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फैसला: अल्ट्रासाउंड सेंटर देगा विकलांग बच्चे और उसके माता-पिता को 1.25 करोड़ रुपए का मुआवजा

Nilmani Pal
2 Jun 2022 6:20 AM GMT
फैसला: अल्ट्रासाउंड सेंटर देगा विकलांग बच्चे और उसके माता-पिता को 1.25 करोड़ रुपए का मुआवजा
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मुंबई। राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (NCDRC) ने एक मेडिकल लापरवाही के मामले में ऐतिहासिक फैसला सुनाया है. नागपुर स्थित अल्ट्रासाउंड स्कैनिंग और इमेजिंग सेंटर को एक विकलांग बच्चे और उसके माता-पिता को 1.25 करोड़ रुपए का मुआवजा देने का आदेश दिया है. गर्भावस्था के दौरान चार मौकों पर अल्ट्रासाउंड की गलत रिपोर्ट के लिए फर्म को जिम्मेदार ठहराया गया है, जिसके चलते जन्मजात विसंगतियों वाले बच्चे का जन्म हुआ. जन्मजात विसंगतियों को संरचनात्मक विसंगतियों के रूप में परिभाषित किया जाता है जो अंतर्गर्भाशयी जीवन के दौरान होती हैं.

आयोग ने माना कि शुरुआती दिनों में समस्या का निदान करने में विफल रहा है और अल्ट्रासोनोलॉजी सेंटर गर्भपात कराने की पेशकश करने में भी विफल रहा है. नवजात शिशु के उंगलियों में दिक्कत थी और पैरों में समस्या थी. नागपुर में क्लिनिक एक रेडियोलॉजिस्ट डॉ दिलीप घिक चला रहे थे. 17-18 सप्ताह में भ्रूण की संरचनात्मक विसंगतियों का पता लगाने में विफलता के लिए रेडियोलॉजिस्ट और उनके क्लिनिक को जिम्मेदार ठहरा गया है.

एनसीडीआरसी की दो सदस्यीय खंडपीठ में सुनवाई हुई है, जिसमें जस्टिस आर के अग्रवाल और डॉ एस एम कांतिकर शामिल हैं. उन्होंने क्लीनिक को बच्चे के कल्याण के लिए मुआवजे का भुगतान करने के लिए कहा है ताकि भविष्य में उसके लिए कृत्रिम अंग खरीदे जा सकें और किया जा सके. आदेश में कहा गया है, 'राशि किसी भी राष्ट्रीयकृत बैंक में बच्चे के वयस्क होने तक फिक्स डिपॉजिट (एफडी) के रूप में रखी जाएगी. माता-पिता अपने बच्चे की नियमित स्वास्थ्य जांच, उपचार और कल्याण के लिए FD पर समय-समय पर ब्याज प्राप्त कर सकते हैं.' आयोग ने रेडियोलॉजिस्ट और क्लिनिक को कानूनी खर्च के लिए 1 लाख रुपए का भुगतान करने का भी निर्देश दिया.


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