भारत

विश्व वन्यजीव दिवस पर जीव-जंतुओं के संरक्षण को लेकर दिग्गजों ने जताई अपनी प्रतिबद्धता

Nilmani Pal
3 March 2022 12:24 PM GMT
विश्व वन्यजीव दिवस पर जीव-जंतुओं के संरक्षण को लेकर दिग्गजों ने जताई अपनी प्रतिबद्धता
x

राजस्थान। दुनियाभर में विलुप्त हो रही वनस्पतियों और जीव-जंतुओं की प्रजातियों के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए हर साल 3 मार्च को विश्व वन्यजीव दिवस यानी वर्ल्ड वाइल्डलाइफ डे मनाया जाता है। हालांकि, राजस्थान और गुजरात का वन्यजीवन काफी प्रभावी है, लेकिन इसे कतई दरकिनार नहीं किया जा सकता है कि जैव विविधता की समृद्धि ही धरती को रहने तथा जीवनयापन के योग्य बनाती है। इन सबसे अलग समस्या यह है कि लगातार बढ़ता प्रदूषण, वातावरण पर इतना खतरनाक प्रभाव डाल रहा है कि जीव-जंतुओं और वनस्पतियों की अनेक प्रजातियाँ धीरे-धीरे लुप्त होती जा रही हैं। भारत में इस समय 900 से भी ज्यादा दुर्लभ प्रजातियां खतरे में बताई जा रही हैं। यही नहीं, विश्व धरोहर को गंवाने वाले देशों की लिस्ट में दुनियाभर में भारत का सातवां स्थान है।


इस दिन को गंभीरता से लेते हुए और देशवासियों को इसके प्रति जागरूक करने के मकसद से स्वदेशी माइक्रो-ब्लॉगिंग मंच कू ऐप पर भारत सरकार सहित राजस्थान तथा गुजरात के कई बड़े नेताओं ने शुभकामनाएँ दी हैं, जिसमें MyGovIndia ने कू करते हुए लिखा है:

जीवों के आवास में लगातार वृद्धि के साथ, आइए हम अपनी बहुमूल्य प्राकृतिक विरासत, हमारे वन्य जीवन को बचाने, संरक्षित करने और जश्न मनाने के लिए समर्पित प्रयास करने का संकल्प लेकर #WorldWildlifeDay मनाएं।

लोकसभा अध्यक्ष, ओम बिरला ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म कू पर पोस्ट करते हुए कहा है:

प्रजातियों, आवासों और पारिस्थितिकी तंत्र के नुकसान से पृथ्वी पर जीवन को खतरा है। इस #WorldWildlifeDay पर, आइए हम गंभीर रूप से लुप्तप्राय प्रजातियों को बचाने, उनके आवासों और पारिस्थितिकी तंत्र की बहाली का समर्थन करने और मानवता द्वारा उनके स्थायी उपयोग को बढ़ावा देने के लिए खुद को प्रतिबद्ध करें।

राज्यसभा सांसद और रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड के निदेशक (कॉर्पोरेट मामले) परिमल नथवाणी ने देश के पहले बहुभाषी माइक्रो-ब्लॉगिंग मंच कू के माध्यम से कहा:

राज्यसभा सांसद और रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड के निदेशक (कॉर्पोरेट मामले) परिमल नथवाणी ने देश के पहले बहुभाषी माइक्रो-ब्लॉगिंग मंच कू के माध्यम से कहा:

एशियाई शेरों के एकमात्र निवास स्थान के रूप में, #गुजरात का #गिर राष्ट्रीय उद्यान भारत के सभी राष्ट्रीय उद्यानों में प्रमुख गौरव है। इसकी बहुमुखी वनस्पति और जीव इसके मूल्य को और बढ़ाते हैं, जिससे यह #वन्यजीव प्रेमियों के बीच एक बहुत लोकप्रिय गंतव्य बन जाता है। #विश्व वन्यजीव दिवस

केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री, नितिन गडकरी ने वन्यजीव जागरूकता को लेकर कू पर अपनी पोस्ट में लिखाः

इस #WorldWildlifeDay पर आइए हम सभी वन्यजीवों और वनस्पतियों के संरक्षण का संकल्प लें और उनके पारिस्थितिक महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाएं।

सवाई माधोपुर की पूर्व विधायक दीया कुमारी प्रकृति के संरक्षण के लिए जागरूकता संदेश देते हुए अपनी कू पोस्ट में कहती हैं:

विश्व वन्यजीव दिवस के अवसर पर वैश्विक स्तर पर विलुप्त हो रहे वन्यजीवों के प्रति दया भाव रखने व प्रकृति के संरक्षण एवं संवर्धन का संकल्प लें।

#विश्ववन्यजीव_दिवस #WorldWildlifeDay

विश्व वन्यजीव दिवस की थीम

विश्व वन्यजीव दिवस के प्रति लोगों को जागरूक करने लिए संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा हर साल एक थीम जारी की जाती है, जिससे कि विलुप्त हो रहे वनस्पतियों और जीव-जन्तुओं की प्रजातियों की सुरक्षा के लिए लोगों में जागरूकता पैदा की जा सके। विश्व वन्यजीव दिवस 2022 की थीम है- पारिस्थितिकी तंत्र की बहाली के लिए प्रमुख प्रजातियों को ठीक करना (Recovering Key Species For Ecosystem Restoration)।

क्यों मनाया जाता है विश्व वन्यजीव दिवस?

