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न्यूज़ क्रेडिट: हिंदुस्तान
कन्नौज: किसानों की सूखा राहत रकम ठगने वाले शातिर को अदालत ने दोषी मानते हुए 17 साल बाद सात साल कैद की सजा सुनाई। शातिर ने 197 किसानों के साथ धोखाधड़ी की थी। जानकारी पर बैंक संचालक ने मुकदमा दर्ज कराया था। कोर्ट ने सजा के साथ पांच हजार का जुर्माना भी लगाया है।
यह मामला तिर्वा तहसील के इंदरगढ़ से जुड़ा है। शासकीय अधिवक्ता तरुण चंद्रा ने बताया कि 23 जून 2005 को इंदरगढ़ थाना में किसानों से ठगी की रिपोर्ट जिला सहकारी बैंक फतेहगढ़ के संचालक सुरेश चंद्र ने दर्ज कराई थी।
इसमें बताय गया था कि बैंक के बाहर फोटोकॉपी की दुकान चलाने वाले ग्राम नेकापुर निवासी प्रभात चंद्र ने सूखा राहत के लिए किसानों को दी गई चेकों का भुगतान अपने खाते में कराकर 20 प्रतिशत कमीशन काट लिया। 197 किसानों को 70881 रूपये जारी हुए थे। रिपोर्ट के आधार पर पुलिस ने छह किसानों को अदालत में गवाह के रूप में पेश किया। मामले की सुनवाई करते हुए अपर सत्र न्यायाधीश प्रथम विशंभर प्रसाद ने प्रभात चंद्र को दोषी करार दिया। साथ ही जुर्माना भी लगाया। प्रभात को जुर्माना न अदा करने पर चार माह अतिरिक्त कैद भुगतनी होगी।
शासकीय अधिवक्ता ने बताया कि 2005 में दर्ज मुकदमा में करीब ढाई साल पहले 27 नवंबर 2019 में एसीजेएम की अदालत में प्रभात दोषमुक्त हो गया था। इसपर उन्होंने छह मार्च 2020 को फैसले के खिलाफ अपील की। पूरे साक्ष्य रखे। किसानों ने भी इसमें गवाही दी। अब अदालत ने उसे दोषी मानते हुए सजा सुनाई।
मुआवजे की रकम किसानों को एक हजार रुपये से कम की थी। कुछ की तो 100 और कुछ की इसी के आसपास की थी। किसानों को तहसील प्रशासन से बियरर चेक जारी हुआ था। शातिर ने इसी का फायदा उठाया। किसानों से चेक लेकर पीछे अपना हस्ताक्षर कर कमीशन काटकर किसानों को लौटा दी। इसी खेल को बैंक ने पकड़ लिया।
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