंग ने कहा कि हम सैन्य प्रशिक्षण को तेज करेंगे और सभी स्तर पर युद्ध की तैयारियों को बढ़ाएंगे ताकि यह निश्चित किया जा सके कि हमारी सेना लड़े और जीते.
चीन और भारत के साथ हजारों किलोमीटर साझा बॉर्डर को देखते हुए जिनपिंग का ये बयान अहम है.
जिनपिंग ने कहा कि हम सेना में नई तरह के सैनिकों का अनुपात बढ़ाएंगे, मानवरहित तकनीक को ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल करेंगे और नेटवर्क सूचना प्रणाली को लागू करेंगे. हम ज्वाइंट ऑपरेशन के लिए कमांड सिस्टम को मजबूत करेंगे. इसके अलावा जिनपिंग ने ज्वाइंट स्ट्राइक, बैटलफील्ड सपोर्ट सिस्टम को भी मजबूत करने की बात कही है.
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