विश्व वन्यजीव दिवस को मनाने का मुख्य उद्देश्य विश्वभर में वन्यजीवों की सुरक्षा तथा वनस्पतियों की लुप्तप्राय प्रजातियों के प्रति लोगों को जागरूक करना है।विश्व के सभी देशों के साथ इस दिन भारत में भी वन्यजीवों हेतु जागरूकता फैलाई जाती है और प्रकृति और मानव के संबंधों को दर्शाया जाता है।

कुछ ऐसा है इतिहास

संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 20 दिसंबर 2013 को 68वें सत्र में 3 मार्च को विश्व वन्यजीव दिवस की घोषणा की थी। इसी दिन विलुप्तप्राय वन्यजीव और वनस्पति के व्यापार पर अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन को स्वीकृत किया गया था। वन्यजीवों को विलुप्त होने से रोकने हेतु सर्वप्रथम साल 1872 में जंगली हाथी संरक्षण अधिनियम (वाइल्ड एलीफेंट प्रिजर्वेशन एक्ट) पारित हुआ था।

2014 में मनाया गया था पहली बार

दुनियाभर से लुप्त हो रहे जंगली फल-फूलों के अंतरराष्ट्रीय व्यापार को प्रतिबंधित करने के लिए 3 मार्च 1973 को यूनाइटेड नेशंस के प्रस्ताव पर हस्ताक्षर हुए थे। इस खास दिन की याद में 20 दिसंबर 2013 को संयुक्त राष्ट्र महासभा के 63वें सत्र में तय हुआ कि हर साल 3 मार्च को वर्ल्ड वाइल्डलाइफ डे मनाया जाएगा। 3 मार्च 2014 को पहला विश्व वन्यजीव दिवस मनाया गया।

भारत की पांच प्रमुख वाइल्‍ड लाइफ सैंचुरी में से एक है रणथंभौर नेशनल पार्क

राजस्थान का रणथंभौर राष्ट्रीय अभ्यारणय अपनी खूबसूरती, विशाल क्षेत्र और बाघों की मौजूदगी के कारण दुनियाभर में प्रसिद्ध है। यहाँ पर्यटक वन्यजीवों को प्राकृतिक माहौल में देखकर काफी रोमांचित होते हैं। यह नेशनल पार्क देश के बेहतरीन बाघ आरक्षित क्षेत्रों में से एक माना जाता है। यहाँ बाघ के अलावा चीते, सांभर, चीतल, जंगली सुअर, चिंकारा, हिरण, सियार, तेंदुए, जंगली बिल्ली और लोमड़ी भी पाई जाती है। जानवरों के अलावा यहाँ पक्षियों की लगभग 264 प्रजातियाँ देखी जा सकती हैं। रणथंभौर को भारत सरकार द्वारा 1955 में सवाई माधोपुर खेल अभयारण्य के रूप में स्थापित किया गया था और 1973 में प्रोजेक्ट टाइगर रिजर्व में से एक घोषित किया गया था।

कच्छ रेगिस्तान वन्यजीव अभयारण्य भी नहीं है किसी से कम

भुज से 100 किमी दूरी पर स्थित, कच्छ रेगिस्तान वन्यजीव अभयारण्य दुनिया में सबसे बड़ी खारी आर्द्रभूमि में से एक है। बोलचाल की भाषा में 'फ्लेमिंगो सिटी' के रूप में जाना जाता है यह लगभग 7505.22 वर्ग किमी के विशाल विस्तार के साथ सबसे बड़ा वन्यजीव अभयारण्य है। यहाँ विभिन्न वन्यजीवों के जीवाश्मों के देखे जाने का भी हवाला दिया जाता है। यहां अत्यधिक नमक जमा होने से अभयारण्य को एक शुद्ध सफेद सतह मिलती है जो सभी पर्यटकों की बड़ी भीड़ को आकर्षित करती है। लेकिन आपको बता दे कच्छ रेगिस्तान वन्यजीव अभयारण्य भारत-पाकिस्तान सीमा पर स्थित है, इसीलिए अभयारण्य के कुछ हिस्से जनता के लिए प्रतिबंधित हैं।

Next Story