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उपराष्ट्रपति धनखड़ ने देश को युग में जाने से चेताया

Sonam
5 Aug 2023 9:49 AM GMT
उपराष्ट्रपति धनखड़ ने देश को युग में जाने से चेताया
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उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ अपनी स्पष्टवादिता और खुलकर अपनी बात कहने के लिए जाने जाते हैं। राज्यसभा में हंगामा करते रहने वाले विपक्ष को समझाने की बात हो या फिर विदेश जाकर भारत विरोधी बातें कहने वाले नेताओं को सही राह दिखाने की बात हो, उपराष्ट्रपति कभी मौका नहीं चूकते। उपराष्ट्रपति धनखड़ देश के किसी राज्य के दौरे पर जायें या फिर विदेश यात्रा पर, वह सदैव भारत की गौरव गाथा का भी बखान करते हैं। इस क्रम में जब वह शुक्रवार को नागपुर पहुँचे तो यहां कई कार्यक्रमों में उन्होंने भाग लिया। इस दौरान उनके संबोधन सभी के लिए मार्गदर्शक रहे।

गठबंधन सरकार के प्रति चेताया

उपराष्ट्रपति ने इंडिया नामक गठबंधन का नाम लिये बिना देश को गठबंधन सरकार के युग में जाने के प्रति सचेत किया और बहुमत वाली सरकार के लाभ गिनाये। उपराष्ट्रपति ने कहा कि देश ने 2014 के बाद एक ‘‘बड़ा बदलाव’’ देखा है क्योंकि उसे एक ऐसी सरकार मिली है जहां तीन दशकों के गठबंधन शासन के बाद एक ही पार्टी के पास बहुमत है। नागपुर में भारतीय राजस्व सेवा के 76वें बैच के अधिकारी प्रशिक्षुओं और राष्ट्रीय प्रत्यक्ष कर अकादमी (एनएडीटी) में ओरिएंटेशन प्रशिक्षण कार्यक्रम के प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए उपराष्ट्रपति ने हाल में संसद द्वारा पारित मध्यस्थता विधेयक 2021 की सराहना करते हुए कहा कि इससे समाज के एक बड़े वर्ग को मदद मिलेगी जो कमजोर है। उन्होंने कहा कि संसद ने 40 से अधिक अधिनियमों में संशोधन किया और उनमें से जेल की सजा का प्रावधान हटा दिया। उपराष्ट्रपति ने कहा, ‘‘ये बदलाव... बहुत पहले हो जाने चाहिए थे। लेकिन अब हम सही रास्ते पर हैं।’’ उन्होंने कहा कि संकट हमेशा एक अवसर प्रदान करता है और जब कोई चुनौती का डटकर सामना करता है तो वह भी एक अवसर बन जाता है।

उपराष्ट्रपति ने कहा, ‘‘बड़ा बदलाव क्यों आया? बड़ा बदलाव इसलिए आया क्योंकि तीस साल से देश अनिश्चितता और गठबंधन शासन के खतरों को देख रहा था। लेकिन 2014 में देश को एक ही पार्टी की सरकार मिली (लोकसभा में अपने दम पर बहुमत वाली एक पार्टी की सरकार) और 2019 में वही पार्टी फिर से शासन में आई।’’

भारत विरोधी विमर्श को लेकर बयान

इसके अलावा नागपुर में ही एक अन्य कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने ‘‘भारत विरोधी विमर्श’’ को बेअसर करने का आह्वान करते हुए कहा कि यह ऐसे समय में हो रहा है जब देश की वैश्विक प्रतिष्ठा अब तक के शीर्ष स्तर पर है। नागपुर विश्वविद्यालय के छात्रों और शिक्षकों समेत उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि भारत लोकतंत्र की जननी है और दुनिया के किसी भी अन्य देश में भारत के समान संवैधानिक रूप से निर्मित प्रतिनिधि शासन प्रणाली नहीं है। धनखड़ ने कहा कि लोकतंत्र में कोई भी कानून से ऊपर नहीं है और सभी को इसके अधीन रहना होगा, ‘‘लेकिन जब कानून अपना काम करता है और लोग सड़कों पर उतरते हैं, तो क्या इसे नजरअंदाज किया जा सकता है?’’ हम आपको बता दें कि उपराष्ट्रपति राष्ट्रसंत तुकडोजी महाराज नागपुर विश्वविद्यालय के शताब्दी समारोह के तहत आयोजित एक समारोह को संबोधित कर रहे थे।

भारत विरोधी विमर्श पर चिंता व्यक्त करते हुए, धनखड़ ने कहा, ‘‘क्या हम किसी को भी बिना किसी आधार के हमारे संवैधानिक संस्थानों को कलंकित करने, बदनाम करने और लांछन लगाने की अनुमति दे सकते हैं? यह ऐसे समय में हो रहा है जब पूरी दुनिया भारत के बारे में बात कर रही है और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने कहा है कि भारत निवेश और अवसरों के लिए एक पसंदीदा स्थान है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन, हममें से कुछ लोग उस पर सवाल करना चाहते हैं। हममें से कुछ लोग दूसरा दृष्टिकोण रखना चाहते हैं।’’ उपराष्ट्रपति ने कहा कि अब समय आ गया है कि लोग ‘‘भारत विरोधी विमर्श’’ को बेअसर करें, जो ऐसे समय में हो रहा है जब देश को उस तरह की वैश्विक प्रतिष्ठा और सम्मान प्राप्त है जो पहले नहीं देखी गई थी। उपराष्ट्रपति ने कहा, ‘‘इतिहास में पहले कभी किसी भारतीय प्रधानमंत्री को इतना सम्मान नहीं मिला जितना अब नरेन्द्र मोदी को मिला है।’’ दुनिया के सबसे पुराने लोकतंत्र के रूप में भारत की सराहना करते हुए उन्होंने कहा, ‘‘हमारा संविधान ग्राम स्तर, पंचायत स्तर और जिला स्तर पर लोकतंत्र प्रदान करता है। हमारे देश में लोकतांत्रिक मूल्य फलते-फूलते हैं।’’

संसद में हंगामे को लेकर बयान

धनखड़, जो राज्यसभा के सभापति भी हैं, ने कहा कि चर्चा में शामिल होना प्रत्येक संसद सदस्य की जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा, ‘‘देश भर से प्रतिनिधि, जो समाज के हर वर्ग का प्रतिनिधित्व करते हैं, संसद में आते हैं। बहस, संवाद, चर्चा में शामिल होना और कार्यवाही में व्यवधान से बचना उनकी जिम्मेदारी है।’’ धनखड़ ने कहा, भारत शिष्टतापूर्ण असहमति, बहस और चर्चा की परंपरा के लिए जाना जाता है। उन्होंने कहा, ‘‘असहमति में भी मर्यादा रखनी होती है। लोकतंत्र के स्वस्थ कामकाज के लिए शिष्टता और व्यवस्था आवश्यक शर्तें हैं।’

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