टमाटर महंगा, अदरक महंगा, गोभी महंगी... (Vegetables Inflation) ऊपर से अब हरी मिर्च भी महंगी. सब्जी मंडी में पहुंचते ही हर जुबां पर एक बात होती है... क्या खरीदें, सब्जियों की कीमतों में तो आग लगी है? फिर एक किलो की जगह आधा किलो, आधा किलो लेने वाले एक पाव खरीदकर घर लौट आते हैं. लेकिन खरीदार खासकर, बड़े शहरों में लोग कभी ये नहीं सोचते कि सब्जियां आखिर इस मौसम में इतनी महंगी क्यों हो जाती हैं?
दरअसल, अभी जो-जो सब्जियां महंगी हैं, वो सीधे खेत से मंडी तक नहीं पहुंचती हैं. क्योंकि बरसात के मौसम में बेहद कम सब्जियां ही उगती हैं. खासकर टमाटर, गोभी, हरी मिर्च जैसी सब्जियां जुलाई महीने में खेतों में नजर नहीं आतीं. फिर आपका सवाल होगा कि मंडी में ये कहां से आती हैं? हर साल बरसात के मौसम के लिए सब्जियां कोल्ड स्टोरेज में रखी जाती हैं और अधिकतर इलाकों में इन्हें खपत के हिसाब से धीरे-धीरे मंडी तक पहुंचाया जाता है.
ये सब्जियां में जब खेत में लगी होती हैं तो बाजार में भी आसानी से मिल जाती हैं, वो भी सामान्य भाव पर, उसी दौरान इन सब्जियों की बड़ी खेप को कोल्ड स्टोरेज में रख दिया जाता है. क्योंकि कोल्ड स्टोरेज में महीनों तक सब्जियां ताजी रहती हैं. खासकर गोभी, प्याज, टमाटर और आलू के लिए पूरे देश में कोल्ड स्टोरेज मौजूद हैं. हालांकि अधिकतर किसान प्याज और आलू के लिए कोल्ड स्टोरेज का इस्तेमाल करते हैं. लेकिन अब मौसमी सब्जियां भी बड़े पैमाने पर कोल्ड स्टोरेज में रखी जाती हैं. टमाटर को अधिकतम डेढ़ से 2 महीने तक कोल्ड स्टोरेज में रखा जा सकता है. बाजारों में ऐसी सब्जियों की बात करें जो बिना सीजन के उपबल्ध होती हैं, तो बता दें ऐसे सब्जियां आम लोगों के वश से दूर ही नजर आती हैं. इसका बड़ा कारण भी है, दरअसल, दिल्ली समेत बड़े शहरों के मार्केट में आपको हर रोज इस तरह की सब्जियां भी मिल जाती हैं, जिनका सीजन ही नहीं होता और लोग जब इन्हें खरीदने के लिए बाजारों में जाते हैं, तो इनके दाम सुनकर हैरान रह जाते हैं,
कई ग्राहक को मन होते हुए भी इनके बहुत महंगे होने के चलते खाने का प्लान ही कैंसिल कर देते हैं. बिना सीजन के भी बाजारों में बिकने वाली सब्जियों पर महंगाई के लिए सरकार जिम्मेदार नहीं होती, बल्कि जो लोग इनका भंडारण करके रखते हैं, वे इनके दाम तय करते हैं. जिसमें तमाम तरह के खर्चे जुड़े होते हैं. दरअसल, इन सब्जियों को बिना सीजन के बाजार में उतारते समय कारोबारी और जमा करने वाले इनके भंडारण और ट्रांसपोर्टेशन की कीमतों के आधार पर कीमतें तय करते हैं. इसका पूरा खेल आसान भाषा में समझें तो सब्जियों के कारोबार से जुड़े व्यापारी और बिचौलिए कोई भी सीजन खत्म होने पर उस सीजन में उगाई जाने वाली सब्जियों का बड़ा स्टॉक कोल्ड स्टोरेज में जमा कर लेते हैं और ये स्टॉक ऐसे समय में जमा किया जाता है, जब इनकी कीमतें कम होती हैं.