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वर्मीकम्पोस्ट का बिजनेस: पीछे रह गए ताना मारने वाले, ये शख्स बन गया लखपति

Nilmani Pal
21 July 2022 2:26 AM GMT
वर्मीकम्पोस्ट का बिजनेस: पीछे रह गए ताना मारने वाले, ये शख्स बन गया लखपति
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जयपुर। सरकार रासायनिक कीटनाशक मुक्त फसलों की खेती को प्रोत्साहित कर रही है, जिससे लोगों को तमाम तरह की गंभीर बीमारियों से बचाया जा सकेऔर खेती किसानी में किसानों के खर्च को भी कम कर सके. फिलहाल, भारत में जैविक खेती को बड़े पैमाने पर बढ़ावा दिया जा रहा है. फसलों का विकास सही तरीके से हो सके इसके लिए कृषि विशेषज्ञों द्वारा खेतों में खाद के तौर पर ऑर्गेनिक वर्मीकम्पोस्ट का उपयोग करने का सलाह दी जाती है.

बता दें कि राजस्थान के जयपुर के सुंदरपुरा गांव के रहने वाले डॉ. श्रवण यादव वर्मीकम्पोस्ट बनाते हैं. फिर इसे वह अन्य किसानों को बेच कर बढ़िया मुनाफा कमाते हैं. शुरुआत से ही खेती में उनका काफी मन लगता था. इससे जुड़ी छोटी-छोटी बारिकिया सीखने के लिए उन्होंने अपनी सारी पढ़ाई भी खेती से जुड़े विषयों से ही की है. श्रवण बताते हैं कि उन्होंने ऑर्गेनिक फार्मिंग में एमएससी किया हुआ है. फिर उन्हें साल 2012 में उन्होंने JRF की स्कॉलरशिप मिली. इस बीच मल्टीनेशनल कंपनी में उनकी नौकरी भी लग गई, लेकिन नौकरी में मन नहीं लगने पर उसे भी छोड़ दिया. नौकरी छोड़ने के बाद, वह 'उदयपुर महाराणा प्रताप यूनिवर्सिटी' से जैविक खेती की पर पीएचडी भी करने लगे. बाद में 2018 में सीनियर रिसर्च फ़ेलोशिप का काम उसी यूनिवर्सिटी में मिल गया.

श्रवण कहते हैं कि नौकरी के दौरान उन्हें खेती-किसानी के लिए ज्याद वक्त नहीं मिल पाता था. लेकिन साल 2020 में कोरोना की वजह से लॉकडाउन लगने के बाद वह अपने गांव लौट आए. अब उन्हें खेती-किसानी को लेकर काफी वक्त मिलने लगा. इस दौरान उन्होंने यहां 17 बेड के साथ Vermicompost का एक छोटा सा यूनिट डाल दिया. वह बताते हैं कि उन्होंने जब इस काम की शुरुआत की तो लोग यह कहते हुए ताना मारते थे कि इतनी पढ़ाई करने के बाद अब खाद बना रहा है. शुरुआत में परिवार वालों ने भी साथ दिया. लेकिन फिर लगातार बढ़ते मुनाफा को देखते हुए वह भी साथ हो गए. श्रवण के मुताबिक वह 2 से 3 लाख रुपये हर महीने मुनाफा कमा ले रहे हैं.

श्रवण ने अब अपने वर्मी कंपोस्ट बेडों की संख्या बढ़ाकर 1 हजार बेड तक कर ली है. वह दावा करते हैं कि पूरे भारत में उनकी यूनिट प्रति किलो सबसे ज्यादा केंचुए देती है. वह एक किलो में 2000 केंचुए देते हैं, जबकि बाकि जगह लोग 400 से 500 केंचुएं ही देते हैं. इसके अलावा वह किसानों को वर्मी कंपोस्ट बनाने की फ्री ट्रेनिंग भी देते हैं.श्रवण ने अपने वर्मीकम्पोस्ट खाद को बेचने के लिए सोशल मीडिया को माध्यम बनाया. उन्होंने डॉ. ऑर्गनिक वर्मीकम्पोस्ट नाम से एक चैनल भी बनाया है, जिसपर वह इससे जुड़ी जानकारी की वीडियोज भी डालते हैं. श्रवण बताते हैं कि अभी तक 25 हजार लोग ट्रेनिंग लेकर वर्मीकम्पोस्ट की यूनिट लगा चुके हैं.

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