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इस सत्र में काफी कम काम हुआ : वेंकैया नायडू

Nilmani Pal
22 Dec 2021 9:16 AM GMT
इस सत्र में काफी कम काम हुआ : वेंकैया नायडू
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दिल्ली। संसद का शीतकालीन सत्र बुधवार को तय समय से एक दिन पहले अनिश्चितकाल के लिए स्थगित हो गया. राज्यसभा के सभापति वेंकैया नायडू ने आज संपन्न हुए शीतकालीन सत्र के अंत में सदन के कामकाज पर अपनी चिंता और नाराजगी व्यक्त की. अपने संक्षिप्त समापन भाषण में, उन्होंने सदस्यों से सामूहिक रूप से चिंतन करने और व्यक्तिगत रूप से आत्मनिरीक्षण करने का आग्रह किया. उन्होंने कहा, 'सदन का शीतकालीन सत्र आज समाप्त हो रहा है. मुझे आपको यह बताते हुए खुशी नहीं हो रही है कि सदन ने अपनी क्षमता से बहुत कम काम किया. मैंने आप सभी से सामूहिक और व्यक्तिगत रूप से चिंतन करने और आत्मनिरीक्षण करने का आग्रह करता हूं कि आप सोचें कि कैसे ये सत्र अलग और बेहतर हो सकता था.'

नायडू ने कहा, 'मैं इस सत्र को लेकर विस्तार से बोलना नहीं चाहता क्योंकि अगर मैं बोलूंगा तो उसमें बहुत ही आलोचनात्मक दृष्टिकोण दिख सकता है. इस सत्र के दौरान सदन के कामकाज के विभिन्न पहलुओं से संबंधित आंकड़े जारी कर दिए जाएंगे.' उन्होंने बताया कि आज संपन्न हुए शीतकालीन सत्र की 18 बैठकों के दौरान राज्यसभा में सिर्फ 47.90 प्रतिशत समय में ही कार्यवाही हो पाई. बाकी का समय बर्बाद हुआ. कुल निर्धारित बैठक के 95 घंटे 6 मिनट के समय में से, सदन केवल 45 घंटे 34 मिनट के लिए ही चल सका.

वेंकैया नायडू की अध्यक्षता में इस बार पिछले 4 वर्षों के मुकाबले काफी कम काम हुआ जो कि आंकड़ों के हिसाब से देखें तो सबसे कम कामकाज वाले सत्र में 5वें नंबर पर रहा. नायडू ने पिछले 4 वर्षों में राज्यसभा के 12 सत्रों की अध्यक्षता की है. इस शीतकालीन सत्र में व्यवधानों और जबरन स्थगन के कारण कुल 49 घंटे 32 मिनट का समय बर्बाद हो गया. यानी कुल 52.08 फीसदी समय बर्बाद हो गया. राज्यसभा द्वारा शीतकालीन सत्र के दौरान 10 विधेयकों को पारित किया गया, जबकि विनियोग विधेयक पर आज अंतिम दिन होने वाली चर्चा पर चर्चा नहीं हुई.

विनियोग विधेयक सहित सरकारी विधेयकों पर चर्चा करने में कुल 21 घंटे 7 मिनट का समय लगा, जो सदन के कामकाज के समय का 46.50% होता है. इन बहसों में सदस्यों द्वारा 127 बार हस्तक्षेप किए गए. केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री, प्रल्हाद जोशी ने बताया कि संसद के शीतकालीन सत्र में लोकसभा ने 82% उत्पादकता दर्ज की, जबकि राज्यसभा ने 47% उत्पादकता दर्ज की.

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