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उपराष्ट्रपति नायडू ने नेताओं के हंगामे पर जताई चिंता, कहा- 'किसी संबोधन की आलोचना करें पर लोकतंत्र को कमजोर न करें'

Kunti Dhruw
4 March 2022 6:31 PM GMT
उपराष्ट्रपति नायडू ने नेताओं के हंगामे पर जताई चिंता, कहा- किसी संबोधन की आलोचना करें पर लोकतंत्र को कमजोर न करें
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उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू (M Venkaiah Naidu) ने संसद (Parliament) में बाधा और कुछ विधानसभाओं में हुई.

उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू (M Venkaiah Naidu) ने संसद (Parliament) में बाधा और कुछ विधानसभाओं में हुई, हालिया घटनाओं पर चिंता व्यक्त करते हुए शुक्रवार को कहा कि अगर जनप्रतिनिधि बजट या किसी संबोधन को पसंद नहीं करते हैं तो वे उसकी आलोचना कर सकते हैं, लेकिन उन्हें ऐसी किसी भी चीज से बचना चाहिए जिससे लोकतंत्र कमजोर होता हो. उपराष्ट्रपति की इस टिप्पणी को पिछले समय में राज्यपाल के संबोधन के समय घटने वाली कुछ घटनाओं से जोड़कर देखा जा रहा है.

गोवा राजभवन के परिसर में एक नवनिर्मित अत्याधुनिक दरबार हॉल का उद्घाटन करने के बाद नायडू ने संसद में बाधा और कुछ विधानसभाओं में हुई हालिया घटनाओं पर चिंता व्यक्त की. उपराष्ट्रपति ने कहा, अगर जनप्रतिनिधि बजट या किसी संबोधन को पसंद नहीं करते हैं तो वे उसकी आलोचना कर सकते हैं और ऐसी किसी भी चीज से बचना चाहिए, जिससे लोकतंत्र कमजोर होता हो. उन्होंने कहा, हमें इन संस्थानों का सम्मान जरूर करना चाहिए.
वेंकैया नायडू ने कहा कि सबसे बड़े संसदीय लोकतंत्र के रूप में भारत शांतिपूर्ण बदलाव या चुनावों के दौरान शासन को जारी रखने के जरिए विश्व के बाकी हिस्सों के लिए एक महान उदाहरण स्थापित कर रहा है. उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में अगर आप किसी चीज को पसंद नहीं करते हैं, तो आप उसकी आलोचना कर सकते हैं, आप शांतिपूर्ण तरीके से इसे समझा सकते हैं एवं विरोध कर सकते हैं. उपराष्ट्रपति ने कहा, हमें लोगों के जनादेश का सम्मान करने के लिए धैर्य रखना चाहिए.
महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी का संबोधन रह गया था अधूरा
वेंकैया नायडू का यह बयान ऐसे समय में आया है जब एक दिन पहले ही विधायकों की नारेबाजी के कारण महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी मुंबई में विधान भवन के केंद्रीय हॉल में विधानमंडल के दोनों सदनों के संयुक्त सत्र के संबोधन को पूरा किए बिना चले गए थे. बुधवार को गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने भी अपना संबोधन संक्षिप्त कर दिया था. वहीं, उपराष्ट्रपति ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सुधारों के जरिए देश और लोगों के जीवन में बदलाव की इच्छा रखते हैं. उन्होंने कहा कि आजादी के 75 साल बाद भी देश गरीबी, निरक्षरता, क्षेत्रीय असमानताओं, सामाजिक और लैंगिक भेदभाव जैसी चुनौतियों का सामना कर रहा है तथा यह हर सरकार व व्यक्ति का कर्तव्य है कि इन बुराइयों को समाप्त करने पर अपना ध्यान केंद्रित करें. उन्होंने कहा, हमें इस पर जरूर ध्यान देना चाहिए कि भारत एक मजबूत, स्थिर और समृद्ध राष्ट्र के रूप में आगे बढ़ सके.


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